मथुरा ।।वृन्दावन।छीपी गली स्थित ठाकुर प्रियावल्लभ कुंज में श्रीहित परमानंद शोध संस्थान के द्वारा चल रहे त्रिदिवसीय श्रीराधा जन्म महोत्सव का विश्राम अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ।इस अवसर पर मंगल बधाई समाज गायन,दधिकांदा, सुमधुर भजनों का गायन,ढांडि-ढांडिन नृत्य आदि के आयोजन किए गए।साथ ही मेवा-मिष्ठान्न, वस्त्र,बर्तन,खिलौने एवं रुपए आदि लुटाए गए।इसके अलावा ठाकुर प्रियावल्लभ महाराज व ठाकुर विजय राधा वल्लभ महाराज का अत्यंत दिव्य व भव्य श्रृंगार किया गया। उन्हें नवीन पोशाक व आभूषण धारण कराये गए। मन्दिर परिसर "राधा प्यारी नै जन्म लियौ है,राधा प्यारी नै जन्म लियौ है।" की जय घोष से गूंज उठा।संत ब्रजवासी वैष्णव सेवा भी की गई।
समापन समारोह में संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य विष्णुमोहन नागार्च व समन्वयक डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि प्रियावल्लभ कुंज में प्रतिवर्ष राधा जन्मोत्सव मनाए जाने की परम्परा अति प्राचीन है।18 वीं शताब्दी के रस सिद्ध संत श्रीहित परमानंद दास महाराज की सद्प्रेरणा से यह महोत्सव प्रतिवर्ष अत्यंत धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।जिसमें देश के विभिन्न प्रांतों के असंख्य भक्त-श्रद्धालु भाग लेते हैं।
भागवताचार्य श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च एवं संस्थान के महामंत्री व पार्षद श्रीहित रसिक वल्लभ नागार्च ने कहा कि हमारे श्रीराधा वल्लभीय सम्प्रदाय में श्रीराधा रानी को ही सर्वोपरि माना गया है।साथ ही ब्रज में चारों ओर उन्ही की महिमा व्याप्त है।हम लोग यहां प्रतिवर्ष श्रीराधा जन्मोत्सव मनाकर अत्यंत हर्ष व आनंद की अनुभूति करते हैं।
ब्रज भावना ट्रस्ट के अध्यक्ष आचार्य युगल किशोर शर्मा व प्रमुख समाजसेवी आचार्य रासबिहारी मिश्रा ने कहा कि विभिन्न धार्मिक ग्रथं श्रीराधा रानी की महिमा से ओतप्रोत हैं।उनका स्मरण सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने वाला है।इसीलिए उनके दर्शनों के लिए विश्व के प्रत्येक कोने से अंसख्य भक्त-श्रद्धालु राधाष्टमी के अवसर ब्रजभूमि में आते हैं।
महोत्सव में श्रीराधावल्लय सम्प्रदायाचार्य टिकैत अधिकारी श्रीहितमोहित मराल गोस्वामी,युवराज श्रीहित शोभित गोस्वामी,श्रीहित श्यामबिहारी खंडेलवाल, श्रीहित जस अलि शरण,पुरुषोत्तम शाह, अलवेली सखी,युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा, भरत शर्मा, तरुण मिश्रा, हितवल्लभ नागार्च, कीर्ति नागार्च, प्रिया मिश्रा, चित्रा शर्मा, हितानंद नागार्च, रसानंद नागार्च, बलराम नागार्च, प्रेमानंद नागार्च, पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ, महंत मधुमंगल शरण शुक्ल, दिव्यानंद नागार्च आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।महोत्सव का समापन समष्टि (झंरा) भंडारे के साथ हुआ।

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