जौनपुर। शहीदों के मजारों पर लगेगे हर वर्ष मेले वतन पर मरने वाले का यही बाकी निशा होगा
शहीद जमींदार सिंह शहीद दिवस समरोह 16 अगस्त 2022 को
शहीद स्मारक धनियामऊ पुल काण्ड संक्षिप्त यात्रा वृत्तांत
जौनपुर। देश जंजीरो के गुलामी में जकड़ा हुआ था मां भारती अपनी स्वतंत्रता की पुकार तेज करती जा रही थी सैकड़ों बेटे अपनी जान हथेली पर लिए परतंत्रता की बेड़ियों को काट फेंकने के लिए जी जान से संघर्षरत थे। न जाने कितने शहीद हो चुके थे कितने शहीद होने के लिए राह पर अग्रसर थे। मां भारती के पुत्रों को देश कि आजादी के सिवा कुछ भी याद न था ,,न भूख ,,न प्यास,, न घर और परिवार बच्चे,, माता-- पिता याद था तो सिर्फ एक ही काम याद था बस भारत माता कि आजादी। संघर्ष कि ज्वाला पुरे देश में गांधी जी के विचारों के साथ धधक रही थीं। उसी उसम उत्तर प्रदेश के जिला जौनपुर थाना बख्शा ग्राम हैदरपुर पिता सुखदेव सिंह की दो संतानों में देश कि आजादी के सपने हिलोर मार रहीं थीं। बड़े पुत्र जिन्हें दुनिया आज शहीद जमींदार सिंह के नाम से जानती है वे बचपन में पढ़ाई में कुशल बुध्दि एवं खेलकूद में काफी रुचि रखते थे। उनकी शिक्षा दीक्षा राजा हरपाल सिंह महाविद्यालय सिंगरामऊ में अपने छोटे भाई अमलदार सिंह के साथ चल रही थी। सिंगरामऊ के राजा साहब जी का भी अपार स्नेह प्यार रहता था। पढ़ाई के साथ साथ भारत माता की आजादी के सपने हावी होते जा रहे थे। अपने दोस्तों के साथ हमेशा देश कि आजादी के चर्चे भी किया करते थे। इसी बीच शहीद जमींदार सिंह जी, पंडित रामनरेश शर्मा जी कई अन्य लोगों ने मिलकर बदलापुर थाने को लूटने का फैसला लिया। तारीख तय कि गई 16 अगस्त 1942 आसमान से मुसलाधार बारिश हो रही थी। क्रांतिकारीयो का एक टुकड़ा पंडित रामनरेश शर्मा के नेतृत्व में बदलापुर थाने कि तरफ़ रवाना हो गई और एक टुकड़ी जमींदार सिंह जी के नेतृत्व में धनियांऊ का पुल तोडने निकल पड़ी। जिससे बदलापुर थाने कि सहायता के लिए बख्शा थाने की टीम सहायता के लिए न पहुंच सके, पर भगवान को कुछ और ही मंजूर था। लगभग दो बजे से चार बजे के बीच में 150 क्रांतिकारी पुल तोड़ने में लगे हुए थे। उसी समय बख्शा थाने के इन्स्पेक्टर अपने फ़ोर्स के साथ पहुंचे। इन्स्पेक्टर वहां पर पुल न तोड़ने और लोगों को घर वापसी के लिए चेतावनी देने लगे। इतना सुनते ही क्रांतिकारी पुलिस पर ईंट और पत्थर चलाने लगे,जवाब में इन्स्पेक्टर हवाई फायरिंग करने लगे ..गोलियों कि आवाज सुनकर कुछ लोगों ने अपने को सुरक्षित स्थान पर लेके चले गए। गठीला बदन लिए जमींदार सिंह जी अपने साथियों के साथ पुलिस वाले पर टुट पड़े और हाथों -- मुक्कों से मारने लगे। इन्स्पेक्टर को जमींदार सिंह जी ने जमीन पर उठा कर पटक दिया। इन्स्पेक्टर अपनी बंदूक तानकर जमींदार सिंह के दाढ़ी में गोली चला दिया और मां भारती का वीर सपुत हिंदुस्तान जिंदाबाद हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हुए सदा सदा के लिए अमर हो गया। कितने उनके तमाम साथियों को अगरौरा में बबूल के पेड़ में बांधकर गोली मार दी गई। उनकी लाशें कई दिनों तक पेड़ों में लटकी रह गई। अन्य शहीदों में रामानंद, रघुराई , राम आधार, रामपदारथ चौहान और राम निहोर कोहर प्रमुख थे। 16 अगस्त 1942 को शहीद जमींदार सिंह दसवीं पास करके ग्यारहवीं में पहुंचे थे उस समय उनकी उम्र मात्र 16 से सत्तरह वर्ष थी। जल्द ही उनका विवाह श्रीमती प्रभू देवी जी के साथ हुआ था जिनके गर्भ में तीन माह का उनका वंश पल रहा था। जन्म के पश्चात उसका नाम क्रांति प्रताप सिंह रखा गया। अंग्रेजों के दमन के चलते शहीद जमींदार सिंह के छोटे भाई अमलदार सिंह जी को अपनी पढ़ाई छोड़कर मुम्बई जाना पड़ा। बड़ी कुर्बानीयो के बाद भारत देश आजाद हुआ। देश को आजाद कराने में कितने माताएं और बहनें विधवा हो गई। क्या बीती होगी उस समय उन परिवारों के उपर जिनके घर से 15 से 20 साल के बच्चे अपने देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों कि आहुति दे दिये??? तब जाकर भारत देश आजाद हुआ। आजादी के पश्चात अमलदार सिंह अपने कर्तव्यनिष्ठा के कारण आगे चलकर भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं भारतीय रेल मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाए गए। क्रांति प्रताप सिंह जी जय हिन्द इंटर कालेज तेजीबाजार से प्रवक्ता पद से सेवानिवृत्त हो गए और समाज सेवा करते हुए 69 वर्ष कि आयु में उनका स्वर्गवास हो गया। क्रांति प्रताप सिंह जी के पुत्र संजय सिंह घर पर ही खेती बाड़ी किसानी का कार्य करते थे। क्रांति प्रताप सिंह के चचेरे भाई जय सिंह वर्तमान समय में रेलवे विभाग में कार्यरत हैं और पुरी सिद्दत से समाज सेवा में लगे हुए हैं। शहीद जमींदार सिंह जी के पपोत्र डाॅ प्रभाव विक्रम सिंह अपने क्लीनिक के माध्यम से समाज सेवा में लगे हुए हैं और राजनीति में भी काफी सक्रिय हैं। डाॅ प्रभात विक्रम जी अपने क्लीनिक पर भी गरीब, मजदूर असहाय लोगों कि मदद करते रहते हैं अपने क्षेत्र में सभी के सुख दुःख में भाग लेते रहते हैं। हर समय डाॅ प्रभात विक्रम सिंह अन्याय के खिलाफ खड़े हो जाते हैं जाहे वह क्षेत्र का मामला हो या फिर राजनैतिक दल का मामला हो।
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