प्रदेश में ईको टूरिज्म की असीम संभावनाओं को
आकार देने के लिए प्रयास और तेज करने की जरूरत

प्रदेश में ईको टूरिज्म बोर्ड का गठन किया जाना उचित होगा: मुख्यमंत्री

ईको टूरिज्म को गति देने के लिए पर्यटन, सिंचाई, वन, आयुष
और ग्राम्य विकास आदि विभागों को एकजुट होकर प्रयास करना होगा

समन्वित प्रयासों से आज उ0प्र0 नेचर,
कल्चर और एडवेंचर का संगम बन रहा: मुख्यमंत्री

ईको पर्यटन, वन्य जीव एवं अन्य वानिकी कार्यों में स्थानीय
लोगों को शामिल किए जाने के लिए ‘नेचर गाइड’ बेहतर विकल्प

वन्य जीवों की रिहाइश वाले जंगलों के बीच स्थित गांवों का
समुचित व्यवस्थापन कराया जाए, प्रभावित लोगों की सहमति जरूर ली जाए

लखनऊ: 10 जुलाई, 2022


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि समन्वित प्रयासों से आज उत्तर प्रदेश नेचर, कल्चर और एडवेंचर का संगम बन रहा है। एक आकलन के अनुसार, छुट्टियों पर आने वाले पर्यटकों में से 35 प्रतिशत पर्यटकों द्वारा ईको-हॉलिडे बुक करने की संभावना अधिक होती है, जिससे ग्लोबल ईको टूरिज्म को बढ़ावा मिलता है। प्रदेश में ईको टूरिज्म की असीम संभावनाओं को आकार देने के लिए प्रयास और तेज करने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ईको टूरिज्म को गति देने के लिए पर्यटन, सिंचाई, वन, आयुष और ग्राम्य विकास आदि विभागों को एकजुट होकर प्रयास करना होगा। इसके लिए प्रदेश में ईको टूरिज्म बोर्ड का गठन किया जाना उचित होगा। बोर्ड में सम्बन्धित विभागों के मंत्रीगणों, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, महानिदेशक/निदेशक के साथ-साथ विशेषज्ञों को भी स्थान दिया जाना चाहिए। पर्यटन विभाग को इसका नोडल विभाग बनाया जाना चाहिए। बोर्ड में भारतीय वन सेवा के योग्य अधिकारी को भी स्थान दिया जाए। बोर्ड गठन की कार्यवाही यथाशीघ्र पूरी की जाए।
 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बोर्ड द्वारा पर्यटन व सांस्कृतिक विरासत मूल्यों का प्रचार-प्रसार, आतिथ्य सत्कार हेतु स्थानीय समुदायों की कौशल क्षमता का निर्माण, पर्यटकों के लिए यात्रा कार्यक्रम तैयार करना, ईको-टूरिज्म साइट का प्रचार-प्रसार, परियोजनाओं के संचालन हेतु पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के साथ समन्वय बनाने जैसे कार्य संपादित किये जायेंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ईको पर्यटन, वन्य जीव एवं अन्य वानिकी कार्यों में स्थानीय लोगों को शामिल किए जाने के लिए ‘नेचर गाइड’ बेहतर विकल्प हो सकते हैं। इसके लिए योग्य युवाओं का चयन कर इनका बेहतर प्रशिक्षण कराया जाए। वन्य जीवों की रिहाइश वाले जंगलों के बीच स्थित गांवों का समुचित व्यवस्थापन कराया जाए। इस कार्य में प्रभावित लोगों की सहमति जरूर ली जाए।
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