कला जगत के लिए प्रेरणा स्थली बनेगा लता मंगेशकर चौक: प्रधानमंत्री
अयोध्या में लता मंगेशकर चौक के लोकार्पण अवसर पर प्रधानमंत्री ने दिया
वीडियो संदेश
रामचरित मानस में लिखा है 'राम ते अधिक राम कर दासा', इसीलिए राममंदिर
से पहले बन गया लता जी का स्मारक: पीएम
लता जी के भजनों में उनका कंठ ही नहीं, आस्था, आध्यात्मिकता और पवित्रता
भी है गूंजती: प्रधानमंत्री
साधना लता जी ने की, वरदान हम सबको मिला: पीएम मोदी
यह चौक, यह वीणा, अयोध्या के विकास और अयोध्या की प्रेरणा को भी और
अधिक गुंजायमान करेगी: पीएम
राम हमारी नैतिकता के, हमारे मूल्यों, हमारी मर्यादा, हमारे कर्तव्य के जीवंत
आदर्श: मोदी
अयोध्या/लखनऊ, 28 सितंबर:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारतरत्न लता मंगेशकर, मां सरस्वती
की एक ऐसी साधिका थीं, जिन्होंने पूरे विश्व को अपने दिव्य स्वरों से अभिभूत
कर दिया। साधना लता जी ने की, वरदान हम सबको मिला। अयोध्या में लता
जी के नाम पर बना चौक, हमारे देश में कला जगत से जुड़े लोगों के लिए प्रेरणा
स्थली की तरह कार्य करेगा। यह बताएगा कि भारत की जड़ों से जुड़े रहकर,
आधुनिकता की ओर बढ़ते हुए, भारत की कला और संस्कृति को विश्व के कोने-
कोने तक पहुंचाना, यह भी हमारा कर्तव्य है।
बुधवार को भारतरत्न लता मंगेशकर चौक, अयोध्या के लोकार्पण समारोह
में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो संदेश के माध्यम से अपनी शुभकामनाएं दीं।
लता जी के लोकप्रिय भजन ''मन की अयोध्या तब तक सूनी, जब तक राम ना
आए'' की याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अयोध्या के भव्य मंदिर में
श्रीराम आने वाले हैं। और उससे पहले करोड़ों लोगों में राम नाम की प्राण प्रतिष्ठा
करने वाली लता दीदी का नाम, अयोध्या शहर के साथ हमेशा के लिए स्थापित
हो गया है। रामचरितमानस में कहा गया है- 'राम ते अधिक राम कर दासा'।
अर्थात्, राम जी के भक्त राम जी के भी पहले आते हैं। संभवत: इसलिए, राम
मंदिर के भव्य निर्माण के पहले उनकी आराधना करने वाली उनकी भक्त लता
दीदी की स्मृति में बना ये चौक भी मंदिर से पहले ही बन गया है।
चौक के विकास पर खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि जिस जगह
पर लता चौक विकसित किया गया है, वो अयोध्या में सांस्कृतिक महत्व के
विभिन्न स्थानों को जोड़ने वाले प्रमुख स्थलों में से एक है। ये चौक, राम की पैड़ी
के समीप है और सरयू की पावन धारा भी इससे बहुत दूर नहीं है। लता दीदी के
नाम पर चौक के निर्माण के लिए इससे बेहतर स्थान और क्या होता! चौक
परिसर में सरोवर के प्रवाहमय जल में संगमरमर से बने 92 श्वेत कमल, लता जी
की जीवन अवधि को दर्शा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत की हजारों वर्ष पुरानी
विरासत पर गर्व करते हुए, भारत की संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाना, ये भी
हमारा दायित्व है। इसके लिए लता दीदी जैसा समर्पण और अपनी संस्कृति के
प्रति अगाध प्रेम अनिवार्य है। भारत के कला जगत के हर साधक को इस चौक से
बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। लता दीदी के स्वर युगों-युगों तक देश के कण-कण
को जोड़े रखेंगे।
अयोध्या में 'लता चौक' के लोकार्पण पर योगी सरकार की सराहना करते
हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस तरह लता दीदी हमेशा नागरिक कर्तव्यों को
लेकर बहुत सजग रहीं, वैसे ही अयोध्या में लोकार्पित लता मंगेशकर चौक भी
अयोध्या में रहने वाले लोगों को, अयोध्या आने वाले लोगों को कर्तव्य-परायणता
की प्रेरणा देगा। यह चौक, यह वीणा, अयोध्या के विकास और अयोध्या की
प्रेरणा को भी और अधिक गुंजायमान करेगी।
दीदी के भजनों ने हमारे अंतर्मन को बनाया राममय: मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे अयोध्या ने इतने युगों बाद भी राम को हमारे
मन में साकार रखा है, वैसे ही लता दीदी के भजनों ने हमारे अन्तर्मन को
राममय बनाए रखा है। मानस का मंत्र 'श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन, हरण भव
भय दारुणम्' हो, या मीराबाई का 'पायो जी मैंने राम रतन धन पायो',
अनगिनत ऐसे भजन हैं, बापू का प्रिय भजन 'वैष्णव जन' हो, या फिर जन-जन
के मन में उतर चुका 'तुम आशा विश्वास हमारे राम', ऐसे मधुर गीत हों! लता जी
की आवाज़ में इन्हें सुनकर अनेकों देशवासियों ने भगवान राम के दर्शन किए हैं।
हमने लता दीदी के स्वरों की दैवीय मधुरता से राम के अलौकिक माधुर्य को
अनुभव किया है। संगीत में ये प्रभाव केवल शब्दों और स्वरों से नहीं आता। ये
प्रभाव तब आता है, जब भजन गाने वाले में वो भावना हो, वो भक्ति हो, राम से
वो नाता हो, राम के लिए वो समर्पण हो। इसीलिए, लता जी द्वारा उच्चारित
मंत्रों में, भजनों में केवल उनका कंठ ही नहीं बल्कि उनकी आस्था, आध्यात्मिकता
और पवित्रता भी गूँजती है। उन्होंने कहा कि लता दीदी की आवाज में आज भी
'वन्दे मातरम' का आह्वान सुनकर हमारी आंखों के सामने भारत माता का
विराट स्वरूप नजर आने लगता है।
याद किया राम मंदिर शिलान्यास का समय, कहा आनंद में थीं लता
लता जी के जन्मदिन मौके पर प्रधानमंत्री ने उनसे जुड़ी स्मृतियाँ भी साझा
कीं। कहा कि, जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन संपन्न हुआ
था, तो मेरे पास लता दीदी का फोन आया था। वो बहुत भावुक थीं, बहुत खुश
थीं, बहुत आनंद में भर गई थीं और बहुत आशीर्वाद दे रही थीं। उन्हें विश्वास
नहीं हो रहा था कि आखिरकार राम मंदिर का निर्माण शुरू हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि जब भी मेरी उनसे बात होती, उनकी वाणी की युग-
परिचित मिठास हर बार मुझे मंत्र-मुग्ध कर देती थी। दीदी अक्सर मुझसे कहती
थीं- 'मनुष्य उम्र से नहीं कर्म से बड़ा होता है, और जो देश के लिए जितना ज्यादा
करे, वो उतना ही बड़ा है'। मैं मानता हूँ कि अयोध्या का ये लता मंगेशकर चौक,
और उनसे जुड़ी ऐसी सभी स्मृतियां हमें देश के प्रति कर्तव्य-बोध का भी अहसास
करवाएँगी।
पूरे देश को रोमांचित कर रही हैं राम मंदिर की तस्वीरें
अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीरामजन्मभूमि मंदिर को लेकर देशभर में
उत्सुकता का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रभु राम हमारी सभ्यता के
प्रतीक पुरुष हैं। राम हमारी नैतिकता के, हमारे मूल्यों, हमारी मर्यादा, हमारे
कर्तव्य के जीवंत आदर्श हैं। अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक, राम भारत के कण-
कण में समाये हुये हैं। भगवान राम के आशीर्वाद से आज जिस तेज गति से भव्य
राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, उसकी तस्वीरें पूरे देश को रोमांचित कर रही
हैं। ये अपनी 'विरासत पर गर्व' की पुनर्प्रतिष्ठा भी है, और विकास का नया
अध्याय भी है। खास मौके पर पीएम ने अयोध्यावासियों से अपनी अपेक्षाएं भी
साझा कीं। उन्होंने कहा कि देश के कोटि-कोटि लोग अयोध्या आने वाले हैं, आप
कल्पना कर सकते हैं अयोध्यावासियों को अयोध्या को कितना भव्य बनाना
होगा, कितना सुंदर बनाना होगा, कितना स्वच्छ बनाना होगा और इसकी
तैयारी आज से ही करनी चाहिए और ये काम अयोध्या के हर नागरिक को करना
है, हर अयोध्यावासी को करना है, तभी जाकर अयोध्या की आन बान शान, जब
कोई भी यात्री आएगा, तो राम मंदिर की श्रद्धा के साथ-साथ अयोध्या की
व्यवस्थाओं को, अयोध्या की भव्यता को, अयोध्या की मेहमान नवाजी को
अनुभव करके जाएगा। इसके लिए अयोध्या के भाई और बहन अभी से तैयारियां
शुरू कर दें।
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