जौनपुर। किसान के बेटे ने गांव की मंदिर में पढ़कर पास की नीट परीक्षा, रैंक भी आया अव्वल
जौनपुर। जिले का एक होनहार बेटा गांव की मंदिर के बरामदे में पढ़कर पहले ही प्रयास में नीट में सफलता हासिल किया है। उसे 720 अंको में से 613 अंक मिला है इस हिसाब से उसकी रैंक 15 हजार 203 आई है। इस बच्चे का भाग्य विधाता और पथ प्रर्दशक बने उसके गांव के रहने वाले डॉ अखिलेश मोदवाल, श्री मोदवाल पी बी पीजी कालेज प्रतापगढ़ में रसायन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर है। प्रतिभावान छात्र के पिता छोटे किसान है माता गृहणी हैं। इस बच्चे का भाग्य उदय हुआ दूसरे कोरोनाकाल के लॉक डाउन में, जिला मुख्यालय से करीब पचास किलोमीटर दूरी पर स्थित सुजानगंज थाना क्षेत्र के अरूवां गांव के निवासी मगन लाल यादव का पुत्र सचिन यादव इण्टर तक की पढ़ाई मैथ से किया था।
आगे की पढ़ाई के लिए वह चिंतित था कि आगे पढ़ाई कैसे किया जाय फिलहाल वह इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा था। इसी बीच कोरोना की दूसरी लहर के कारण पूरे देश में पुनः लॉक डाउन लग गया। लॉक डाउन के चलते डा0 अखिलेश मोदवाल भी गांव आ गए। गांव आने के बाद वे उनका समय नही कट रहा था, तब उन्होने गांव के बच्चो को पढ़ाने की सोची। उन्होने गांव के ही श्री हनुमान मंदिर के बरामदे को पाठशाला बनाकर बच्चो को फ्री कोचिंग पढ़ाने लगे। सचिन भी पढ़ने के लिए आने लगा। डॉ अखिलेश ने उसकी प्रतिभा को परखने के बाद उसे बायोलॉजी विषय से पुनः इण्टर की पढ़ाई करने का सलाह दिया। अपने गुरू की बात मानकर सचिन ने जीआईसी प्रयागराज में दाखिला लिया उसके बाद इण्टर और नीट की तैयारी एक साथ करने लगा। अखिलेश मोदवाल का मार्ग दर्शन और उसकी कड़ी मेहनत का परिणाम रहा कि वह पहले की प्रयास में नीट की परीक्षा पास कर लिया। उसे 720 अंको में से 613 अंक मिला है इस हिसाब से उसकी रैंक 15 हजार 203 आई है। सचिन का सफलता मिलते ही गांव में खुशियों की बारात आ गयी है उधर सचिन के लिए भाग्य विधाता बने डॉ अखिलेश मोदवाल की जय जयकार हर तरफ हो रही है। हिन्दी संवाद न्यूज़ सचिन से फोन पर बात किया तो उस उसने बताया कि मैं इस समय अपने जानवरो को चराने के लिए सिवान में आया हूं। जब उसकी सफलता के बारे बात किया तो उसने डॉ अखिलेश को अपना भगवान बताते हुए कहा कि मैं गरीब परिवार से हूं मेरे पिता मगन लाला यादव किसान है खेत मात्र दो बीघा है जिससे केवल खाने के लिए अन्न पैदा होता है। गरीबी कारण मैं इण्टर के बाद आगे की पढ़ाई को लेकर चिंतित था इंजीनियरिंग की तैयारी घर पर कर रहा था। इसी बीच लॉक डाउन लग गया। डॉ अखिलेश मोदनवाल गांव आ गए थे। उन्होने मुझे और गांव के कई बच्चो को मंदिर पर पढ़ाने लगे। उनके कहने पर मैने बायोलॉजी से पुनः इण्टर किया उसी के साथ नीट की तैयारी शुरू कर दिया था। सचिन बताया कि परीक्षा के एक माह पहले मेरे छोटे भाई ब्लड कैंसर के चलते मौत हो गयी थी नही और अच्छा परिणाम आता। सचिन की सफलता के क्रम में डॉ अखिलेश मोदनवाल बताते हैं कि लाकडाउन के दिनों में जब मेरे जीवन में ही नहीं बल्कि पूरे संसार में, जहाँ जान लेवा नेगेटिविटी तरंगें हिलोरे मार रही थी और इसी बीच मेरे एकांतवास स्थान, श्री हनुमान मंदिर गोपालपुर हलवाई का पक्का तालाब पर कोचिंग पढ़ने हेतु मेरे जूनियर शिक्षक सर्वजीत ने अपना स्टूडेंट मेरे पास इंजीनियरिंग की तैयारी करने के लिए भेजे परंतु मेरे मार्गदर्शन में आकर सचिन ने नीट 2022 की तैयारी करने लगा जिसके कारण उसके रिश्तेदार तक नाराज़ हो गए कि किसके चक्कर में पड़ गये? इंजीनियरिंग एंट्रेंस की पढ़ाई करवाते वक्त मेरी गाँव में ही कुछ क्रांति करने करने का उत्साह जगा कि अब यही से डॉक्टर इंजीनियर बनाया जाए। इस मिशन के लिए सचिन ने अपने सारे दोस्तो को जो पढ़ने में उससे बहुत तेज थे और जो भविष्य में कोटा, कानपुर जाने का सपना लिए बैठे थे सबको गांव में आकर मोदनवाल से पढ़ने हेतु, तैयारी हेतु आने का निमंत्रण दिया परंतु पढ़ने के बजाय अधिकतर ने इस बात का उपहास ही उड़ाया कि गांव में कौन कैसे तैयारी करायेगा? कुछ स्टूडेंट आये भी तो इस फायदे मे आये अभी लॉक डाउन में पढ़ लेते है उसके बाद कोटा तैयारी के लिए जाएंगे। वो सब कहाँ है कुछ पता नहीं। जो बच्चा मैथमेटिक्स इंटर पास है बायलॉजी उसे आती नहीं और डेढ़ साल के भीतर नीट 2022 मे सफलता पाना नया इतिहास टॉप करने के सामान है। मजे की बात यह है कि मंदिर के एक छोर पर जहां सचिन और उसके कुछ साथी मेडिकल और इंजीनियरिंग के सपने बोल रहे थे दूसरे छोर पर लगातार गांव के अधिकतर लोग आकर ताश की पत्ती खेलते थे और डिस्टर्ब कर रहे थे लेकिन ताश की पत्ती खेलने वाले थक हार कर हम अपने घर चले जाते थे लेकिन सचिन की पढ़ाई उसके भी बात घंटे तक चलती रहती थी मेरे पास और कुछ समय बाद ताश की पत्ती खेलने वाले भी संकोच करने लगे।
सचिन के माता नगीना बताती हैं दिन रात पढ़ता था ना खाने का फिक्र न सोने का हमे तो बड़ी चिंता रहती थी। पिता मगन लाल बताते है सचिन एक आदर्श पुत्र है जिस पर मुझे गर्व है और उसके टीचर को बहुत बहुत धन्यवाद जो समय समय पर सही रास्ता दिखाएं।
सचिन यादव ऐसे विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा बन गया जो पैसों की अभाव में कोचिंग का सहारा नहीं ले पाते और निराश हताश हो जाते हैं ऐसे में सचिन की कहानी अपने आप में प्रेरणा देती है।
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