दो सौ गांवो के मानचित्र फटे पुराने होने के कारण, कैसे हो पैमाइश
गिरजा शंकर गुप्ता ब्यूरों
अंबेडकरनगर। तहसील क्षेत्र के 200 से अधिक राजस्व गांवों के मानचित्र फटे पुराने होने के चलते काफी दिक्कतें हो रही हैं। राजस्व विभाग नए सिरे से मानचित्र उपलब्ध कराने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है। इसके चलते राजस्व टीम को गांवों में विवादित भूमि, चकमार्ग, तालाब सहित अन्य भूमि की पैमाइश करने में परेशानी हो रही है। कई विवादों का निपटारा भी नहीं हो पा रहा है। इससे एक तरफ जहां राजस्वकर्मी परेशान हैं, वहीं आम जनता में आक्रोश व्याप्त है।आलापुर तहसील में वर्षों पहले बने मानचित्र मौजूदा समय में जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं। इनमें काफी खराबी आ गई है। इसके चलते उसकी मदद से अब भूमि की पैमाइश हो पाना संभव नहीं हो रहा है। आए दिन चकमार्ग, तालाब, तालाब व खतौनी आदि की पैमाइश के लिए शिकायतें आती रहती हैं, लेकिन राजस्व टीम के पास समुचित मानचित्र न होने के चलते ठीक से पैमाइश नहीं हो पा रही है। इससे कई विवादों का लंबे समय से निपटारा भी नहीं हो पा रहा है।धीरे-धीरे यह समस्या बढ़ती जा रही है, लेकिन राजस्व विभाग इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। इससे तहसील क्षेत्र के 472 राजस्व गांवों में से करीब 200 से अधिक राजस्व गांवों में मुश्किलें बढ़ रही हैं। इतना ही नहीं 104 लेखपालों के सापेक्ष महज 51 लेखपालों की ही तैनाती है। इसके चलते लेखपाल पहले ही अधिक कार्य के बोझ से परेशान हैं। ऐसे में जब समुचित अभिलेख भी उनके पास नहीं होगा तो वह कितनी मुस्तैदी के साथ अपना कार्य कर सकेंगे।
स्थानीय रोहित यादव, जयप्रकाश तिवारी, सचींद्र व नरोत्तम आदि ने अविलंब राजस्व गांवों का मानचित्र मंगाने की मांग की है। उधर, तहसीलदार बृजेश वर्मा का कहना है कि इसके लिए पत्राचार किया गया है। जल्द ही मानचित्र उपलब्ध हो जाएंगे।
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