उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-
मंत्रिपरिषद ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशों, भारत सरकार की अपेक्षाओं तथा प्रदेश में जैव ऊर्जा उद्यमों की स्थापना की सम्भावनाओं को फलीभूत करने के लिए वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति-2022 को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इससे प्रदेश में 5500 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त होगा।
इस नीति के अन्तर्गत स्थापित होने वाले संयंत्रों से किसानों की आय में वृद्धि होगी। इस नीति के क्रियान्वयन से खेतों में किसानों द्वारा पराली जला दिये जाने की समस्या का समाधान होगा। साथ ही वायु प्रदूषण में भी कमी आयेगी। जैविक अपशिष्ट का निस्तारण वैज्ञानिक विधि से हो सकेगा। पर्यावरण अनुकूल जैव ऊर्जा के उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी। बायोमैन्यूर की उपलब्धता तथा प्रयोग से खेतों की उर्वरता बढ़ेगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी निवेश तथा रोजगार सृजित होगा। आयातित कच्चे तेल तथा पेट्रोलियम गैस पर निर्भरता कम होगी तथा विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
इस नीति के तहत पाँच वर्ष में स्थापित होने वाली जैव ऊर्जा परियोजनाओं (कम्प्रेस्ड बायोगैस, बायोकोल, बायोइथानॉल तथा बायोडीजल) को भारत सरकार की नीति/योजना के अतिरिक्त उत्पादन पर इन्सेन्टिव दिया जायेगा। साथ ही, जैव ऊर्जा उद्यमों/संयंत्रों की स्थापना तथा फीडस्टॉक के संग्रहण एवं भण्डारण हेतु अधिकतम 30 वर्षों की लीज अवधि पर भूमि एक रुपये प्रति एकड़ वार्षिक के टोकन लीज़ रेन्ट पर उपलब्ध कराई जायेगी।
इसके अन्तर्गत कम्प्रेस्ड बायोगैस उत्पादन पर 75 लाख रुपये प्रति टन की दर से अधिकतम 20 करोड़ रुपये तक, बायोकोल उत्पादन पर 75000 रुपये प्रति टन की दर से अधिकतम 20 करोड़ रुपये तक, बायो डीजल के उत्पादन पर 03 लाख रुपये प्रति किलोलीटर की दर से अधिकतम 20 करोड़ रुपये उपादान दिया जायेगा।
उपादान के अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति, विद्युत कर शुल्क में दस वर्षों तक शत-प्रतिशत छूट, बायोमास आपूर्ति की निश्चितता हेतु, एफ0पी0ओ0/एग्रीगेटर के माध्यम से दीर्घकालीन बायोमास आपूर्ति अनुबंध तथा क्षेत्र सम्बद्धिकरण की व्यवस्था, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग/यूपीनेडा के माध्यम से उपलब्धतानुसार ग्राम समाज/राजस्व भूमियों तथा चीनी मिल परिसरों में उपलब्ध रिक्त भूमियों का जैव ऊर्जा उद्यम स्थापना तथा बायोमास भण्डारण हेतु आवंटन, जैव ऊर्जा उद्यमों के सह-उत्पाद, बायोमैन्यूर के विक्रय की व्यवस्था तथा जैव ऊर्जा इकाई के कैचमेण्ट एरिया/तहसील में बायोमास के संग्रहण, परिवहन तथा भण्डारण में प्रयुक्त कृषि मशीनरी पर पूंजीगत उपादान की सुविधा दी जायेगी।
इसके अन्तर्गत अपशिष्ट आपूर्ति श्रृंखला का विकास करते हुए प्रत्येक तहसील में एक बायोप्लांट की स्थापना कराई जायेगी। प्रदेश में जैव ऊर्जा इकाइयों की स्थापना हेतु कृषि अपशिष्ट, कृषि उपज मण्डियों का अपशिष्ट, पशुधन अपशिष्ट, चीनी मिलों का अपशिष्ट, नगरीय अपशिष्ट सहित अन्य जैविक अपशिष्ट प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। जैव ऊर्जा इकाइयों की स्थापना से इन अपशिष्ट पदार्थों का उचित प्रबन्धन एवं समुचित दोहन भी हो सकेगा।
इस नीति के अन्तर्गत सी0बी0जी0, बायोकोल व बायो एथेनॉल/बायो डीजल उत्पादन संयंत्रों की स्थापना पर राज्य सरकार के बजट में वित्तीय व्यय भार बढ़ने की सम्भावना होगी, जिसमें 1000 टन सी0बी0जी0 प्रतिदिन की क्षमता का कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट्स की स्थापना पर 750 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत, 4000 टन बायोकोल प्रतिदिन की क्षमता का बायोकोल प्लांट्स की स्थापना पर 30 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत, 2000 किलोलीटर प्रतिदिन की क्षमता का बायो एथनॉल एवं बायो डीजल प्लांट्स की स्थापना पर 60 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत, बायोमास के संग्रहण हेतु रेकर, बेलर तथा ट्रालर पर अतिरिक्त अनुदान फार्म मशीनरी एक्यूपमेंट यूनिट की 500 इकाइयों की स्थापना पर 100 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत, 50 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं हेतु एप्रोच रोड के निर्माण पर 200 कि0मी0 के लिए 100 करोड़ रुपये की लागत आयेगी। साथ ही जैव ऊर्जा नीति के प्रचार-प्रसार के लिये प्रति जनपद 01 लाख की दर से बजटीय व्यवस्था भी की जायेगी।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में जैव ऊर्जा उद्यमों को बढ़ावा देने के उदेश्य से पूर्व में जैव ऊर्जा उद्यम प्रोत्साहन कार्यक्रम-2018 लागू किया गया था। इसके अन्तर्गत प्रदेश में स्थापित होने वाले जैव ऊर्जा उद्यमों को भूमि क्रय पर स्टाम्प ड्यूटी की शत प्रतिशत छूट, उत्पादन प्रारम्भ की तिथि से दस वर्षों तक एस0जी0एस0टी0 की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति तथा इकाई लागत के अनुसार, 10 करोड़ रुपये तक की इकाई लागत पर 25 प्रतिशत, 10 करोड़ रुपये से 100 करोड़ तक की इकाई लागत पर 20 प्रतिशत तथा 100 करोड़ रुपये से अधिक इकाई लागत पर 15 प्रतिशत (अधिकतम प्रति इकाई 150 करोड़ रुपये) पूँजीगत उपादान दिया जा रहा था। इस नीति के अन्तर्गत अब तक 14 जैव ऊर्जा इकाइयों को स्वीकृति पत्र निर्गत किये गये, जिनमें से 03 इकाइयाँ पूर्ण हो चुकी हैं।
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम प्रोत्साहन नीति-2022 को अनुमोदित कर दिया है। समय की आवश्यकता के अनुरूप इस नीति में किसी प्रकार का परिमार्जन/परिवर्धन मुख्यमंत्री जी के अनुमोदनोपरान्त किया जा सकेगा।
ज्ञातव्य है कि दिसम्बर, 2017 से प्रचलित वर्तमान सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम प्रोत्साहन नीति के अन्तर्गत एम0एस0एम0ई0 इकाइयों को देय लाभ नेट जी0एस0टी0 से लिंक्ड थे, जिसके कारण अधिकतर सूक्ष्म इकाइयाँ एवं निर्यातोन्मुख इकाइयां इस नीति का लाभ नहीं उठा सकीं। इसके अतिरिक्त, एम0एस0एम0ई0 नीति-2017 एवं आई0आई0पी0-2017 में लघु एवं मध्यम इकाइयों को सम्मिलित किये जाने एवं दोनों नीतियों में लाभ प्रदान करने की व्यवस्था में अन्तर से प्रदेश के उद्यमियों के मध्य लाभ प्राप्त करने हेतु असमंजस की स्थिति बनी रहती थी। आगामी 05 वर्षों में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर के पायदान पर पहुंचाने हेतु यह आवश्यक है कि विभिन्न नीतियों में सामंजस्य हो एवं लाभ प्रदान करने की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का विरोधाभास न हो। इन चुनौतियों के दृष्टिगत लाभों का स्पष्ट उल्लेख करते हुए एवं क्रियान्वयन को सरल बनाते हुए नई सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम प्रोत्साहन नीति-2022 प्रस्तावित की गयी है।
नई नीति के अन्तर्गत स्थापित होने वाले नवीन एम0एस0एम0ई0 उद्यमों को पूँजीगत उपादान के रूप में 10 प्रतिशत से 25 प्रतिशत का उपादान उपलब्ध कराया जाएगा। बुन्देलखण्ड एवं पूर्वान्चल क्षेत्रों में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाइयों हेतु उपादान की सीमा क्रमशः 25 प्रतिशत, 20 प्रतिशत एवं 15 प्रतिशत होगी। इसी प्रकार मध्यान्चल एवं पश्चिमान्चल में उपादान की सीमा क्रमशः 20 प्रतिशत, 15 प्रतिशत एवं 10 प्रतिशत होगी। अनुसूचित जाति/जनजाति एवं महिला उद्यमियों को 02 प्रतिशत अधिक उपादान उपलब्ध कराया जायेगा। उपादान की अधिकतम सीमा 04 करोड़ रुपये प्रति इकाई होगी।
प्रदेश में स्थापित होने वाले नये सूक्ष्म उद्योग हेतु पूंजीगत ब्याज उपादान के सम्बन्ध में ऋण पर देय वार्षिक ब्याज का 50 प्रतिशत, अधिकतम 25 लाख रुपये प्रति इकाई 05 वर्षाें के लिए दिया जायेगा। अनुसूचित जाति/जनजाति एवं महिला उद्यमियों को यह ब्याज उपादान 60 प्रतिशत दिया जायेगा।
प्रदेश की एम0एस0एम0ई0 इकाइयों को अधिक से अधिक स्रोतों से क्रेडिट उपलब्ध कराने हेतु स्टॉक एक्सचेंजेस पर लिस्टिंग हेतु प्रोत्साहित किया जायेगा। ऐसी सभी इकाइयों को लिस्टिंग के व्यय का 20 प्रतिशत (अधिकतम 05 लाख रुपये) की प्रतिपूर्ति की जाएगी। प्रदेश में फ्लैटेड फैक्ट्रीज की स्थापना को प्रोत्साहित किया जायेगा।
प्रदेश में 10 एकड़ से अधिक के एस0एस0एम0ई0 पार्क स्थापित करने हेतु भूमि क्रय पर 100 प्रतिशत स्टाम्प शुल्क में छूट एवं लिये गये ऋण पर 07 वर्षाें तक 50 प्रतिशत ब्याज उपादान (अधिकतम 02 करोड़ रुपये) उपलब्ध कराया जाएगा। विभाग के औद्योगिक आस्थानों में भूखण्डों/शेडों के आवंटन की प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जायेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से 05 एकड़ अथवा उससे अधिक की ग्राम सभा की भूमि पुनर्ग्रहीत कर निःशुल्क उद्योग निदेशालय को स्थानान्तरित की जाएगी, जिस पर विभाग द्वारा भूखण्डों का विकास करते हुए जिलाधिकारी द्वारा सर्किल रेट पर आवंटन किया जायेगा। इसी प्रकार एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर 05 किलोमीटर की दूरी के अन्तर्गत औद्योगिक आस्थानों के विकास के माध्यम से एम0एस0एम0ई0 इकाइयों को प्रोत्साहित किया जायेगा। प्रदेश के विभिन्न परम्परागत औद्योगिक क्लस्टरों में एफ्लुएण्ट ट्रीटमेंट की समस्या को समझते हुए प्रस्तावित पॉलिसी में सी0ई0टी0पी0 को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस हेतु अधिकतम 10 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
विभिन्न गुणवत्ता मानक यथा जीरो इफेक्ट जीरो डिफेक्ट (जेड0ई0डी0), डब्ल्यू0एच0ओ0 जी0एम0पी0, हॉलमार्क इत्यादि प्राप्त करने हेतु कुल लागत का 75 प्रतिशत (अधिकतम 05 लाख रुपये) की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। भौगोलिक संकेतक (जी0आई0 रजिस्ट्रेशन)/पेटेन्ट आदि प्राप्त करने हेतु 02 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
क्लीन एवं ग्रीन तकनीक को अपनाने हेतु एम0एस0एम0ई0 इकाइयों को अधिकतम 20 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जाएगी। उद्यमिता विकास संस्थान को सेण्टर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करते हुए उद्यमिता के पाठ्यक्रमों के आधार पर प्रदेश के युवाओं में उद्यमिता का प्रसार किया जाएगा।
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य में उप निबन्धक कार्यालयों में पंजीकृत विलेखों के डिजिटाइजेशन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद द्वारा स्टाम्प एवं निबन्धन विभाग के उप निबन्धक कार्यालयों में पंजीकृत विलेखों के डिजिटलीकरण, माइक्रो फिल्मिंग, इण्डेक्सिंग, स्कैनिंग व अभिलेखों को ऑनलाइन आम जनमानस को उपलब्ध कराए जाने की योजना, वित्तीय उपाशयता के आकलन के साथ अनुमोदित की गई है।
प्रदेश के उप निबन्धक कार्यालयों में पंजीकृत समस्त अभिलेखों के डिजिटाइजेशन से सम्बन्धित विभागीय योजना के अन्तर्गत यह कार्य 03 चरणों में सम्पन्न किया जाएगा। प्रथम चरण में वर्ष 2005 से वर्ष 2017 के पंजीकृत अभिलेखों, द्वितीय चरण में वर्ष 1990 से वर्ष 2004 तक के पंजीकृत विलेखों तथा तृतीय चरण में वर्ष 1990 से पूर्व समस्त पंजीकृत अभिलेखों का डिजिटलीकरण, माइक्रो फिल्मिंग तथा इण्डेक्सिंग की कार्यवाही की जाएगी।
ज्ञातव्य है कि भारत सरकार के उद्योग संवर्धन विभाग के ईज़ ऑफ डुइंग बिजनेस के क्रम में बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान-2020 के अन्तर्गत पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में जनपद श्रावस्ती, बाराबंकी तथा अम्बेडकरनगर के विगत 20 वर्षों के लेख पत्रों को स्कैन, इण्डेक्स एवं सर्वर पर अपलोड करने का कार्य विभागीय रूप से पूर्ण कराकर आम जनमानस के उपयोगार्थ रखा गया है। यह कार्य प्रदेश के अन्य जिलों में भी पूर्ण कराया जाना प्रस्तावित है।
इस योजना के लिए एन0आई0सी0 द्वारा एकीकृत सॉफ्टवेयर तैयार कर विभागीय उपयोग हेतु उपलब्ध कराया जाएगा। उप निबन्धक कार्यालयों को उक्त कार्य को पूर्ण करने हेतु आवश्यकतानुसार कम्प्यूटर, उच्च गति ए0डी0एफ0 स्कैनर, उच्च गति इण्टरनेट की लीज लाइन तथा अन्य ऐसे उपकरण, जो इस कार्य को पूर्ण किए जाने हेतु आवश्यक हों, उपलब्ध कराए जाएंगे। प्रति कार्यालय आवश्यकता का आकलन सहायक महानिरीक्षक निबन्धन स्तर से किया जाएगा, जिसे महानिरीक्षक स्तर से आकलित कर मितव्ययिता को दृष्टिगत रखते हुए अनुमोदित किया जाएगा।
अभिलेखों की स्कैनिंग, डिजिटाइजेशन तथा इण्डेक्सिंग के कार्य को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के लिए महानिरीक्षक निबन्धन कार्यालय स्तर पर प्रोग्राम मैनेजमेण्ट यूनिट का गठन किया जाएगा। इस कार्य को सफलतापूर्वक कराने तथा आम जनता के उपयोगार्थ अभिलेखों की ऑनलाइन उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तकनीकी सपोर्ट यूनिट स्थापित की जाएगी। समस्त डाटा एवं स्कैन लेख पत्र को संरक्षित करने हेतु मेधराज क्लाउड सर्वर पर अतिरिक्त स्पेस तथा उक्त हेतु मशीनरी इक्विपमेण्ट की व्यवस्था की जाएगी।
मंत्रिपरिषद ने राज्य योजना आयोग का पुनर्गठन करते हुए नवीन संस्था-स्टेट ट्रांसफॉर्मेशन कमीशन (एस0टी0सी0) के सृजन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। भविष्य में स्टेट ट्रांसफॉर्मेशन कमीशन में निहित अपरिहार्य संशोधन/परिमार्जन मुख्यमंत्री जी के अनुमोदन से किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री जी स्टेट ट्रांसफॉर्मेशन कमीशन के अध्यक्ष होंगे। प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री, कृषि मंत्री, समाज कल्याण मंत्री, ग्राम्य विकास मंत्री, पंचायतीराज मंत्री, चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री, औद्योगिक विकास मंत्री, जल शक्ति मंत्री, नगर विकास मंत्री तथा नियोजन विभाग के मंत्री/राज्यमंत्री कमीशन के पदेन सदस्य (विशेष आमंत्री) होंगे।
स्टेट ट्रांसफॉर्मेशन कमीशन के उपाध्यक्ष के रूप में ख्याति प्राप्त अनुभवी लोक प्रशासक/शिक्षाविद/विभिन्न क्षेत्रों के विषय विशेषज्ञ का मनोनयन मुख्यमंत्री जी द्वारा किया जाएगा और सदस्यता अवधि अधिकतम 03 वर्ष होगी, जिसे विशेष परिस्थितियों में 02 वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकेगा। इस अवधि के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री जी के अनुमोदन से आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जा सकेगा। उपाध्यक्ष का मुख्यालय लखनऊ स्थित योजना भवन होगा।
मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन आयुक्त, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त, समाज कल्याण आयुक्त/अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव समाज कल्याण, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव वित्त, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव कृषि, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव नगर विकास, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव ग्राम्य विकास, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव नियोजन स्टेट ट्रांसफॉर्मेशन कमीशन के शासकीय पदेन सदस्य होंगे।
मुख्यमंत्री जी द्वारा नामित सामाजिक सेक्टर से सम्बन्धित विषय विशेषज्ञ, कृषि एवं संवर्गीय सेवाआंें से सम्बन्धित विषय विशेषज्ञ, अर्थव्यवस्था एवं वित्त क्षेत्र से सम्बन्धित विषय विशेषज्ञ तथा औद्योगिक विकास/निवेश/प्रौद्योगिकी/ऊर्जा क्षेत्र से सम्बन्धित विशेषज्ञ स्टेट ट्रांसफॉर्मेशन कमीशन के गैर-सरकारी सदस्य होंगे।
स्टेट ट्रांसफॉर्मेशन कमीशन के कार्य एवं दायित्व के अन्तर्गत राज्य के विभिन्न प्रकार के संसाधनांे (भौतिक, वित्तीय एवं जनशक्ति) का अनुमान लगाना और राज्य के विकास में इनके सर्वाेत्तम उपयोग की नीति तैयार कर सुझाव देना, राष्ट्रीय एजेण्डा के उद्देश्यों, प्राथमिकताओं के साथ ही राज्य की आवश्यकताओं, संसाधनों व क्षमता को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रवार और कार्यक्रमवार अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन उपायों की संरचना के साथ ही क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिए नीतियों एवं कार्यक्रमों पर सुझाव देना, जनमानस के जीवन स्तर में सुधार हेतु तंत्र विकसित करने तथा राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में अवरोध उत्पन्न करने वाले कारकों को चिन्हित करने तथा विकास एजेण्डा पर सफल कार्यान्वयन हेतु समाधान ढूंढना, आर्थिक सुधारों के वातावरण एवं परिप्रेक्ष्य में यथासम्भव पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पी0पी0पी0) मॉडल के माध्यम से उपलब्ध वित्तीय स्त्रोत/संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग हेतु सुझाव देना तथा विकास कार्यों के प्रतिफल (आउटकम) का नियमित रूप से मूल्यांकन करते हुए सुझाव देना, सूचना प्रौद्योगिकी, डिजिटल टेक्नोलॉजी तथा आधुनिकतम संचार साधनों का अधिक से अधिक उपयोग सुनिश्चित करने, उच्च तकनीकी संस्थाओं से समन्वय कर ज्ञान हस्तान्तरण का लाभ प्राप्त करने के लिए संसाधन केन्द्र (रिसोर्स सेण्टर) एवं ज्ञान केन्द्र (नॉलेज हब) के रूप में कार्य करने के साथ ही विकास कार्याे की प्रगति की नियमित रूप से समीक्षा करते हुए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करना तथा अन्य कार्य, जो समय-समय पर सौंपे जाएं, सम्मिलित होंगे।
ज्ञातव्य है कि नीति आयोग की परिकल्पनाओं के आलोक में उत्तर प्रदेश में राज्य योजना आयोग का पुनर्गठन करते हुए नवीन संस्था का सृजन किए जाने की आवश्यकता है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2027 तक 01 ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर लाए जाने का संकल्प लिया गया है। इसे मूर्त रूप देने के लिए विभागों को सतत मार्गदर्शन, रणनीति एवं सुझाव दिया जाना निहित है। प्रस्तावित स्टेट ट्रांसफॉर्मेशन कमीशन (एस0टी0सी0) को थिंक टैंक के रूप में समावेशी विकास हेतु साझा दृष्टिकोण विकसित करना निहित है।
उत्तर प्रदेश में नियोजन प्रक्रिया को व्यापक एवं नियोजन मशीनरी के सुदृढ़ीकरण तथा नीति प्रबन्धन हेतु अभिनवीकरण की अपेक्षा करते हुए 24 अगस्त, 1972 को राज्य योजना आयोग का गठन हुआ। उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय योजना आयोग, भारत सरकार का गठन वर्ष 1950 में हुआ था। तदोपरान्त 01 जनवरी, 2015 को योजना आयोग, भारत सरकार को समाप्त करते हुए नीति आयोग, भारत सरकार का गठन हुआ है।
नीति आयोग की परिकल्पना में राष्ट्रीय उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करना है। नीति आयोग द्वारा राज्यों के साथ संरचनात्मक सहयोग की पहल तथा तंत्रों के माध्यम से सहयोगपूर्ण संवाद को बढ़ाना है। साथ ही आर्थिक रणनीति और नीति में राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को भी सम्मिलित करना समाहित किया गया है। दीर्घावधि के लिए नीति कार्यक्रम का ढांचा तैयार करने, पहल करने और उसकी प्रगति और क्षमता को मॉनीटर करना भी निहित है। नीति आयोग एक थिंक टैंक के रूप में विभिन्न संस्थाओं के बीच परामर्श और भागीदारी को प्रोत्साहन देता है। नीति आयोग के अन्तर्गत विशेषज्ञों तथा अन्य भागीदारों के सहयोगात्मक समुदाय के माध्यम से ज्ञान, नवाचार, उद्यमशीलता और सहायक प्रणाली तैयार करने के साथ ही विकास के एजेण्डे के कार्यान्वयन हेतु अन्तर्क्षेत्रीय और अन्तर्विभागीय मुददों के समाधान के लिए एक मंच प्रदान करना परिकल्पित है।
मंत्रिपरिषद ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पी0पी0पी0) मॉडल पर राजकीय पॉलीटेक्निकों तथा राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का संचालन निजी सहभागिता से किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके तहत 07 संस्थाओं (03 राजकीय पॉलीटेक्निक तथा 04 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) को चयनित निविदाकर्ताओं को आवंटित किए जाने की अनुमति तथा 17 संस्थाओं (09 राजकीय पॉलीटेक्निक तथा 08 राजकीय राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) हेतु पुनर्निविदा की अनुमति प्रदान की गई है।
मंत्रिपरिषद द्वारा 51 राजकीय पॉलीटेक्निकों एवं 40 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की निविदा कार्यवाही संयुक्त रूप से की जा रही है। यह एक निरन्तर प्रक्रिया है व कई चरणों में पूर्ण हो सकेगी। इसके दृष्टिगत सफल निविदाकर्ता को संस्था आवंटित किए जाने तथा पुनर्निविदा हेतु प्राविधिक शिक्षा मंत्री को अधिकृत करने के प्रस्ताव को भी स्वीकृत कर दिया है। मंत्रिपरिषद ने यह निर्णय भी लिया है कि निविदा के अन्तिम परिणाम को ई-निविदा के पोर्टल पर अंकित किए जाने तथा सफल निविदाकर्ताओं के साथ अनुबन्ध करने की कार्यवाही सम्बन्धित निदेशक द्वारा पूर्ण की जाएगी।
मंत्रिपरिषद ने दिनांक 14 जून, 2021 के शासनादेश द्वारा चयनित निविदाकर्ता फ्रण्टलाइन एन0सी0आर0 बिजनेस सल्यूशन प्रा0लि0 द्वारा राजकीय पॉलीटेक्निक मेरठ ग्राम जसड, सुल्तानपुर नगर परगना एवं तहसील सरधना का आवंटन निरस्त करते हुए एच2 निविदाकर्ता वेंचर स्किल इण्डिया प्रा0लि0 रांची झारखण्ड द्वारा 62.5 प्रतिशत गवर्नमेण्ट सीट के साथ स्वीकृति के दृष्टिगत राजकीय पॉलीटेक्निक मेरठ ग्राम जसड, सुल्तानपुर नगर परगना एवं तहसील सरधना आवंटित किए जाने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि आर0एफ0पी0 में निजी सहभागी को आवंटित की जाने वाली संस्थाओं में निजी संचालनकर्ता को कम से कम 30 प्रतिशत सीटें शासन द्वारा निर्धारित शुल्क पर केन्द्रीयकृत काउंसिलिंग के माध्यम से चयनित छात्रों को आवंटित करने की शर्त थी। निविदा प्रक्रिया में चयनित निविदाकर्ताओं में से कतिपय निजी क्षेत्र के सहभागियों द्वारा 62.5 प्रतिशत तक सीटों पर शासकीय शुल्क के आधार पर छात्रों को प्रवेश देने का प्रस्ताव किया गया है। यह सभी संस्थान नवनिर्मित हैं, जिनका संचालन करने हेतु शिक्षकों व कार्मिकों, प्रयोगशालाओं व अन्य सुविधाओं की व्यवस्था निजी संस्थाओं द्वारा की जाएगी।
प्रदेश के छात्रों को गुणवत्तायुक्त तकनीकी शिक्षा उपलब्ध होगी, जिससे उनकी नियोजनियता में वृद्धि होगी तथा औद्योगिक आवश्यकता के अनुरूप छात्रों में सॉफ्ट स्किल व्यक्तित्व विकास जैसे आवश्यक कौशल प्राप्त होंगे। साथ ही, राज्य के आय-व्यय पर आवर्ती व्ययभार में कमी आएगी। शिक्षा जैसे सामाजिक सेवा क्षेत्र में पी0पी0पी0 मॉडल के आधार पर सेवा प्रदान किया जाना, प्रदेश में पहली बार किया जा रहा है।
मंत्रिपरिषद ने जनपद अयोध्या में टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेण्टर परियोजना के निर्माण व संचालन हेतु इस परियोजना को पी0पी0पी0 (सार्वजनिक निजी सहभागिता) मोड पर विशेषज्ञ संस्थाओं/निजी निवेशकों को विकसित कर संचालित किए जाने हेतु दिए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। प्रकरण में आवश्यकतानुसार अग्रेतर निर्णय लिए जाने हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।
ज्ञातव्य है कि देश में पर्यटन उद्योग का परिदृश्य निरन्तर बदल रहा है एवं मॉडर्न टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेण्टर का निर्माण एवं संचालन विशेषज्ञ संस्थाओं द्वारा कराया जाना पर्यटन के दृष्टिकोण से अत्यन्त लाभकारी होगा। इससे अयोध्या आने वाले देशी/विदेशी पर्यटकों को लाभ मिलेगा व पर्यटन उद्योग से जुड़े हुए व्यावसायियों, सेवा प्रदाताओं तथा अयोध्या के आमजन का आर्थिक उन्नयन होगा। टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेण्टर का संचालन, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विपणन तथा रख-रखाव हेतु विशेषज्ञ संस्थाओं/निजी निवेशकों की आवश्यकता होगी। अतः टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेण्टर परियोजना के निर्माण व संचालन हेतु परियोजना को पी0पी0पी0 (सार्वजनिक निजी सहभागिता) मोड पर विशेषज्ञ संस्थाओं/निजी निवेशकों से विकसित कर संचालित किए जाने हेतु दिया जाना प्रस्तावित है।
अयोध्या एक विश्वस्तरीय धार्मिक/आध्यात्मिक नगरी है। विश्व प्रसिद्ध अयोध्या को भगवान श्रीराम की जन्मभूमि एवं कर्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है एवं उत्तर प्रदेश का एक आध्यात्मिक प्रमुख पर्यटन स्थल है। प्रत्येक हिन्दू अपने जीवन में कम से कम एक बार अयोध्या आकर दर्शन-पूजन की कामना रखता है।
ऽ अयोध्या विजन-2047 के अन्तर्गत प्रस्तावित अल्प व्यय सुविधाजनक बजट यात्री निवास, होटल, डॉरमेट्री, एम0पी0 थियेटर का निर्माण पूर्ण होने पर शैय्या की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी। श्रीराम जन्मभूमि पर मन्दिर निर्माण के कारण अयोध्या में दिनों-दिन पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। वर्तमान में अयोध्या में लगभग 30 होटल और लगभग 100 मन्दिरों की धर्मशालाएं हैं, जिसमें कुल मिलाकर लगभग 25,000 से अधिक शैय्या उपलब्ध हैं। अयोध्या में टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेण्टर के प्रस्तावित निर्माण के पूर्ण हो जाने के पश्चात् इसकी बेसमेण्ट पार्किंग में लगभग 250 कार पार्क की जा सकेंगी।
मंत्रिपरिषद ने वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा-38 ;टद्ध;4द्ध के अन्तर्गत रानीपुर वन्य जीव विहार के रूप में अधिसूचित क्षेत्र 23031.00 हेक्टेयर क्षेत्र को रानीपुर टाइगर रिजर्व के लिए कोर या अति महत्वपूर्ण बाघ प्राकृतवास एवं वन क्षेत्र के रूप में अधिसूचित अन्य 29958.863 हेक्टेयर क्षेत्र को रानीपुर टाइगर रिजर्व के बफर/वाह्य क्षेत्र के रूप में सम्मिलित करते हुए कुल 52898.863 हेक्टेयर क्षेत्र को रानीपुर टाइगर रिजर्व के रूप में घोषित करने की अधिसूचना के प्रख्यापन, रानीपुर टाइगर रिजर्व फाउण्डेशन के संगम ज्ञापन एवं नियमावली के गठन तथा फाउण्डेशन के संचालन हेतु एकमुश्त 50 करोड़ रुपये के कॉर्पस फण्ड की व्यवस्था तथा रानीपुर टाइगर रिजर्व के प्रशासनिक नियंत्रण हेतु व्यवस्था किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने इस सम्बन्ध में अन्य निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
ज्ञातव्य है कि रानीपुर टाइगर रिजर्व अधिसूचित होने के उपरान्त यह भारत सरकार की प्रोजेक्ट टाइगर योजना से आच्छादित हो जाएगा। प्रोजेक्ट टाइगर योजना के अन्तर्गत अनावर्ती व्यय 60ः40 तथा आवर्ती व्यय 50ः50 के अनुपात में केन्द्रांश व राज्यांश का प्राविधान है। राज्य सरकार की अधिसूचना की जारी होने की तिथि से रानीपुर टाइगर रिजर्व स्थापित हो जाएगा।
प्रस्तावित क्षेत्र में बाघ सहित अन्य विशिष्ट प्रकार के वन्य जीवों व पारिस्थितिकी का संरक्षण, संवर्धन तथा बुन्देलखण्ड क्षेत्र में ईको पयर्टन आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास होगा तथा प्राकृतिक वातावरण को बेहतर ढंग से सुरक्षित रखा जा सकेगा। वन्य जीव संरक्षण, ईको सिस्टम से ईको विकास, अनुसंधान, पर्यावरणीय शिक्षा के प्रति जनसामान्य प्रेरित एवं जागरूक होंगे।
प्रस्तावित क्षेत्र टाइगर रिजर्व के रूप में घोषित होने से समीपवर्ती पन्ना टाइगर रिजर्व से प्रयासित होने वाले बाघों का पुनर्वास सुरक्षित रूप से सुनिश्चित हो पाएगा, जिससे बाघों की जनसंख्या में वृद्धि होगी। ईको पर्यटन, संरक्षण एवं सुरक्षा सम्बन्धी कार्य, पारिस्थितिकीय विकास, नए संसाधनों के विकास से स्थानीय जनता हेतु प्रतिवर्ष रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
मंत्रिपरिषद ने ग्राम सचिवालय के सुदृढ़ीकरण व इसके माध्यम से दी जाने वाली सेवाओं के क्रियान्वयन सम्बन्धी प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ग्राम पंचायत में तैनात पंचायत सहायक के माध्यम से विभिन्न विभागों एवं ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल पर ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करायी जाती हैं। इस सेवा के सापेक्ष ग्राम पंचायत को प्रति सेवा 14.50 रुपये से 15.00 रुपये की आय होगी, जो ग्राम निधि में जमा होगी और उससे ग्राम पंचायतों की आय में वृद्धि होगी। सम्यक विचारोपरान्त उपरोक्त प्रस्ताव में कार्यहित में यह परिवर्तन करना आवश्यक समझा जा रहा है कि उक्त प्राप्त होने वाले 14.50 रुपये से 15.00 रुपये में से 05 रुपये पंचायत सहायक (डाटा इण्ट्री ऑपरेटर) को कार्यहित में प्रोत्साहन स्वरूप दिया जाए तथा शेष धनराशि ग्राम पंचायत के निर्धारित खाते में जमा की जाए।
ग्राम सचिवालयों की स्थापना प्रदेश की प्रत्येक 58,189 ग्राम पंचायतों में की जा रही है। इन सभी ग्राम पंचायतों में ग्राम सचिवालय सुचारु रूप से चल सके, इसके लिए पंचायत सहायकों की भी तैनाती की गई है। शासन के पत्र संख्या-1541/33-3-2022-989/2021 दिनांक 02 अगस्त, 2022 द्वारा ग्राम पंचायतों में स्थापित ग्रामीण सचिवालय के माध्यम से पंचायत सहायकों द्वारा कुल 243 योजनाएं/सेवाएं उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में दिशा-निर्देश निर्गत किए गए हैं।
ग्राम पंचायत द्वारा वित्त आयोग की अनटाइड ग्रान्ट/राज्य वित्त आयोग की धनराशि से 5000 रुपये की धनराशि कॉमन सर्विस सेण्टर के पंजीकरण एवं संचालन हेतु एक पृथक खाता खोलते हुए जमा करायी जाएगी, जिसका संचालन ग्राम प्रधान एवं पंचायत सचिव द्वारा किया जाएगा। इस धनराशि से पंजीकरण शुल्क, धरोहर धनराशि सम्बन्धित जिला सेवा प्रदाता (डी0एस0पी0) को दिया जाएगा। इस खाते में ऑनलाइन बैंकिंग एवं मोबाइल ऐप सक्रिय करते हुए डी0एस0पी0 के वॉलेट से लिंक किया जाएगा, उक्त वॉलेट में न्यूनतम 1000 रुपये की धनराशि हस्तान्तरित की जाएगी।
इस वॉलेट से ही सेवाओं हेतु निर्धारित शुल्क का ट्रांजेक्शन किया जाएगा। ग्राम पंचायत सहायक को वी0एल0ई0 के रूप में प्राप्त अंश जिला सेवा प्रदाता (डी0एस0पी0) द्वारा पृथक से खोले गये बैंक खाते में लिंक्ड वॉलेट में जमा कराया जाएगा तथा प्रत्येक ट्रांजेक्शन हेतु ग्राम पंचायत द्वारा उस अंश में से धनराशि 05 रुपये पंचायत सहायक को प्रोत्साहन धनराशि के रूप में भुगतान किए जाने का प्रस्ताव है।
मंत्रिपरिषद ने 50 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाले शासकीय भवनों के निर्माण कार्य को ई0पी0सी0 मोड में कराए जाने वाली प्रक्रिया के सरलीकरण के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ई0पी0सी0 मोड में कराए जाने वाले शासकीय भवनों के निर्माण कार्यों हेतु नियोजन विभाग के अन्तर्गत एक ई0पी0सी0 मिशन का गठन किया जाएगा, जो परियोजना की डी0पी0आर0 के गठन से लेकर परियोजना के क्रियान्वयन एवं पूर्ण होने तक उसकी मॉनीटरिंग के लिए उत्तरदायी होगा। ई0पी0सी0 मिशन एक प्रोजेक्ट मैनेजमेण्ट यूनिट (पी0एम0यू0) की तरह कार्य करेगा।
ई0पी0सी0 मिशन हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक गवर्निंग बॉडी होगी, जो इस सम्बन्ध में नीतिगत मार्गदर्शन के साथ-साथ परियोजनाओं के क्रियान्वयन में आने वाली समस्याओं का समाधान करेगी। ई0पी0सी0 मिशन की गवर्निंग बॉडी नीतिगत मार्गदर्शन, परियोजना के क्रियान्वयन में आ रही समस्याओं का निराकरण, परियोजना के कॉन्सेप्ट प्लान का अनुमोदन, परियोजना की प्रगति की समीक्षा तथा परियोजना प्रबन्धन का कार्य करेगी।
गवर्निंग बॉडी में स्थायी एवं अस्थायी प्रकृति के सदस्य होंगे। अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव गृह, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव राजस्व, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव वित्त, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव नियोजन, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव लोक निर्माण, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव सिंचाई, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव ऊर्जा, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव श्रम, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव वन गवर्निंग बॉडी के स्थायी सदस्य तथा परियोजनाओं से सम्बन्धित प्रशासकीय विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, जिनकी परियोजनाएं ई0पी0सी0 मोड में संचालित हो रही हैं, अस्थायी सदस्य होंगे।
ई0पी0सी0 मिशन के दैनिक कार्यों के निष्पादन के लिए अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव नियोजन विभाग की अध्यक्षता में एक कार्यकारी समिति होगी। कार्यकारी समिति के दायित्वों में प्रोजेक्ट मैनेजमेण्ट कन्सल्टेण्ट का चयन, टेण्डर की कार्यवाही तथा परियोजना की मॉनीटरिंग होगी। डी0पी0आर0 के गठन पर आने वाले व्यय हेतु धनराशि की व्यवस्था नियोजन विभाग के बजट में करायी जाएगी। कार्यकारी समिति की सहायता के लिए इसके अधीन एक तकनीकी सेल का गठन भी प्रस्तावित है। तकनीकी सेल के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा आवश्यक कार्मिक उपलब्ध कराए जाएंगे। भविष्य में कार्य की आवश्यकतानुसार अतिरिक्त मानव संसाधन का निर्णय नियोजन विभाग द्वारा वित्त विभाग के माध्यम से मुख्यमंत्री जी के अनुमोदन से लिया जाएगा। ई0पी0सी0 मिशन के सम्बन्ध में भविष्य में कोई भी परिवर्तन वित्त विभाग के माध्यम से मुख्यमंत्री जी केे अनुमोदन से नियोजन विभाग द्वारा किया जाएगा।
जनपद स्तर पर परियोजना की मॉनीटरिंग हेतु जिलाधिकारी के अधीन एक तकनीकी प्रकोष्ठ होगा, जिसमें लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, ग्रामीण अभियंत्रण एवं अन्य अभियंत्रण विभागों के अधिशासी अभियन्ता स्तर के अधिकारी होंगे। प्रकोष्ठ जिलाधिकारी को परियोजना की प्रगति एवं गुणवत्ता के सम्बन्ध में निर्धारित अवधि पर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। परियोजना की गुणवत्ता नियंत्रण हेतु जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाला तकनीकी प्रकोष्ठ, प्रोजेक्ट मैनेजमेण्ट कन्सल्टेण्ट, ई0पी0सी0 कॉन्ट्रैक्टर तथा थर्ड पार्टी ऑडिट द्वारा किया जाएगा।
डी0पी0आर0 का गठन यथासम्भव भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित होने पर किया जाएगा। परियोजना की सैद्धान्तिक सहमति के उपरान्त 06 माह में कार्य प्रारम्भ किया जाना सुनिश्चित किया जाएगा तथा कार्य प्रारम्भ होने के उपरान्त 18 माह के अन्दर कार्य को पूर्ण किया जाना सुनिश्चित किया जाएगा। परियोजना की लागत का पुनरीक्षण अनुमन्य नहीं होगा। ई0पी0सी0 मोड में भवन निर्माण हेतु जो निविदा आमंत्रित की जाएगी, उसमें राज्य सरकार/केन्द्र सरकार की निर्माण एजेन्सियों के साथ-साथ निजी क्षेत्र की तकनीकी रूप से अर्ह निर्माण एजेन्सियां प्रतिभाग कर सकंेगी।
प्रस्तावित व्यवस्था में परियोजना की डी0पी0आर0, उसका कॉन्सेप्ट एप्रूवल तथा परियोजना की मॉनीटरिंग का उत्तरदायित्व प्रशासकीय विभाग का होगा। ई0पी0सी0 मोड में शासकीय भवनों के निर्माण हेतु प्रस्ताव व्यवस्था में पूर्व की भांति फण्ड फ्लो के लिए मण्डल स्तर पर गठित लोक निर्माण विभाग की भवन प्रखण्ड (बिल्डिंग डिवीजन) की डी0सी0एल0 प्रणाली का उपयोग किया जाएगा।
मंत्रिपरिषद ने नगर पालिका परिषद मुजफ्फरनगर, जिला मुजफ्फरनगर की सीमा में ग्राम खानजहापुर, ग्राम मन्धेड़ा, ग्राम मीरापुर, ग्राम वहलना, ग्राम सूजडू, ग्राम सहावली, ग्राम सरवट, ग्राम कूकडा, ग्राम मुजफ्फरनगर, ग्राम शाहबुद्दीनपुर, ग्राम अलमासपुर, ग्राम बीबीपुर, ग्राम मुस्तफाबाद, ग्राम शेरनगर, ग्राम बिलासपुर के विभिन्न गाटों को सम्मिलित करते हुए सीमा विस्तार किए जाने विषयक अन्तिम अधिसूचना निर्गत किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
मंत्रिपरिषद द्वारा अधिसूचना की अन्तर्वस्तु में संशोधन/परिवर्तन की आवश्यकता होने पर आवश्यक संशोधन/परिवर्तन हेतु नगर विकास मंत्री को अधिकृत किया गया है।
मंत्रिपरिषद ने जनपद गोण्डा की नगर पंचायत कटरा का सीमा विस्तार किए जाने सम्बन्धी अन्तिम अधिसूचना निर्गत करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद द्वारा अधिसूचना निर्गत होने के उपरान्त कोई त्रुटि परिलक्षित होने पर आवश्यकतानुसार संशोधित/परिमार्जित किए जाने हेतु नगर विकास मंत्री को अधिकृत किया गया है।
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