*मेरी मेहनत ही मेरी जीने की जिंदगी है मिट्टी को गुथ कर बनाते हैं देवी देवताओं का मूर्ति*
बहराइच रुपईडीहा बाबागंज बरवलिया चौराहा पर विश्वकर्मा मूर्तिकार नंदकिशोर विश्वकर्मा प्रदिप कुमार विश्वकर्मा, संदीप विश्वकर्मा जो कि 17 लोग सहयोग मे रखते हुए अपने लड़के सहित लगभग 1994 से आज तक 28 साल से मिट्टी व सीमेंट का मूर्ति बनाने का कार्य कर रहे हैं जो कि नव दुर्गा पूजा पर मां दुर्गा व गणेश भगवान कार्तिकेय भगवान माँ लक्षमी माँ सरस्वती सहित 5 सेट मूर्तियां होती हैं वा कृष्ण जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण भगवान की मूर्ति बनाते हैं जो की इस साल 13 मूर्ति श्री कृष्ण भगवान की बनाया है वा गणेश चतुर्थी पर 5 मूर्ति गणेश भगवान की बनाया है ! प्रदिप कुमार विश्वकर्मा का कहना है मेरे पिता मै मेरे छोटे भाई सहित इस मेहनत में लगे रहते हैं जब ऑर्डर होता तो सिमेंट का भी देवी देवताओं का मूर्ति भी बनाते हैं और जो कि हम लोग मूर्तियों की तैयारी में दस से गेरा माह तक तैयारी में लगा रहते हैं अगले साल 185 सेट मिट्टी की मूर्ति देवी देवताओं की बनाया था जिसमें लेकिन कोविंड के कारण से 183 सेट मूर्तियां हि बिक्री हो पाई थी अबकी बार अगले साल की बची हुई मूर्तियों को मिलाकर 200 सेट मूर्तियां तैयार हैं ! लेकिन इस साल किसानों के खेत में सुखा का कारण भी चिंन्ता का विषय बना हुआ है लेकिन इन मिट्टी से बनी देवी देवताओं की मूर्तियां को तैयार करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है अनेक प्रकार के वस्तु व रंग की जरूरत होती है कुछ ऐसी होती हैं जिनके पाट अलग अलग बनाने पड़तेहैं मिट्टी को गूथना काफी मेहनत होता है ! हम केवल सालों के साल मूर्तियां बनाने में ही लगे रहते हैं/
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