बावन जन्माष्टमी पर मन्दिर चार-पांच दिन पहले से ही सजने प्रारम्भ हो जाते हैं । इस दिन मन्दिरों की शोभा अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच जाती है । बिजली से जलने वाले रंगीन बल्बों से मन्दिरों को सजाया जाता है । जगह-जगह पर झाकियां निकलती हैं जो गली, मोहल्लों और दुकानों से होती हुई मंदिरों तक पहुँचती हैं ।
मन्दिरों में देवकी-वसुदेव-कारागार कृष्ण हिण्डोला विशेष आकर्षण के केन्द्र होते हैं । सभी भक्तगण हिण्डोले में रखी कृष्ण प्रतिमा को झुलाकर जाते हैं । भक्तगणों का सुबह से तांता लगा रहता है । जो अर्धरात्रि तक थामे नहीं थमता ।
इस दिन समाज सेवक भी मन्दिरों में आकर कार्य में हाथ बंटाते हैं । इस दिन मन्दिरों में इतनी भीड़ हो जाती हैं कि लोगों को पंक्तियों में खड़े होकर भगवान के दर्शन करने पड़ते हैं । सुरक्षा की दृष्टि से मन्दिर के बाहर पुलिस तैनात रहते हैं ।
श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व में उनके गुण थे, जिसके कारण वह हिन्दुओं के महानायक बने-उन्होंने गरीब मित्र सुदामा से मित्रता निभाई, दुराचारी शिशुपाल का वध किया, पाण्डुपुत्र युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में आने वाले अतिथियों के पैर धोए और जूठी पत्तलें उठाईं, महाभारत के युद्ध में अपने स्वजनों को देखकर विमुख अर्जुन को आत्मा की अमरता का संदेश दिया, जो हिन्दुओं का धार्मिक ग्रंथ ‘श्रीमद्भगवतगीता’ बना ।
यही ग्रंथ आज दार्शनिक परम्परा की आधारशिला है । उन्हीं श्रीकृष्ण की प्रशंसा में ‘भगवत् पुराण’ अनेक नाटक और लोकगीत लिखे गए जो आज भी मन्दिरों में गाये जाते हैं । श्रीकृष्ण का चरित्र हमें लौकिक और आध्यात्मिक शिक्षा देता है । गीता में उन्होंने स्वयं कहा है कि व्यक्ति को मात्र कर्म करना चाहिए फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए ।
गांव में कृष्ण जन्माष्टमी त्योहार के मौके पर शोभायात्रा की सुरक्षा के लिये पुलिस बल की तैनाती रही,शोभायात्रा सकुशल संपन्न होने के बाद प्रशासन ने चैन की सांस ली, इस मौके पर उमेश चन्द्र शुक्ला, बृजमोहन शुक्ला, बृजेश शुक्ला (शिशु), जय नारायण शुक्ला, शिवेंद्र शुक्ला (छुन्ना), अतुल शुक्ला, भूपेंद्र अवस्थी, स्पेक्टर शेखर सिंह, संदीप शुक्ला, निशीत शुक्ला, जितेन्द्र सिंह, हरिबाबू मिश्रा, कोतवाली प्रभारी विनोद कुमार यादव, चौकी इंचार्ज रजनीश त्रिपाठी, राहुल रतन, प्रफुल, मनदीप आदि भारी पुलिस बल मौजूद था।
रिपोर्ट- शोभित अवस्थी
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