समस्याओं से पलायन करने वाले खो देते हैं जनविश्वास : सीएम योगी

सनातन धर्म की महत्वपूर्ण कड़ी है गोरक्षपीठ की परंपरा

समस्याओं से पलायन न करने का आदर्श स्थापित किया ब्रह्मलीन महंत

दिग्विजयनाथ व महंत अवेद्यनाथ ने

राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 8वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह


गोरखपुर, 14 सितंबर।

गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारी सनातन

संस्कृति समाज, राष्ट्र व धर्म की समस्याओं से पलायन की आज्ञा नहीं देती है।

समाज, राष्ट्र व धर्म की समस्या को हमें अपनी खुद की समस्या मानना होगा।

हमें खुद को हर चुनौती से निरंतर जूझने के लिए तैयार रखना होगा क्योंकि

समस्याओं से पलायन करने वाले, उनसे मुंह मोड़ने वाले जनविश्वास खो देते हैं।

पलायन करने वालों को वर्तमान और भावी पीढ़ी कभी माफ नहीं करती है।


सीएम योगी युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 53वीं तथा

राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 8वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य

में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अंतिम दिन बुधवार (आश्विन

कृष्ण चतुर्थी) को महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित कर

रहे थे। श्रद्धांजलि समारोह में अपने भावों को शब्दांकित करते हुए मुख्यमंत्री ने

कहा कि गोरक्षपीठ के पूज्य आचर्यद्वय ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और

ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने ने धर्म, समाज और राष्ट्र की समस्याओं से

पलायन न करने का आदर्श स्थापित किया। उनके मूल्यों, सामर्थ्य और साधना

की सिद्धि का परिणाम आज गोरखपुर के विभिन्न विकल्पों के माध्यम से

देखा जा सकता है। उन्होंने गोरक्षपीठ को सिर्फ पूजा पद्धति और साधना स्थली


तक सीमित नहीं रखा, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवा के विभिन्न आयामों से

जोड़कर लोक कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया।


सीएम योगी ने कहा कि गोरक्षपीठ की परंपरा सनातन धर्म की महत्वपूर्ण कड़ी

है। आश्रम पद्धति कैसे संचालित होनी चाहिए, समाज, देश और धर्म के प्रति

हमारी क्या जिम्मेदारी होनी चाहिए, इसका मार्गदर्शन इस पीठ ने किया है। ऐसे

दौर में जब बहुतायत लोग भौतिकता के पीछे दौड़ते हैं, देशकाल व समाज के

अनुरूप कार्यक्रमों से जुड़कर यह पीठ ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ व

ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ द्वारा स्थापित आदर्शों को युगानुकूल तरीके से आगे

बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि जब देश पराधीन था तब यह धार्मिक पीठ सीमित

संसाधनों से शिक्षा का अलख जगाने के अभियान से जुड़ती है। पूज्य संतों ने

आजादी के आंदोलन को नेतृत्व दिया, उसने भागीदार बने और इस दिशा में

गोरक्षपीठ की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। जब धर्म भी पराधीनता के दंश को

झेल रहा था तो गोरक्षपीठ खुद को कैसे अलग रख सकती थी। सीएम योगी ने

कहा कि आजादी का आंदोलन हो या आजादी मिलने के बाद राष्ट्र निर्माण के

अभियान को गति देने की बात, गोरक्षपीठ ने महंत दिग्विजयनाथ व महंत

अवेद्यनाथ के नेतृत्व में निरंतर प्रयास किया।


वैश्विक मंच पर पड़ रही भारत की प्रतिष्ठा

मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के मार्ग

प्रशस्त होने से भारत के लोकतंत्र व न्यायपालिका की ताकत वैश्विक मंच पर

प्रतिष्ठित हुई है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन हो या फिर प्रयागराज

दिव्य एवं भव्य कुंभ। हमारे सांस्कृतिक विजय के इस अभियान का हिस्सा है।

यही नहीं अब भारतीय नस्ल के गोवंश संरक्षण की वकालत वैश्विक मंचों से की

जा रही है। अति भौतिकता के पीछे पड़कर अर्जित की गई गंभीर बीमारियों से

बचने के लिए प्राकृतिक खेती पर दुनिया जोर दे रही है और प्राकृतिक खेती के


लिए भारतीय ही गोवंश आधार होगा। इससे गाय भी बचेगी और मानवता को

बीमारियों से मुक्ति भी मिलेगी। कुल मिलाकर वैश्विक मंच पर भारत की

प्रतिष्ठा बढ़ी है और हम सभी को इस पर गौरव की अनुभूति करनी चाहिए।


इंसेफलाइटिस से होने वाली मौतें अब शून्य की तरफ़

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में

इंसेफेलाइटिस से होने वाली मासूमों की मौतों का भी उल्लेख किया। उन्होंने

कहा कि 1977 से 2017 तक प्रतिवर्ष 1200 से 1500 बच्चे इस बीमारी के

चलते दम तोड़ देते थे। 40 साल में 50 हजार मौतें हुईं। दम तोड़ने वाले बच्चे

इसी समाज की धरोहर थे। 2017 के बाद से सरकार ने स्वच्छता के प्रति जन

जागरूकता बढ़ाकर,शासन-प्रशासन के साथ जनता के सहयोग से बीमारी का

समाधान निकाला। इन सब का परिणाम यह है कि इंसेफलाइटिस से होने वाली

मौतें अब शून्य की तरफ हैं।


पीएम के पंच प्रणों से जुड़कर भारत को बनाना है दुनिया की महाताकत

सीएम योगी ने कहा कि वर्तमान समय में अपना देश आजादी का अमृत

महोत्सव मना रहा है। आजादी के शताब्दी वर्ष तक हमारा लक्ष्य भारत को

विकसित एवं दुनिया की महाताकत बनाने का होना चाहिए। इस लक्ष्य की

प्राप्ति के लिए हम सभी को विगत स्वाधीनता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

द्वारा दिए गए पंच प्रणों से जुड़ना होगा। हमें अपनी विरासत पर गौरव की

अनुभूति करनी होगी। विकसित भारत बनाने के लिए अपने अपने कार्य क्षेत्र के

कर्तव्यों का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करना होगा। गुलामी के किसी भी अंग को

स्वीकार नहीं करना होगा। हर भारतीय के मन में अभाव होना चाहिए कि

अपना देश व धर्म सुरक्षित है। यह प्रसन्नता की बात है कि देश अच्छी दिशा

में आगे बढ़ रहा है।


ब्रह्मलीन महंतद्वय का व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रेरणादायी

अपनी दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ एवं गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत

अवेद्यनाथ की पुण्य स्मृति को नमन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने

कहा कि ब्रह्मलीन महंतद्वय का व्यक्तित्व एवं कृतित्व सदैव प्रेरणादायी है।

श्रीराम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व करने के साथ ही उन्होंने गोरक्षा, शिक्षा,

स्वास्थ्य और सेवा के विभिन्न प्रकल्पों को प्रवाहमान बनाया।


सीएम योगी ही कराएंग मथुरा व काशी का पुनरुद्धार : शंकराचार्य वासुदेवानंद

सरस्वती

श्रद्धांजलि समारोह में प्रयागराज से पधारे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी

वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के

मुख्यमंत्री बनने के बाद जैसे अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर

भव्य मंदिर बन रहा है, उन्हें पूरा विश्वास है कि मथुरा और काशी का पुनरुद्धार

भी उन्हीं के नेतृत्व में होगा। उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि मथुरा में

श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर मंदिर और काशी में भगवान शिव के मंदिर का

नवोत्थान शुरू हो तभी वह (वासुदेवानंद सरस्वती) अपने शरीर का परित्याग

करें।

इस अवसर पर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ से जुड़े अपने संस्मरण सुनाते हुए

शंकराचार्य ने कहा कि महंत जी की सरलता, सहृदयता व सर्वजनप्रियता का

बखान कर पाना मुश्किल है। कहा कि वर्ष 1991 में वह गोरखनाथ मंदिर आए

थे। एक स्थान पर पूजा करते देख महंत अवेद्यनाथ ने उनसे विशिष्ट स्थान

पर पूजा करने का अनुरोध किया। वासुदेवानंद जी द्वारा ठिठोली करते हुए यह

कहने पर कि तब तो यहां की गद्दी भी मेरी हो जाएगी, महंत जी ने सहज ही

कह दिया, महाराज यह तो आपकी ही है।


शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती के पूर्व वशिष्ठ आश्रम अयोध्या से आए

पूर्व सांसद डॉ रामविलास वेदांती ने भी अपने संबोधन में कहा कि मथुरा व

काशी में भव्य मंदिर का निर्माण भी योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री रहते

संभव होगा। उन्होंने योगी आदित्यनाथ को धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए

महायोगी गोरखनाथ द्वारा भेजा गया दूत बताता। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ

का स्मरण करते हुए डॉ वेदांती ने कहा कि सभी संतों को एक मंच पर लाने का

श्रेय ब्रह्मलीन महंत जी को ही है। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व उस

समय स्वीकार किया जब कांग्रेस सरकार के डर से कोई इसके लिए तैयार नहीं

हो रहा था।


इस अवसर पर अपने संबोधन में अलवर के सांसद और रोहतक के अस्थल

बोहर पीठ के महंत बालकनाथ ने कहा कि गोरक्षपीठ

रामराज्य स्थापना की संकल्प भूमि है और इस पीठ के ब्रह्मलीन महंतद्वय

समूची मानवता के प्रेरणा पुंज। श्रद्धांजलि समारोह में दिगम्बर अखाड़ा

(अयोध्या) के महंत सुरेश दास, बड़ौदा (गुजरात) से आए महंत गंगादास, कटक

(ओडिशा) से आए महंत शिवनाथ व नागपुर, महाराष्ट्र से पधारे स्वामी

जितेन्द्रनाथ ने भी विचार व्यक्त किए।


इसी क्रम में सांसद रविकिशन शुक्ल, राज्यसभा सदस्य डॉ राधामोहन दास

अग्रवाल, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष एवं एमएलसी डॉ धर्मेंद्र सिंह, महापौर

सीताराम जायसवाल, गोरखपुर ग्रामीण के विधायक विपिन सिंह, सहजनवा के

विधायक प्रदीप शुक्ल, राज्य महिला आयोग की पूर्व उपाध्यक्ष श्रीमती अंजू

चौधरी, व्यापार मंडल से सुरेंद्र सिंह मुन्ना, चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष

एसके अग्रवाल, सिंधी समाज से लक्ष्मण नारंग ने भी ब्रह्मलीन महंत द्वय के

प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। स्वागत संबोधन महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के

अध्यक्ष प्रो उदय प्रताप सिंह तथा संचालन डॉ श्रीभगवान सिंह ने किया।


श्रद्धांजलि समारोह का शुभारंभ ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ एवं ब्रह्मलीन

महंत अवेद्यनाथ के चित्रों पर पुष्पांजलि से हुआ। वैदिक मंगलाचरण डॉ रंगनाथ

त्रिपाठी, गोरक्ष अष्टक का पाठ गौरव तिवारी व आदित्य पांडेय तथा महंत

अवेद्यनाथ स्त्रोत का पाठ डॉ प्रांगेश मिश्र ने किया। सरस्वती वंदना एवं

श्रद्धांजलि गीत की प्रस्तुति महाराणा प्रताप बालिका विद्यालय की छात्राओं ने

की।

इस अवसर पर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्य, स्वामी विद्या

चैतन्य, महंत नरहरिनाथ, महंत कमलनाथ, महंत लालनाथ, महंत देवनाथ, महंत

राममिलन दास, महंत मिथलेश नाथ, महंत रविंद्रदास, योगी रामनाथ, गोरखनाथ

मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित

रहे।

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