मुंगराबादशाहपुर। ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए राम ने किया ताड़का और सुबाहु का वध

जौनपुर,मुंगराबादशाहपुर। नगर के मोहल्ला गुड़ाहाई में रामलीला मंचन के चतुर्थ दिन शनिवार को बेहद सुंदर और आकर्षक ढंग से मंचन किया गया जिसमें,ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए राम ने किया ताड़का और सुबाहु का वध यह लीला देख लोग गदगद हो गए। 

गुड़ाहाई की ऐतिहासिक रामलीला मैदान में लीला के चतुर्थ दिन कलाकारों के द्वारा बेहद शानदार अभिनय किया गया। इसके पूर्व रामलीला का शुभारंभ इक्यावन दीपों से राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न चारों भाइयों की आरती उतारी गई,इसके पश्चात तड़का व सुबाहु का मंचन किया गया। ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए प्रभु श्रीराम की ओर से ताड़का-सुबाहु वध के मंचन का चित्रण किया गया है।


रामलीला मंचन के चतुर्थ दिन राक्षसों की प्रताड़ना से दुखी ऋषि-मुनियों ने रक्षा के लिए मुनि विश्वामित्र से गुहार लगाई। इस पर मुनि विश्वामित्र महाराजा दशरथ के दरबार में जाते हैं। राजा दशरथ उन्हें राज सिंहासन पर विराजमान करवाते हैं। फिर श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न को बुलाकर उन्हें मुनि विश्वामित्र का आशीर्वाद दिलाते हैं। वह ऋषि मुनियों की राक्षसों से रक्षा के लिए श्रीराम और लक्ष्मण को साथ भेजने के लिए कहते हैं। तभी दुखी मन से राजा दशरथ पीड़ा बयां करते हुए कहते हैं, चाहे मेरे प्राण ले लें, मुझे तनिक भी भय नहीं परंतु कठोर व भयानक राक्षसों के बीच अपने पुत्रों को मैं भला कैसे जाने दूं।

गुरु वशिष्ठ के समझाने पर राजा दशरथ ने बोझिल मन से श्रीराम व लक्ष्मण को विश्वामित्र के साथ जाने की आज्ञा प्रदान की। श्रीराम व लक्ष्मण को देखते ही ताड़का राक्षसी हुंकारते हुए उनकी ओर दौड़ी। श्रीराम के एक ही बाण से उसका वध हो गया। इसके बाद श्रीराम मुनि विश्वामित्र से भूख-प्यास से विचलित न होने एवं बल प्राप्ति की मंत्र विद्या प्राप्त करते हैं। साथ ही ऋषियों से निर्भय होकर यज्ञ करने को कहते हैं। ताड़का का पुत्र मारीच सेना लेकर श्रीराम से युद्ध करने पहुंचता है, लेकिन राम के बाण के प्रहार से वह समुद्र पार लंका में जा गिरा। श्रीराम सुबाहु का भी उसकी सेना सहित वध कर देते हैं। खुशी से देवगण आकाश से ही श्रीराम की जय-जयकार करते हैं।

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