जिला चिकत्सालय पन्ना  के डायलिसिस सेंटर में मरीज को मिलता है परिवार जैसा माहौल

डायलिसिस करवाने वाले मरीजों और परिवार जनों के लिए सुखद खबर


पन्ना- सामान्यतः सरकारी कार्य अथवा  सरकारी सुविधाओं के उपयोग की जब  बात आती है, तब हमारा मन पहले से कतराने लगता है, आज आर्थिक तंगी के दौर में सबसे ज्यादा परेशानी  बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य रक्षण को लेकर  होती है।

            हम सरकारी स्कूल - कॉलेज, सरकारी अस्पताल होने के बावजूद निजी स्कूलों ,कोलेजो  और निजी अस्पतालों की दौड़ लगाना शुरू कर देते है। 

                  राजनैतिक और प्रशासनिक  कुप्रबंधन की वजह  से आम आदमी  सरकारी संस्थानों का रुख नही करता।  सरकारी संस्थानों की विकृत छवि की वजह से ऐसा माना जाने लगा कि बेहद मजबूर, लाचार,और जरूरतमंद ही सरकारी अस्पताल जाते है। 

             लेकिन पन्ना के डायलिसिस सेंटर के कुशल प्रबंधन को देखने के बाद आमजन को अपनी राय बदलने में मजबूर होना पड़ेगा।

वैसे भी अगर परिवार का कोई सद्स्य डायलिसिस में आश्रित हो जाता है, तो निजी अस्पतालों में एक माह के उपचार और  डायलिसिस  का खर्च पच्चीस से तीस हजार का हो जाता है, तब सामान्य  परिवार यह भार उठाने में असमर्थ हो जाता है यहाँ तक की उस परिवार के भरण पोषण तक की समस्या खड़ी हो जाती है। 

                 ऐसे में सरकारी अस्पतालों में यही उपचार लगभग निःशुल्क हो जाता है। ऐसे में पन्ना जिला अस्पताल जैसे स्टाफ को पाकर मरीज की आधी बीमारी स्वतः दूर हो जाती है।

हमे यह लिखने में बेहद खुशी है कि पन्ना डायलिसिस सेंटर का स्टाफ कुशल तो है ही साथ में आए हुए मरीजों के साथ परिवार जनों की तरह उनका ध्यान रखना और नेफ्रोलॉजिस्ट की कमी महसूस न होने देना इसकी यही खूबी इन्हे अन्य सरकारी डायलिसिस सेंटर से बेहतर बनाती है।

उल्लेखनीय है कि पन्ना, सतना, रीवा,कटनी छतरपुर में नेफ्रोलॉजिस्ट न होने की वजह से क्षेत्र के किडनी मरीजों को  मजबूरी में जबलपुर, ग्वालियर या अन्य बड़े शहरों की भागदौड़ करनी पड़ती है। मुश्किल तब बढ़ जाती है जब डायलिसिस टेक्निशियन कुशल न हो या जिम्मेदार न हो लेकिन पन्ना  में   *सिविल सर्जन डॉक्टर एल के तिवारी के कुशल मार्गदर्शन एवम इंचार्ज नर्सिंग ऑफिसर चंचलदीप कौर और यहां के टेक्निशियन सत्यम प्रजापति* के श्रेष्ठ प्रबंधन की वजह से आमजन राहत महसूस रहे है। क्योंकि  अब  मरीज को नियमित चिकित्सीय परामर्श के अतिरिक्त  छोटी छोटी परेशानियों  में डॉक्टर (नेफ्रोलॉजिस्ट) के पास नही जाना पड़ता है,। जिससे समय, पैसा और मानसिक परेशानी बच जाती है।

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