औरैया // सरकार कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों को स्वस्थ बनाने की योजना चला रही है, पर जमीनी हकीकत में जिम्मेदार कुपोषित बच्चों पर ध्यान नहीं दे रहे है यह अव्यवस्था तब है, जब एनआरसी वार्ड में सभी आवश्यक सुविधाएं मुहैया हैं जिले में कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों को चिह्नित तो किया जा रहा है, पर उनका विकास हो और वह सामान्य बच्चों की तरह स्वस्थ रहें इसके लिए उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र NRC पहुंचाने में जिम्मेदार लापरवाही बरत रहे हैं चिचौली स्थित 100 शैया युक्त जिला चिकित्सालय में बने NRC विभाग के आंकड़ों के अनुसार चार पांच माह में सिर्फ 26 बच्चे ही भर्ती हुए हैं और दिखाने 110 से अधिक बच्चे आ चुके हैं जबकि जिले में कुपोषित 4,632 और अति कुपोषित बच्चों की संख्या 485 है वर्तमान स्थिति में NRC वार्ड में कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं यहां पर बच्चे की नियमित जांच, वजन की तौल, हर दो घंटे में पौष्टिक आहार व खेलने के लिए झूले की भी व्यवस्था है, लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता बच्चों को कुपोषित से पोषित बनाने में बाधा बन रही है बच्चे को भर्ती कराने की जिम्मेदारी आशा व आंगनबाड़ी की
शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए सरकार बच्चे के जन्म लेने के बाद उन्हें टीके के साथ ही पौष्टिक आहार आंगनबाड़ी और आशा के माध्यम से पहुंचा रही है जिससे बच्चे की सेहत अच्छी रहे अगर कोई बच्चा उम्र के हिसाब से कमजोर है जांच में कुपोषित और अति कुपोषित मिलता है तो उसकी सेहत सुधारने के लिए आशा व आंगनबाड़ी उनकी की खून जांच कराती हैं वह सामान्य बच्चों की तरह स्वस्थ हो सके, इसके लिए उन्हें एनआरसी में भर्ती कराना आशा व आंगनबाड़ी की जिम्मेदारी है एनआरसी में बच्चे को 14 दिनों तक रखा जाता है 100 शैया संयुक्त जिला चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. कुलदीप यादव ने कहा कि कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों को गाँव गाँव जाकर आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता चिह्नित करती हैं NRC में बेड खाली हैं और इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं फिर भी बच्चे कम ही संख्या में भर्ती हो रहे हैं उच्चाधिकारियों को इस संबंध में पत्र लिखा जा चुका है।

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने