शिक्षा दिवस पर जानें की क्या हर शिक्षक को होता है कार्पल टनल सिंड्रोम ?
राधाकृष्णन जी के जन्मदिन पर सार्वजनिक रूप से मनाए जाने वाले इस शिक्षक दिवस की अपने आप में अपार महत्ता है। राधाकृष्णन जो की पढ़ने में रूचि रखते थे , फिजिकल साइंस में मास्टर्स करना चाहते थे पर फिलॉसोफी में मास्टर्स किये जानते है क्यों? उनको फिलोसोफी की मास्टर्स की किताबे फ्री में मिल गई थी , ऐसे थे राधाकृष्ण। वो अपने हर शिस्य के प्राकृतिक गुणों को उजागर करने में सफल सहायक थे। उनके जन्मदिन पर जब लोगो ने जलसा करने का प्रस्ताव रखा तब राधाकृष्णन ने कहा इसे मेरे जन्मदिन के रूप में न मनाकर ५ सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाए, इससे मुझे खुशी मिलेगी। १९६२ में पहला टीचर्स डे मनाया गया।
शिक्षक पढ़ते भी है और पढ़ाते भी है, लिखते भी है और लिखाते भी है। शिक्षाक को क्लास में बोर्ड पे लिखना पड़ता है, कॉपी में और आज कल कंप्यूटर एंड मोबाइल पे भी लिखना पड़ता है। ये लम्बे समय तक लिखने के कारण कार्पल टनल सिंड्रोम होने का खतरा बना रहता है। आईये जानें की कार्पल टनल सिंड्रोम किस बाला का नाम है और इसके लक्षण और इलाज के अलावा रोकथाम के लिए क्या करें। कोरोना काल में अध्यापको को बहुत ज्यादा काम करना पड़ रहा है, कई बार देर तक कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करते समय हाथों में सून्नपन या कलाई में दर्द की शिकायत आती है। हालांकि, इसे सामान्य समझकर कई बार अध्यापक इसे अनदेखा भी कर जाते हैं, लेकिन अगर हाथों में तकलीफ बार-बार होने लगे, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। हाथों में लगातार असुविधा या दर्द होना कार्पल टनल सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं। कई बार लोगों को देर तक कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करते समय हाथों में सून्नपन या कलाई में दर्द की शिकायत करते देखा जाता है। हालांकि, लोग इसे सामान्य समझकर अनदेखा भी कर जाते हैं, लेकिन अगर हाथों में तकलीफ बार-बार होने लगे, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। हाथों में लगातार असुविधा या दर्द, कार्पल टनल सिंड्रोम नामक स्थिति के कारण हो सकता है। ये आम तोर पर धीरे धीरे शुरू होता है, अंगूठे, तर्जनी और बीच की अंगुलियों का कभी कभी सुन्न पड़ जाना,उनमें झनझनाहट होना कार्पल टनल सिंड्रोम के सुरुवाती लक्षण है। कई बार कलाई और हथेली में भी बेचैनी हो सकती है। कनिष्ठा या छोटी अंगुली पर इसका प्रभाव नहीं पड़ता है। कई बार अंगुलियों में करेंट जैसी अनुभूति होती है ,अक्सर ये अभाव किसी चीज़ को पकड़ते समय होता है जैसी की मोबाइल पकड़ते समय, गाड़ी की स्टीयरिंग पकड़ने में, अख़बार पढ़ते समय पन्ना बदलने में झनझनाहट और संवेदन शून्यता से रात में कई बार नींद का खुलना, बेचैनी होना , इस समस्या के समाधान के लिए लोग कई बार हाथ को झटकते है परन्तु विशेष लाभ नहीं मिलता है। धीरे धीरे हाथों का सुन्न रहना एक स्थाई समस्या बन जाता है , हाथों की कमजोरी की वज़ह से चीज़े हाथ से गिरने लगती है।
अगर हाथ में दर्द, कलाई में दर्द, सुन्नापन हो तो हाथ को 60 सेकंड के लिए झुकाये - अगर कलाई को आगे झुकाने से नम्ब्नेस, झुनझुनी, या कमजोरी अनुभव हो तो डॉक्टर से परामर्श करें।
घरेलु उपाय - अपनी कलाई का सहारा ले कर सोने से बचें। अपने हाथों पर न सोएं और तकिया का इस्तेमाल करें। कलाई में रात में एक पट्टी बांधे, जरुरत पड़ने पर दिन में भी पट्टी बांधे। गर्म और ठंडी सिकाई करें। कलाई पर तनाव कम करने के लिए कलाई की एक्सरसाइज करें। हाथों को २ मिनट तक नमस्कार करने की स्थिति में रखखे, ऐसा दिन भर में ४ से ५ बार करे। विटामिन बी6 की कमी से भी ये लक्षण हो सकते हैं। विटामिन बी ६ के सप्लीमेंट लें, प्रतिदिन हल्दी वाला दूध पिएं।
शिक्षक दिवस पर सभी गुरु को शिक्षक दिवस की ढेरो बधाईया।
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