जौनपुर। शहीद स्तंभ के पास बना शौचालय शूरवीरों के शहादत उड़ा रहा मजाक

इज्जत घर से शहीदों की इज्जत को किया जा रहा है तार तार

स्थानीय प्रशासन व जनता द्वारा शहीदों का किया जा रहा है तिरस्कृत

जौनपुर। जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर केराकत तहसील के नॉर्मल मैदान में स्थित 1942 के स्वाधीनता‌ संग्राम में शहीद हुए शूरवीरों के शहीद स्तंभ आज के समय में समाज और प्रशासन द्वारा पूरी तरह अपमानित और तिरस्कृत किया जा रहा है। नॉर्मल मैदान स्थित शहीद स्तंभ के बिल्कुल पास बने शौचालय की वजह से शहीदों की शहादत का मानमर्दन किया जा रहा है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के सुअवसर पर साल में दो बार शहीद स्तंभ पर ध्वजारोहण करने वाले उपजिलाधिकारी भी इस खबर से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं कि किस तरह शहीदों का अपमान किया जा रहा है।  "ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आंख में भर लो पानी"  जैसे देशभक्ति गीत गाकर देश के प्रति अपनी श्रद्धा और विश्वास दर्शाकर आजादी का अमृत महोत्सव मनाने वाले केराकत तहसील की जनता और प्रशासन शहीदों की शहादत को पूरी तरह से भुला दिया है। आजादी की 75वी वर्षगांठ को सफल बनाने के लिए प्रधानमंत्री की मुहिम हर घर तिरंगा की धूम दिल्ली के राजपथ से लेकर गांवो की पगडंडियों तक रही। मगर यह कहना गलत नहीं होगा कि साल भर चले आजादी के अमृत महोत्सव में शहीदों के शहादत की हो रही उपेक्षा को पूरी तरह से दरकिनार किया गया। किसी ने भी उपेक्षित पड़े शहीद स्तंभ की तरह ध्यान देना उचित नहीं समझा यह विचार योग्य बात है।11 बीर सपूतों के शहादत में बने नार्मल मैदान में शहीद स्तंभ से सटे शौचालय को जिम्मेदार समेत जनप्रतिनिधि जान बूझ कर करते है नजरंदाज।

 शहीद स्तंभ से सटे शौचालय से अवगत कराने के बाद भी उदासीन दिखे जनप्रतिनिधि

शहीद स्तंभ से सटकर बने शौचालय के संबंध में जब खेल मंत्री गिरीश चंद यादव से टेलीफोनिक वार्ता की गई तो बताया गया कि मंत्री जी भोजन कर रहे है और इस संबंध में आप क्षेत्रीय विधायक से बात करे और आप शहीद स्तंभ का पूरा डिटेल वाट्सअप कर दीजिए मगर वाट्सअप किये दो दिन बीत जाने के बाद भी किसी तरह कोई कार्यवाही नहीं की गई। इसी क्रम में सांसद बीपी सरोज से भी टेलीफोनिक वार्ता की गई पर वहां भी जवाब यही मिला इसके बाद क्षेत्रीय विधायक तूफानी सरोज से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामला अभी संज्ञान में नही है कभी आयेंगे तो बताएंगे। विडंबना देखिए जिन शहीदों के शहादत को याद करने के लिए एक साल आजादी का अमृत महोत्सव चलाया गया उनकी शहादत के हो रहे उपेक्षा से अवगत कराने पर भी जनप्रतिनिधियों का ध्यान शहीद स्तंभ से सटे शौचालय पर नहीं जा रहा है

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