कृषि मंत्री ने पूरी टीम सहित कुरुक्षेत्र में समझी प्राकृतिक खेती की बारीकी
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने विकसित किया है प्राकृतिक खेती का यह मॉडल
दल में कई मंत्री, कृषि के उच्चाधिकारी, कृषि वैज्ञानिक तथा प्रगतिशील किसान थे शामिल
लखनऊः 29 सितम्बर, 2022
उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक कृषि को पूरे मनोयोग से संचालित करने हेतु माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के दिशा निर्देशन में कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही के साथ-साथ गन्ना एवं चीनी उद्योग मंत्री श्री चौधरी लक्ष्मी नारायण, उद्यान राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार श्री दिनेश प्रताप सिंह, राज्य कृषि मंत्री श्री बलदेव सिंह औलख, कृषि उत्पादन आयुक्त, अपर मुख्य सचिव कृषि एवं अपर मुख्य सचिव गन्ना एवं चीनी उद्योग के साथ वरिष्ठ अधिकारियों का एक बड़ा समूह प्रदेश में संलग्न प्राकृतिक खेती के किसान भाइयों के साथ हरियाणा प्रांत के करनाल जनपद के गुरुकुल क्षेत्र पर विकसित गौआधारित प्राकृतिक खेती का विस्तृत भ्रमण कर तकनीकी जानकारी ली गई।
सर्वविदित है कि गुरुकुल में गौ आधारित प्राकृतिक खेती का कार्यक्रम माननीय आचार्य देवव्रत जी राज्यपाल गुजरात के नेतृत्व में विकसित किया गया है प्रदेश के माननीय मंत्री परिषद एवं अधिकारी तथा किसानों के समूह ने कुरुक्षेत्र पर विकसित प्राकृतिक खेती जिसमें प्रमुखता से धान, गन्ना एवं बागवानी फसलें लगी हुई हैं, जिसमे जीवामृत एवं घन जीवामृत का प्रयोग किया गया है के प्रभाव को स्पष्ट ता से सभी ने स्वीकार किया। इस दौरान रोग रहित फसलें एवं अधिक उत्पादन प्राप्त होने की स्थिति का अवलोकन किसान भाइयों ने किया।
उक्त अवसर पर कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने उपस्थित अधिकारियों, वैज्ञानिकों एवं किसान भाइयों से अनुरोध किया कि पूरी तन्मयता के साथ आगामी रबी की फसल में इस विधा का प्रयोग लगभग एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर प्रदेश के भीतर प्रयोग कराया जाए तथा समय-समय पर किसानों के दलों को गुरुकुल में लाकर उनकी आशंकाओं का समाधान कराकर, इस विधा में दक्ष कराया जाए, जिससे आगामी वर्षों में उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक खेती का अभियान प्रत्येक विकासखंड में स्थापित हो जाए। कृषि मंत्री द्वारा मधुमक्खी पालन के उत्कृष्टता केंद्र धंतोली का भी भ्रमण किया गया साथ ही कृषि मंत्री द्वारा करनाल में स्थित कृषि गन्ना पशुपालन डेयरी आदि के राष्ट्रीय संस्थानों यथा एनडीआरआई, आईआई डब्ल्यूबीआर, एनबीएजीआर का भी भ्रमण करके वैज्ञानिकों से जानकारी ली गई।
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