मथुरा ।। वृन्दावन।परिक्रमा मार्ग-राम नगर कालोनी स्थित आचार्य  कुटी में सप्त दिवसीय गुरुपूर्णिमा महोत्सव के अन्तर्गत गो-पूजन एवं विप्र पूजन के साथ संत-विद्वत् सम्मेलन का आयोजन आचार्य कुटी पीठाधीश्वर स्वामी रामप्रपन्नाचार्य महाराज की सन्निधि एवं दण्डी स्वामी यदुनन्दन सरस्वती महाराज की अध्यक्षता में किया गया।गुरु वन्दना के साथ संगोष्ठी में उपस्थित सभी संत-विद्वत् जनों का माल्यार्पण एवं चंदन लगाकर सम्मान आचार्य कुटी के प्रवन्धक ब्रह्मचारी मधुसूदन आचार्य ने किया।             
संत-विद्वत सम्मेलन में आचार्य कुटी पीठाधीश्वर स्वामी रामप्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि गुरु पूर्णिमा का पर्व परमात्मा की प्राप्ति हेतु गुरु पूजन का विशेष अवसर है,जो कि पवित्र मन से ईश्वर के प्रति समर्पण का द्योतक है। उन्होंने कहा कि सद्गुरुदेव की कृपा उनके बताये जीवन ज्ञापन के नियम एवं उपदेश ही परमात्मा से मिलन का मार्ग प्रशस्त करते हैं। गुरुदेव ही हमारे सच्चे मार्ग दर्शक है।
अध्यक्षता करते हुए दण्डी स्वामी यदुनन्दन सरस्वती महाराज ने कहा कि ईश्वरीय तत्व एवं गुरु तत्व में कोई भेद नहीं है। अपनी अपार श्रद्धा एवं निष्ठा से गुरु के प्रति समर्पित हो जाना ही परम पिता परमेश्वर जगत् गुरु भगवान श्रीकृष्ण की शरणागति है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं डॉ. राधाकांत शर्मा ने कहा कि गुरु पूर्णिमा का पर्व हमारे सनातन संस्कृति का उद्घोषक पर्व है,जो गुरु के प्रति शिष्य के समर्पण भाव को दर्शाता है।इस संसार रूपी भवसागर से पार उतारने का कार्य गुरु के अतिरिक्त कोई नहीं कर सकता है। इसीलिए वेदों में भी सदगुरु को ब्रम्हा,विष्णु और महेश आदि देवों के तुल्य बताया गया है।
पीपापीठाधीश्वर जगद्गुरु बाबा बलरामदास देवाचार्य महाराज व बिहारी दास भक्तमाली ने कहा कि  गुरुतत्वअनिवर्चनीय कृपा साध्य विशेष तत्व है ,जो कि जीव को सदगति प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि जीवन में गुरु का विशेष महत्व है।गुरु के बिना जीवन की पूर्णता नहीं है।                                                                                                    
जगद्गुरु अनुरुद्धाचार्य महाराज एवं स्वामी रामदेवानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि जीवन की दिव्यता व भव्यता और सार्थकता सदगुरू की शरण में निहित है। एक मात्र गुरु ही जीव को अज्ञानता के अंधकार से दूर कर परमात्मा काआभास कराते हैं ।           
महंत अमरदास महाराज एवं महंत हरीबोल बाबा ने कहा कि गुरु ही धर्म की धुरी हैं। गुरु का ज्ञान ही गुरुत्वाकर्षण है।मानव जीवन का संतुलन इसी गुरु शक्ति पर आधारित है।जो जीव को परमात्मा की ओर उन्मुख करता है।
अखिल भारत वर्षीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित बिहारी लाल वशिष्ठ एवं संगीताचार्य देवकीनंदन शर्मा  ने कहा कि गुरु-परमगुरु-परमेष्टि गुरू और परात्पर गुरु इन चारों का स्मरण करने से साधना में एक दिव्य ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिससे परमात्मा की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि सद्गुरू की प्राप्ति संचित पुण्यों के प्रताप एवं उत्तम प्रारब्ध के अनुसार ही होती है।                      
इस अवसर पर श्रीराम कथा के यशस्वी प्रवक्ता भानूदेवाचार्य महाराज,महंत संतदास महाराज,महंत रामसजीवन दास, बिहारीलाल शास्त्री,रामगोपाल शास्त्री,सुरेश शास्त्री, आचार्य वद्रीश,अखिलेश शास्त्री,विपिन वापू,आचार्य रामसुदर्शनाचार्य,गोपाल आचार्य, बुद्धिप्रकाश शास्त्री, आचार्य करुणाशंकर त्रिवेदी,पं.जगदीश नीलम,सर्वेश द्विवेदी,रामकृपालु भक्तमाली,आचार्य नरेश नारायण,महेश भारद्वाज,चैतन्यकिशोर कटारे आदि अनेक संत एवं विद्वत् जनों ने अपने भाव प्रकट किए।संचालन संत स्वामी सेवानन्द ब्रह्मचारी महाराज ने किया।

राजकुमार गुप्ता 

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