वृन्दावन।गोविंद घाट स्थित अखिल भारतीय श्रीहित निर्मोही बड़ा अखाड़ा (रासमंडल) पर ब्रज अधिष्ठात्री राधा रानी का छठी महोत्सव विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ सम्पन्न हुआ।
श्रीमहंत श्रीहित लाड़िली शरण महाराज के पावन सानिध्य में आयोजित हुए इस महोत्सव में राधावल्लभीय समाज मुखिया राकेश महाराज की मुखीयायी में मंगल बधाई समाज गायन हुआ।जिसमें प्रख्यात राधावल्लभीय वाणी कारों द्वारा रचित बधाइयों का संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य गायन किया गया।साथ ही सखियों के द्वारा अत्यंत मनोहारी नृत्य किया गया।"राधा प्यारी नै जन्म लियौ है - "राधा प्यारी नै जन्म लियौ है।" के जय घोष से समूचा महोत्सव स्थल गूंज उठा।मेवा-मिष्ठान्न, रुपए-कपड़े, खेल-खिलौने, वस्त्र-बर्तन आदि लुटाए गए।
श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज व बाद स्थित श्रीहित हरिवंश महाप्रभु की जन्मभूमि आश्रम के महंत दंपति शरण काका महाराज ने कहा कि राधा रानी ब्रज की आराध्या हैं।वह भगवान श्रीकृष्ण की भी पूज्य हैं।उनके बगैर ब्रज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
ब्रज साहित्य सेवा मंडल के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा ने कहा कि श्रीराधावल्लभ सम्प्रदाय में श्रीराधाजी को ही सर्वोपरि माना गया है।उनके अनुसार श्रीराधा की उपासना के बिना श्रीकृष्ण तत्व की प्राप्ति कर पाना असम्भव है।
श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज व रसिक माधव दास महाराज ने कहा कि श्रीजी की महिमा वेदों और पुराणों में भी गाई गई है।रसिक संतों की वाणियों में उन्ही की महत्ता का विस्तार से वर्णन है। वर्तमान में भी ब्रज में वास करने वाले ब्रजवासियों की प्राणधन श्रीराधा रानी ही हैं।
इस अवसर पर धीरसमीर के श्रीमहंत मदनमोहन दास महाराज, रासाचार्य देवेंद्र वशिष्ठ, इंद्र शर्मा, पत्रकार दिनेश सिंह तरकर,मुखिया किशोरी शरण भक्तमाली, डॉ. हरप्रसाद द्विवेदी,आचार्य विष्णुमोहन नागार्च, सिंहपौर हनुमान मन्दिर के महंत सुंदरदास महाराज,भागवताचार्य हरेकृष्ण शर्मा "शरद" एवं डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।महोत्सव में विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।महोत्सव का समापन संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं समष्टि (झंरा) भंडारे के साथ हुआ।
राजकुमार गुप्ता
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know