पिहानी मे दो साल से बंंद मुहर्रम के जुलूस इस साल निकाले जाएंगे। इसको लेकर शिया समुदाय मे तैयारियां शुरू हो गई हैं। 31 जुलाई से मुहर्रम शुरू रहा है। इस दौरान मजलिस भी होगी। इसे लेकर पुलिस विभाग तैयारियों में जुट गए हैं। शिया धर्म गुरुओं का मानना है कि यदि शुक्रवार की रात चांद दिखा तो 30 जुलाई से भी मोहर्रम की शुरुआत हो सकती है। लेकिन संभवतः 31 जुलाई से ही मोहर्रम की शुरुआत होगी।
कोतवाल बेनी माधव त्रिपाठी ने मीरसराय, छिप टोला, खुरमुली ,नागर कई इलाकों का दौरा किया। कोतवाल ने विशेष सफाई अभियान चलाने के साथ ही सड़कों पर गड्ढे भरने की बात अधिशासी अधिकारी अहिबरन लाल से कही। सातवीं नौवीं, दसवीं मोहर्रम के जुलूस ऊपर प्रशासन की पैनी नजर है। कोतवाल ने भारी पुलिस बल के साथ उन इलाकों का भी दौरा किया जहां मुहर्रम के अन्य जुलूस भी निकलेंगे। इसी तरह जहां-जहां मजलिस होगी, वहां भी व्यवस्थाओं को देखा।
दो साल बाद निकलेगा जुलूस :
कोरोना के चलते दो साल से मुहर्रम के जुलूस निकल नहीं पाए थे, इसलिए जुलूस को लेकर किसी तरह का व्यवधान न हो, इसे लेकर प्रशासन सतर्क है। साफ-सफाई को लेकर कमेटियां बनाई गई हैं। सुरक्षा के भी खास इंतजाम कस्बे में रहेंगे। विभिन्न जुलूस मार्ग को लेकर भी कार्ययोजना संबंधित विभागों को भेजी जा चुकी है। इसी तरह रात में सड़कों पर लाइटों का भी इंतजाम होगा। दसवीं मुहर्रम , नवमी, आठवीं व सातवी को शहर के विभिन्न इलाकों में ताजिया निकाली जाती है। सुबह से लेकर शाम तक ताजिया निकाली जाती है और भारी हुजूम सड़कों पर दिखाई देता है। सातवी मोहर्रम का जुलूस तो 24 घंटे चलता है।
एक महीने नहीं पहनेंगी जेवर, काले कपड़े पहनकर मनाया जाएगा मातम
31 जुलाई से घरों मेें रखे जाएंगे ताजिए और होगा मातम। कर्बला के 72 शहीदों की शहादत के गम में रोएंगी आंखे।
शिया धर्मगुरु मौलाना बजीहुल ने बताया कि हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सहित कर्बला के 72 शहीदों की शहादत के गम में शियों की आंखें रोएंगी। शिया कर्बला के शहीदों का गम मनाने के लिए रंग-बिरंगे कपड़े उतार कर काले कपड़े पहनेंगे। महिलाएं भी जेवर व चूड़ियां त्यागकर पूरे एक महीने तक काले कपड़ों में ही रहेंगी। तर्बरूक, हार-फूल, अलम के लिए फूल के सेहरे, इमामबाड़े के लिए फूलों के पटके और ताबूत के लिए फूलों की चादरों की भी खरीदारी होगी।
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