जिले में नमामि गंगे योजना के तहत गंगा किनारे फलों के बाग या बगीचे लगाए जाएंगे। किसानों को बाग व बगीचों के रखरखाव के लिए सरकार की ओर से प्रतिमाह धनराशि भी दी जाएगी। फिलहाल जिले में 150 हेक्टेअर क्षेत्र में उद्यान लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
जिले के पांच विकास खंड के 134 गांव गंगा के किनारे स्थित हैं। इन गांवों के किसानों को विभिन्न प्रजाति के पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन बगीचों को लगाने का मुख्य कारण यह है कि गंगा किनारे कटान बहुत तेजी से हो रहा है। उतनी तेजी से कटानरोधी कार्य हो नहीं पा रहे हैं। इन बगीचों को लगाने से एक प्राकृतिक कटानरोधी दीवार खड़ी हो जाएगी। जिससे पेड़ों की जड़े मिट्टी को मजबूती से पकड़े रहेंगी और कटान में बहुत हद तक कमी हो सकती है। इसके लिए सरकार ने यह योजना शुरू की है। इसके लिए एक व्यक्ति अधिकतम एक हेक्टेअर भूमि तक में बगीचा लगा सकता है। इसके लिए सरकार उसको प्रतिमाह तीन हजार रुपये लगाए गए पौधों की देखभाल के लिए देगी। यह धनराशि उस समय से देेने की प्रक्रिया शुरू होगी, जब से पौधरोपण किया जाएगा और तीन वर्ष के लिए होगी। किसान बगीचों में आम, अमरूद, नीबू, बेल, बेर या इसी प्रकार के अन्य फलों के पौधे लगा सकेंगे। हर साल इन गांवों में बाढ़ आ जाती है और ग्रामीणों को बाढ़ की विभीषिका का सामना करना पड़ता है। बाढ़ से भूमि का कटान हो जाता है। कटान रोकने के लिए सरकार इन गांवों में बाग लगाने को बढ़ावा दे रही है। उद्यान विभाग गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में फलदार बाग लगाने पर किसानों को तीन हजार रुपये प्रतिमाह की दर से प्रोत्साहन राशि देगा। यह धनराशि संबंधित किसान को तीन साल तक मिलेगी। एक हेक्टेयर से कम जमीन होने पर अनुदान धनराशि भी उसी अनुपात में कम हो जाएगी। किसान बाग में अन्य खेती भी कर सकते हैं और अपनी आय बढ़ा सकते हैं। जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम का कहना है कि किसानों के लिए यह बड़ी अच्छी योजना है। इसका लाभ उठाकर वे अपनी आय बढ़ा सकते हैं। साथ ही अपनी भूमि को कटान से भी बचा सकते हैं।
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