औरैया // मां भारती को अंग्रेजी दास्तां से मुक्त कराने में क्रांतिकारियों ने अपने अद्भुत साहस और शौर्य का परिचय देकर स्वाधीनता आंदोलन की मशाल जलाए रखी थी जिले के रणबांकुरों का इतिहास भी देश में प्रसिद्ध हुआ इतिहास के पन्नों में शहर के एक ऐसे परिवार की मिसाल भी दर्ज है जिसमें पिता के शहीद होने बाद पुत्र ने आंदोलन की धार को कम नहीं होने दिया और उसे आगे बढ़ाया देश को आजादी दिलाने में शहर के गुमटी मुहाल निवासी क्रांतिकारी कालका प्रसाद उर्फ कल्याण चंद्र और उनके पुत्र शंभू दयाल गुप्ता ने एक साथ स्वाधीनता आंदोलन में भाग लिया और लोगों को शामिल होने के लिए प्रेरित किया उन्हें पुलिस ने 17 मई 1941 को आंदोलन के दौरान गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था साथ ही उनको 30 रुपये अर्थदंड की सजा से भी दंडित किया था फिर छह माह बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था गांधी जी के असहयोग आंदोलन के बाद क्रांतिकारी कालका प्रसाद उर्फ कल्याण चंद्र ने 12 अगस्त 1942 को अपने साथियों के साथ सदर तहसील पर लगे गुलामी के प्रतीक यूनियन जैक को उतार फेंका और उसकी जगह पर तिरंगा फहरा दिया जिसमें कालका प्रसाद उर्फ कल्याण चंद्र पुलिस की गोली से शहीद हो गए इसके बाद भी उनके पुत्र शंभू दयाल का जोश कम नहीं हुआ और उन्होंने बढ़ चढ़कर स्वाधीनता आंदोलन में भाग लिया स्वतंत्रता की 25वीं वर्षगांठ पर 15 अगस्त 1972 को दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1972 मे शंभू दयाल गुप्ता को ताम्र पत्र देकर सम्मानित किया था इससे पहले मई 1972 को तत्कालीन विशेष कार्याधिकारी रामशंकर द्विवेदी ने जिलाधिकारी इटावा की तरफ से स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने पर राज्यपाल महोदय की ओर से निर्धारित की गई 60 रुपये प्रतिमाह जीवन पर्यंत पेंशन भी शुरू किए जाने का लिखा पत्र भी उन्हें सौंपा था शंभू दयाल गुप्ता के पुत्र रविंद्र कहते हैं कि यह उनका सौभाग्य है कि भारत माता को अंग्रेजों से मुक्त कराने में उनके बाबा और पिता का अहम योगदान रहा इसी के चलते मुख्यमंत्री के आदेश के बाद 12 अगस्त को तहसील सभागार में रविंद्र गुप्ता को सम्मानित किया जाएगा।
औरैया :- पिता के शहीद होने पर भी थामी थी आंदोलन की कमान।
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