मिट्टी के जबरिया कारोबार के मुखिया के विरुद्ध जिम्मेदार अधिकारी कौन सी कार्रवाई करते हैं।यह तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन वास्तविकता किसी से छिपी नहीं है। यह भी सच है कि पुलिस और तहसील प्रशासन का हस्तक्षेप खनन के मामलों में अहम होता है। किंतु यह भी जब कुंभकर्णी नींद में सो जाएं तो आखिर क्या हो। इससे प्रशासनिक सांठगांठ उजागर होती नजर आ रही है।
गौरतलब हो कि खनन कार्य के बीच में और पूरा होने के बाद मौके की जांच करने का दायित्व इन दोनों विभागों का होता है। लेकिन कोई भी विभाग मौके पर जाकर जांच नहीं करता है। जिसका फायदा उठाकर यह ठेकेदार मनमाने तरीके से मिट्टी का व्यापार करते हैं।
जब बात आती है अनुमति की तो सारी बातें हवा हवाई साबित हो जाती है।

एस डी एम रामनगर ने क्या कहा- जाने
थाना मोहम्मदपुर खाला व रामनगर सीमावर्ती गांव गगौरा में हो रहे खनन के संबंध में उपजिलाधिकारी रामनगर तान्या सिंह से बात की गई तो बताया कि गगौरा में हो रहे खनन की मुझे किसी भी तरह की जानकारी नहीं है, यदि ऐसा हो रहा है तो मैं अविलंब जांच करवाती हूं।
अब देखना है कि इन मिट्टी ठेकेदारों पर संबंधित अधिकारी आखिर कितना मेहरबान होते हैं।कुछ करए हसि की यू ही हवा में तीर मार देंगे

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