औरैया // धान की फसल में आने वाली प्रमुख बीमारियों एवं कीटों की रोकथाम हेतु कृषि विज्ञान केंद्र के पौध संरक्षण विशेषज्ञ अंकुर झा ने बताया कि किसान भाई अपनी धान की फसल में बीमारियों एवं कीटों की रोक थाम हेतु निम्नलिखित उपाय एवं सावधानियां अपनाएँ जिससे धान की फसल में आने वाली बीमारियों एवं कीटों के प्रकोप को रोका जा सके।
1 - धान की फसल में तना गलन रोग की रोकथाम हेतु तत्काल खेतो का पानी निकाल दें और सांयकाल में ट्यूबेकोनाजोल नामक दवा को 30 ग्राम को प्रति 15 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
2 - धान की फसल में झुलसा रोग की रोकथाम हेतु तत्काल खेतो का पानी निकाल दें और सांयकाल में डायफेनोकोनाजोल 25% ई.सी. 8-10 ग्राम को प्रति 15 लीटर पानी में घोलकर सांयकाल के समय छिड़काव करें।
3 - धान की फसल में कंडुआ रोग की रोकथाम हेतु तत्काल खेतो का पानी निकाल दें और उर्वरकों का प्रयोग रोक दें एवं सायंकाल के समय ट्यूबोकोनाजोल 25 % डब्लू.जी. 350 मि.ली. नामक दवा को प्रति एकड़ की दर से पानी में घोलकर छिड़काव फसल में दो बार करें जो की प्रथम छिड़काव धान की बाली निकलने की प्रारम्भिक अवस्था में और दूसरा छिड़काव पंद्रह से बीस दिन कि बाद करें यदि फसल में रोग आ गया हे तो कंडुआ बीमारी से ग्रसित पौधों को अतिशीघ्र खेत से निकालकर नष्ट कर दें।
4 - धान की फसल में शूट बोरर अथवा पीले रंग की सूड़ी अथवा पत्ती लपेटक सूड़ी की रोकथाम हेतु निम्न कीटनाशकों का शायंकाल के समय खेतों का पानी निकालकर छिड़काव करें क्लोरेंट्रानिलिप्रोले 0.4% जी.आर. नामक दवा को 4 किग्रा. प्रति एकड़ की दर से सायंकाल के समय छिड़काव करें।
5 - धान में भूरे फुदके से बचाव के लिए खेत में पानी निकाल दें इम्डाक्लोरपिड 8 मिली. प्रति 15 ली. अथवा फिप्रोनिल 0.3 जी. 8 किग्रा. प्रति एकड़ की दर से सायंकाल के समय प्रयोग करें।
6 - गन्धी बग की रोकथाम हेतु सर्वप्रथम खेत का पानी निकाल कर मिथाइल पैराथियान 2 प्रतिशत को 8 किग्रा. प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें अथवा फेनवेलरेट 0.4 प्रतिशत धूल को 8-10 किग्रा. प्रति एकड़ की दर से टॉप ड्रेसिंग करें।
अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ग्वारी अछल्दा औरैया के संरक्षण विशेषज्ञ अंकुर क्षा से सम्पर्क करें।
ब्यूरो रिपोर्ट :- जितेन्द्र कुमार
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