मुख्यमंत्री जी हनुमंत धाम मन्दिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सम्मिलित हुए
मुख्यमंत्री ने मंदिर प्रांगण में 108 फीट ऊंची
हनुमान जी की मूर्ति का शिलान्यास किया
श्रद्धालुजनों की भावनाओं को सम्मान देते हुए
मन्दिर के पुनरुद्धार का कार्यक्रम किया जा रहा: मुख्यमंत्री
हमारे देव स्थल श्रद्धा के केन्द्र बिन्दु, यह भारत की आस्था के
प्रतीक, देव स्थलों में आस्था का मतलब राष्ट्रीय एकात्मकता है
देव मन्दिर लोक कल्याण के माध्यम, अन्नदान महादान
प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में कोरोना कालखण्ड में
महामारी से बचाव के साथ ही, खाद्य सुरक्षा की गारण्टी भी प्रदान
की गयी, प्राचीनकाल में खाद्य सुरक्षा की गारण्टी धर्म स्थल दिया करते थे
मन्दिर परिसर एवं गोमती नदी की विशेष साफ-सफाई पर ध्यान दिया जाए
गोमती नदी को अविरल बनाने के साथ ही इसके तटवर्ती
क्षेत्रों में औषधीय वृक्षों को लगाने का भी कार्य किया जाए
लखनऊ: 06 जुलाई, 2022
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि हमारे देव स्थल श्रद्धा के केन्द्र बिन्दु होते हैं। यह भारत की आस्था के प्रतीक हैं। इन देव स्थलों में आस्था का मतलब राष्ट्रीय एकात्मकता है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां हनुमंत धाम मन्दिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सम्मिलित होने के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर मन्दिर के प्रांगण में स्थापित मूर्तियों का अनावरण किया। उन्होंने मंदिर प्रांगण में 108 फीट ऊंची हनुमान जी की मूर्ति का शिलान्यास भी किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गोमती नदी के तट पर स्थित इस प्राचीन मन्दिर का पुनरुद्धार कार्य महन्त राम सेवक दास जी एवं के सान्निध्य में बजरंग बली की प्रतिमा के साथ ही अन्य दिव्य देवों को स्थापित करते हुए विधिवत प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का आयोजन यहां सम्पन्न हो रहा है। उन्होंने कहा कि मन्दिर की बाहरी आभा से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि यह मन्दिर प्राचीन है। समय के अनुरूप पुनरुद्धार की कार्यवाही के माध्यम से श्रद्धालुजनों की भावनाओं को सम्मान देते हुए मन्दिर के पुनरुद्धार का कार्यक्रम किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देव मन्दिर लोक कल्याण के माध्यम हैं। मन्दिरों को लोक कल्याण के पथ पर निरन्तर अग्रसर होकर चलना होगा। अन्नदान महादान होता है। देव मन्दिर में प्रसाद वितरण व भण्डारे का आयोजन लोगों के हित को ध्यान में रखकर ही किया जाता है। यह व्यवस्था प्राचीनकाल से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य ने देश के चारों कोनों में चार पीठों की स्थापना की थी। साथ ही, देश में स्थापित द्वादश ज्योतिर्लिंग, 51 शक्तिपीठ, आस्था के केन्द्र बिन्दु के साथ ही भारत की एकात्मकता के प्रतीक हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस सदी की सबसे बड़ी महामारी कोरोना का सामना देश और प्रदेश ने किया है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में कोरोना कालखण्ड में महामारी से बचाव के साथ ही, खाद्य सुरक्षा की गारण्टी भी प्रदान की गयी। उन्होंने कहा कि प्राचीनकाल में खाद्य सुरक्षा की गारण्टी धर्म स्थल दिया करते थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत की वैदिक परम्परा के संरक्षण का कार्य संस्कृत के अध्ययन व अध्यापन के साथ जोड़ना होगा। मन्दिर परिसर एवं गोमती नदी की विशेष साफ-सफाई पर ध्यान दिया जाए। गोमती नदी को अविरल बनाने के साथ ही इसके तटवर्ती क्षेत्रों में औषधीय वृक्षों को लगाने का भी कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि मन्दिर प्रबन्धन पूज्य संतों व जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर इस प्रकार के कार्य करें तो मन्दिर की सार्थकता सिद्ध होते हुए दिखायी देगी।
इस अवसर पर जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया। श्री संजय सिन्हा जी ने मुख्यमंत्री जी को अंग वस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत किया।
इस अवसर पर वित्त मंत्री श्री सुरेश खन्ना, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 श्री नवनीत सहगल सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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