समयानुकूल शिक्षा का प्रकाश स्तम्भ बना महायोगी गोरखनाथ

विश्वविद्यालय

स्थापना के एक साल में ही रोजगारपरक पाठ्यक्रमों की लंबी सूची

कुलाधिपति योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में शोध-अनुसंधान के लिए

कई प्रतिष्ठित संस्थाओं से हुआ एमओयू


गोरखपुर, 27 अगस्त।

महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के एक साल में ही

समयानुकूल शिक्षा के प्रकाश स्तम्भ के रूप में प्रतिष्ठित हुआ है। भारतीय

संस्कृति और मूल्यों को संरक्षित-संवर्धित करते हुए आज की मांग के

अनुरूप रोजगारपरक शिक्षा के पाठ्यक्रमों को शुरू कर अल्प समय में ही

इस विश्वविद्यालय ने अपनी अलग पहचान कायम की है। इस

विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन व

उनके मार्गदर्शन में महज सालभर में बीएएमएस समेत दर्जनभर से अधिक

रोजगारपरक पाठ्यक्रमों की शुरुआत, शोध-अनुसंधान के लिए कई प्रतिष्ठित

संस्थाओं के साथ हुए एमओयू ने गोरखपुर को नॉलेज सिटी बनाने के लिए

इस संस्थान की प्रतिबद्धता दर्शायी है।


28 अगस्त 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों

लोकार्पित महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय एक साल में ही शिक्षा के

विशिष्ट व प्रमुख केंद्र के रूप में विख्यात हो चुका है। यहां भारतीय ज्ञान

मूल्यों का संरक्षण व संवर्धन, वर्तमान और भावी समय को ध्यान में

रखकर अनुसंधानिक तरीके से किया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के

परिप्रेक्ष्य में यहां पाठ्यक्रम ऐसे हैं जो समाज के लिए लाभकारी, विद्यार्थी


के लिए सहज रोजगारदायी हैं। इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति

(गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ की मंशा 2032 तक

गोरखपुर को 'नॉलेज सिटी' के रूप में ख्यातिलब्ध कराने की है।

उल्लेखनीय है कि 10 दिसम्बर 2018 को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के

संस्थापक सप्ताह समारोह में आए तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने

परिषद के शताब्दी वर्ष 2032 तक गोरखपुर को नॉलेज सिटी बनाने का

आह्वान किया था। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कदम

निवर्तमान राष्ट्रपति के आह्वान और अपने कुलाधिपति की मंशा के

अनुरूप आगे बढ़ चुके हैं।


गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंतद्वय के विचारों का प्रकल्प है विश्वविद्यालय

इस विश्वविद्यालय की नींव में युग पुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ

जी महाराज व राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज के विचार

हैं, जिनका मानना था कि दासता से मुक्ति, स्वावलंबन व सामाजिक

विकास के लिए शिक्षा ही सबसे सशक्त माध्यम है। वर्तमान

गोरक्षपीठाधीश्वर एवं कुलाधिपति योगी आदित्यनाथ इसी वैचारिक परंपरा

के संवाहक हैं। उनके मार्गदर्शन में इस विश्वविद्यालय का लक्ष्य भारतीय

ज्ञान मनीषा के आलोक में मूल्य संवर्धित, रोजगारपरक उस शिक्षा को

बढ़ावा देना है जो समग्र रूप में सामाजिक व राष्ट्रीय हितों का पोषण कर

सके। इसी लक्ष्य की दिशा में कदम बढ़ाते हुए महायोगी गोरखनाथ

विश्वविद्यालय के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में

बीएएमएस की 100 सीटों पर प्रथम सत्र का सफलतापूर्वक संचालन हो रहा

है। अगले सत्र से एमबीबीएस की कक्षाएं भी प्रारंभ करने की पूरी तैयारी

है। गुरु श्री गोरक्षनाथ कॉलेज ऑफ नर्सिंग में अनेकानेक रोजगारदायी

पाठ्यक्रम पूर्ण क्षमता से संचालित हैं। विश्वविद्यालय में इस सत्र से


दर्जनभर से अधिक नए रोजगारपरक पाठ्यक्रम शुरू हुए हैं। नर्सिंग,

पैरामेडिकल, एग्रीकल्चर, एलॉयड हेल्थ साइंसेज और आयुर्वेद फार्मेसी से

संबंधित इन पाठ्यक्रमों में डिप्लोमा से लेकर मास्टर तक की डिग्री शामिल

है। मसलन दो वर्षीय एएनएम, तीन वर्षीय जीएनएम, चार वर्षीय बीएससी

नर्सिंग, दो वर्षीय पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग, दो वर्षीय एमएससी नर्सिंग,

डिप्लोमा इन डायलिसिस, डिप्लोमा इन आप्टिमेट्री, डिप्लोमा इन इमरजेंसी

एंड ट्रामा केयर, डिप्लोमा इन एनेस्थिसिया एंड क्रिटिकल केयर, डिप्लोमा

इन आर्थोपेडिक एंड प्लास्टर टेक्निशियन, डिप्लोमा इन लैब टेक्निशियन

(सभी दो वर्षीय), चार वर्षीय बीएससी एग्रीकल्चर, बीएससी ऑनर्स

बॉयोटेक्नालोजी, बीएससी आनर्स बॉयोकेमिस्ट्री, बीएससी आनर्स

माइक्रोबॉयोलोजी (सभी तीन वर्षीय), दो वर्षीय एमएससी बॉयोटेक्नालोजी,

तीन वर्षीय एमएससी मेडिकल बॉयोकेमिस्ट्री, तीन वर्षीय एमएससी मेडिकल

माइक्रोबॉयोलोजी, दो वर्षीय एमएससी एनवायरमेंटल साइंस, चार वर्षीय बी

फार्मा व दो वर्षीय डी फार्मा। वर्तमान दौर में ये सभी पाठ्यक्रम

रोजगारपरक हैं और उनकी बहुत मांग है। आने वाले समय में इस तरह के

अन्य पाठ्यक्रमों की लंबी श्रृंखला दिखेगी।


चिकिसा, शिक्षा में अनुसंधान तथा स्टार्टअप व ग्राम्य विकास को बढ़ावा

देने वाले एमओयू

चिकिसा, शिक्षा, अनुसंधान, रोजगार व ग्राम्य विकास के क्षेत्र में महायोगी

गोरखनाथ विश्वविद्यालय ने एम्स गोरखपुर, केजीएमयू लखनऊ,

आरएमआरसी गोरखपुर, महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय,

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, भारतीय उद्यमिता विकास

संस्थान अहमदाबाद, वैद्यनाथ आयुर्वेद, इंडो-यूरोपियन चैंबर ऑफ स्माल एंड


मीडियम इंटरप्राइजेज के साथ एमओयू का आदान-प्रदान किया है। इन

एमओयू के माध्यम से बीमारियों पर शोध के साथ ही आयुर्वेद के क्षेत्र में

स्टार्टअप, दवा निर्माण, औषधीय खेती को बढ़ावा मिलेगा तो विश्व स्तरीय

अनुसंधान के मार्ग प्रशस्त होंगे। साथ ही गांवों में कृषि आधारित

अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाएगा। इसी क्रम में गत दिनों

विश्वविद्यालय द्वारा पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए नई बीमारी

लेप्टोस्पायरोसिस को लेकर किए गए केस स्टडी के विश्लेषण और इससे

पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए नई बीमारी की पहचान करने की सराहना एम्स,

केजीएमयू के विशेषज्ञों ने की।

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