जून का महीना खत्म होने के बाद भी गरीबों तक निश्शुल्क खाद्यान्न नहीं पहुंच सका है।
नगर क्षेत्र के 13 में से तीन कोटेदारों तक ही जून के प्रथम व द्वितीय चक्र का खाद्यान्न पहुंच पाया है। विकास खंड के 68 कोटेदारों में सिर्फ सात कोटेदारों तक जून का खाद्यान्न पहुंचा है लेकिन किसी को सिर्फ गेहूं मिला तो किसी को केवल चावल। इसी अनियमितता के कारण एक तरफ कार्डधारकों को गेहूं या चावल नहीं मिल सका। वितरण की यह अव्यवस्था डोर स्टेप डिलीवरी लागू होने के कारण आई है। कार्डधारक इस बात को लेकर पशोपेश में हैं कि अब जब जुलाई महीने का खाद्यान्न वितरित होने में सिर्फ एक दिन शेष हैं, ऐसे में जून महीने का खाद्यान्न कैसे वितरित हो पाएगा। पहले सभी कोटेदारों को खाद्य निगम के गोदाम से सीधे रोस्टर के मुताबिक खाद्य सामग्री आबंटित कर दी जाती थी। कोटेदार गोदाम से खाद्यान्न की उठान कर उसका वितरण शुरू कर देते थे। नौकरशाही ने पिछले महीने से नियमों में बदलाव कर दिया। जून से एफसीआई गोदाम से ठेकेदार खाद्यान्न की उठान कर सीधे कोटेदारों के गोदामों तक सामान पहुंचाने का जिम्मा निभा रहा है। कोटेदारों का कहना है कि ठेकेदार की आपूर्ति व्यवस्था का आलम यह है कि जून के दोनों चक्र के खाद्यान्न अभी तक कोटेदारों तक नहीं पहुंच सके हैं। कोटेदार संघ के जीवन लाल यादव ठेकेदारी की इस प्रथा को कार्डधारकों के लिए हानिकारक बताते हुए कहते हैं कि अब ठेकेदार गोदाम पर सामान गिराने के लिए तीन रुपये प्रति बोरी की वसूली लेबर के नाम पर करता है। बोरों में खाद्यान्न का वजन भी कम रहता है साथ ही खराब क्वालिटी के गेहूं-चावल गिरा कर चलता बनता है। खराब खाद्यान्न के लिए कार्डधारक कोटेदारों को जिम्मेदार बताते हैं। मामले की शिकायत करने पर अधिकारी भी डांट कर चुप करा देते हैं। वह सवाल करते हैं कि जब जून महीने का यह हाल है तो आने वाले समय में जब विकास खंड की आधी से अधिक ग्राम सभाओं के संपर्क मार्ग बाढ़ के कारण बंद हो जाएंगे तब कोटेदार खाद्यान्न की उठान-वितरण कैसे कर पाएंगे। पूर्ति निरीक्षक रामवृक्ष यादव का कहना है कि डोर स्टेप डिलीवरी की व्यवस्था शासन से की गई है।
जून महीने की अव्यवस्था के बारे में अधिकारियों को बताया जा चुका है।
असगर अली
उतरौला
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