मुंगराबादशाहपुर। श्रीराम के जन्म की लीला का मंचन मंत्रमुग्ध करने वाला रहा, बारिश में भी लीला देखने उमड़ा सैलाब
जौनपुर,मुंगराबादशाहपुर। मुंगराबादशाहपुर नगर में शुक्रवार को गुड़ाहाई में रामलीला के तीसरे दिन रामजन्म की लीला देखने के लिए उमड़ा सैलाब, बारिश में भारी पड़ा लोगों का आस्था। गुड़ाहाई में रामलीला मैदान में रात नौ बजे से ही रामजन्म की लीला देखने के लिए लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा, वहीं इंद्रदेव भी लीला में विघ्न डालने लगे, लेकिन लोगों के आस्था के आगे इंद्रदेव की एक न चली। श्रोता बारिश में भी रामजन्म की लीला देखने में इतना लीन हो गए कि उन्हें यह भी सुध नहीं रहा कि बारिश भी हो रही है। जैसे ही चारों भाइयों का जन्म महल में हुआ वैसे ही लोग एकटक चारों भाइयों को निहारते रहे हर कोई इस पल को अपने कैमरे में कैद कर लेना चाहता था। रामलीला के तीसरे दिवस भगवान श्रीराम के जन्म की लीला का मंचन मंत्रमुग्ध करने वाला रहा। गुरु वशिष्ठ अपने आश्रम में ध्यान मुद्रा में बैठे हैं। इसी बीच राजा दशरथ का प्रवेश होता है। गुरुदेव उनसे आगमन का कारण पूछते हैं।
इस पर राजा दशरथ कहते हैं गुरुदेव मेरा चौथापन आ गया है। मगर अब तक कोई संतान नहीं है। इस पर गुरुदेव उन्हें संतानोत्पत्ति के लिए यज्ञ कराने का निर्देश देते हैं। शृंगी ऋषि यज्ञ कराते हैं। यज्ञ सफल होने पर अग्निदेव प्रकट होते हैं और द्रव्य देकर राजा दशरथ से कहते हैं कि इसे अपनी रानियों को दे दीजिए, इसका सेवन करने से संतान अवश्य होगी। अगले दृश्य में दशरथ महल के अंत:पुर का भव्य दर्शन होता है। राजा दशरथ के द्रव्य देने के बाद रानियां उन्हें ग्रहण करती हैं। अगले दृश्य में भगवान विष्णु प्रकट होते हैं और कौशल्या हतप्रभ सी उनके दर्शन करती हैं। इस बीच मंच पर पार्श्व संगीत भए प्रकट कृपाला, दीनदयाला, कौसल्या हितकारी... गूंजने लगता है। पूरा दृश्य उल्लासित नजर आता है। माता कौशल्या कहती हैं- हे तात आप यह विराट रूप त्याग कर अत्यंत प्रिय बाललीला कीजिये। विष्णु जी अंतर्ध्यान होते हैं। फिर बच्चों के रोने की आवाजें सुनाई देती हैं और खुशी का संगीत बजने लगता है। अगले दृश्य में रामजन्म के समाचार से राजा दशरथ सहित संपूर्ण अयोध्या में खुशी छा जाती है। सुमंत महाराज दशरथ को बताते हैं कि महाराज प्रजा में हर्ष व्याप्त है, लोगों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। प्रजावासी नाचते-गाते हैं। अवधपुरी में आनंद हुआ है। राजकुमारों का जन्म हुआ है... घर-घर दीप जले मंगल द्वार सजे... गीत मंत्रमुग्ध करने वाला होता है।
रामलीला मंचन के क्रम में ही एक अन्य दृश्य में राजा दशरथ तीनों रानियों के साथ प्रभु राम की बाललीला का आनंद उठा रहे हैं। पार्श्व गीत ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजनिया... बाल लीला के दृश्य को जीवंत करता प्रतीत हो रहा था। इसके बाद एक अन्य दृश्य में चारों भाइयों का नामकरण संस्कार किया जाता है।
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