शायर रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी की जयंती पर इलाहाबाद में बहराइच के दो साहित्यकार सम्मानित किए गए।



28 अगस्त रविवार को हिंदुस्तानी अकादमी में साहित्यिक संस्था "गुफ्तगू" की ओर से शायर डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी बहराइची (एकेडमिक रिसोर्स पर्सन तेजवापुर) कवयित्री श्रीमती रश्मि रोशन लखनवी (प्रधानाध्यापक) को "फिराक गोरखपुरी" सम्मान से नवाजा गया।दोनो साहित्यकारों को मोमेंटो, सम्मान पत्र और पुस्तके दी गई। इस मौके पर "आधुनिक भारत के ग़ज़ल कार" पुस्तक का विमोचन भी किया गया। इम्तियाज गाजी के संपादन में देश के 110 शायरों/कवियों की गजलें पुस्तक में संकलित की गई हैं ।
डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी बहराईची ने रघुपति सहाय उर्फ फिराक गोरखपुरी की जन्म तिथि पर उनकी शायरी, व्यक्तित्व कृतित्व का गुणगान किया।
हिंदुस्तानी अकैडमी सभागार में संस्था "गुफ्तगू" द्वारा आयोजित समारोह में पूर्व मंडल आयुक्त श्री बादल चटर्जी ने कहा कि फिराक गोरखपुरी मानवता में यकीन रखने वाले शायर हैं। उन्होंने अपनी शायरी में हर वर्ग हर धर्म का वर्णन किया है।
वाराणसी के सहायक डाक अधीक्षक मासूम रजा राशिदी ने फिराक को अद्वितीय रचनाकार बताया।
संयोजक इम्तियाज अहमद गाजी की संपादित पुस्तक "आधुनिक भारत के ग़ज़लकार" का विमोचन 
हुवा।अध्यक्षता  इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व उर्दू विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अली अहमद फातमी ने की। आपने बताया की 1972 से 1982 तक वह फिराक गोरखपुरी के साथ रहे।उनकी शायरी में मोहब्बत, इंसानियत,देशभक्ति,तरक्की और समाज को बेहतर बनाने की सोच झलकती थी।
डॉक्टर हसीन जिलानी गोरखपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने फिराक गोरखपुरी पर शोध पत्र पढ़ा। संचालन मनमोहन सिंह "तन्हा" ने किया।नरेश महारानी ने आभार ज्ञापित किया। द्वितीय सत्र में कवि सम्मेलन /मुशायरा हुआ।
वहीं अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ने शायर व कायस्थ कुल गौरव रघुपति सहाय "फिराक गोरखपुरी" की जन्म तिथि मनाई।महासभा के राजनीतिक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष कुमार नारायण ने कहा कि दैनिक जीवन में कड़वे सच और आने वाले कल के प्रति उम्मीद को फिराक ने अपनी शायरी में पिरोया है।
"मिजाज ए गुफ्तगू हर शख्स की हम जान लेते हैं।
जरा सी देर में हम आदमी पहचान लेते हैं।"
मुशायरे में अनिल मानव, रश्मि रश्मि "रोशन" लखनवी,रेशादुल इस्लाम,अफसर जमाल, अर्चना जायसवाल,शैलेंद्र जय, डॉक्टर इश्क सुल्तानपुरी,राज जौनपुरी, नीना मोहन श्रीवास्तव,  शिवाजी, डॉक्टर पंकज आदि दर्जनों शायरों ने शेर पढ़े।
सगीर अहमद सिद्दीकी ने पढ़ा_
अजीब दौर हकी़क़त को ख्वाब लिखने लगे।
फक़त चरागों को ही आफ़ताब लिखने लगे।
❤️
हमारे दौर के यह झूठे और फरेबी लोग।
सभी लुटेरों को इज़्ज़त मआब लिखने लगे।
❤️
जिन्होंने जान लुटा दी वतन परस्ती में।
उन्हीं को साजि़शन खा़ना ख़राब लिखने लगे।
❤️
गुनाह कैसे नज़र आएंगे हमें अब तो।
सभी मख़लूक का हम,अब हिसाब लिखने लगे।
❤️
सुख़न भी बेच दिया और क़लम भी बेच दिया।
ग़लीज़ लोगों को आ़ली जनाब लिखने लगे।
❤️
सगी़र बेच दिया ईंट भी हवेली की।
ज़मीर बेच के खुद को नवाब लिखने लगे।
❤️❤️❤️❤️❤️
डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच।
          गजल 2
बिछड़ कर जिंदगी से एक लम्हा टूट जाता है।
कि जैसे हाथ से छूटे तो शीशा टूट जाता है।
ग़लतफ़हमी में  आकर के बहुत मज़बूत रिश्ता भी।
यकीं जब अपना  खोता है भरोसा टूट जाता है।
वह अपने मंजि़ले मक़सूद तक पहुंचे भला क्यों कर।
हार के खौफ़ से जिस का इरादा टूट जाता है।
तुम्हें कैसे बताएं हाले दिल नाशाद है कितना।
कि जैसे आंख में रहकर के सपना टूट जाता है।
मैं तुमसे दूर रहकर इस तरह महसूस करता हूं।
कि जैसे शाख़ से कोई भी पत्ता टूट जाता है।
शीशे से भी है नाजुक सगी़र  इसको बचाना तुम।
कि अक्सर दूर रहने से भी रिश्ता टूट जाता है।
डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच

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