अपनी खुशियां और तेरे ग़म बाँट लेंगे।।
तू थक कर रुकने लगेगा तुझको साथ लेंगे।।
तू छोड़ फ़िक्र दुनियाभर की ये दोस्त।
वक़्त जैसा भी हो तू साथ है तो हम काट लेंगे।।
नही चाहिए ये बड़े बड़े सपनों के घर।
नही चाहिए ये पत्थर दिल और पत्थरों के शहर।।
क्या करें गे इन बड़ी गाड़ियों और दुसालों का।
अपनी फटी चद्दर ही फ़िर से साट लेंगे।।
वक़्त जैसा भी हो तू साथ है तो हम काट लेंगे।।
लौट आ तेरी ज़िन्दगी न गुजर जाए पैसा कमाने में।
थोड़ा सा नाम और थोड़ी शोहरत बनाने में।।
नही चाहिए ये महँगे होटलों में दारू की पार्टी।
रहेगा प्यार ये दोस्त तो चन्दा लगाकर,
ख़रीद सारी सुविधाएँ और ठाठ लेंगे।।
वक़्त जैसा भी हो तू साथ है तो हम काट लेंगे।।
मित्रता दिवस की हार्दिक बधाइयों सहित साथ और स्नेह बनाए रखने के लिए धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
ब्राह्मण आशीष उपाध्याय
#vद्रोही
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