क्या ब्रह्माण्ड की रचेता माँ कुष्मांडा हैं - जानते हैं सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्राजी से
सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल
इंटरनेशनल वास्तु अकडेमी
सिटी प्रेजिडेंट कोलकाता
यूट्यूब: वास्तुसुमित्रा
दुर्गा-पूजामें प्रतिदिनका वैशिष्ट्य महत्व है और हर दिन एक देवी का है। नवरात्रि के ९ दिनों में मां दुर्गा के ९ रूपों की पूजा होगी। २९ सितंबर: चतुर्थी को मां कुष्मांडा की पूजा होगी।
माँ कुष्मांडा का स्वरुप
माँ कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डि, धनुष, बाण, कमि-पुष्प, अमृतपूणणकिश, चक्र तथा गदा है,आठवें हाथ में सभी सद्धियों और निधियां को देने वाली जप माला है।कुष्मांडा देवी का वाहन सिंह है।
क्या कुष्मांडा देवी सूर्य मंडल के भीतर वास करती हैं
सूर्य लोक में केवल एक हे देवी हैं कुष्मांडा। सूर्य के तेज को अपने में समाहित करने वाले देवी माँ कुष्मांडा सूर्य के सामान दैदीप्यमान है। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है।
क्या माँ कुरमंदा सृष्टि की रचेता हैं
माँ कुष्मांडा ने ही अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न किया। जब सृत्रि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी नेअपने ईषत् हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इनका नाम सृत्रि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति पड़ा।
माँ कुष्मांडा की आराधना करने से क्या विशेष फल प्राप्त होता है
माँ कुष्मांडा की आराधना करने से रोगों और शोकों का नाश होता है तथा आयु, यश, बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
माँ के पूजन की विशेष सामग्री
माँ को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है ।संस्कृत में कुम्हड़े को कुष्मांड कहते हैं। मधुपर्क, तिलक नेत्रज्ज़न चढ़ाएं। माँ को हरा रंग बहुत पसंद है। हरे रंग की चीजे चढ़ाये जैसे की मोसम्बी, हरा केला, अंगूर और सरीफा।
सभी मनोकामनाओ की पूर्ति के लिए क्या करें
माँ को नारियल अवश्य चढ़ाएं और मन से पूजा करें, माँ बहुत ही अलप सेवा से प्रसन्ना हो जाती है।
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