*गरीबों में वितरित किए जाने वाले कृषि यंत्र को कुलपति ने अपने पैतृक गांव में बांटा।*


*मिल्कीपुर/अयोध्या*

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज के कुलपति डॉ बिजेंद्र सिंह के काले कारनामों की परत दर परत खुलने लगी है। जिसके क्रम में विश्वविद्यालय के शिक्षकों सहित क्षेत्रवासी ग्रामीणों ने कुलपति द्वारा अपने पैतृक गांव में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित कर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली की ओर से अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति के गरीब लोगों में कृषि यंत्र सहित अन्य संयंत्र एवं बीज वितरित किए जाने का आरोप लगाया है। बताते चलें कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली में कार्यरत जौनपुर जनपद निवासी उच्चाधिकारी दंपतियों द्वारा आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के गरीब लोगों में कृषि यंत्र जैसे चारा मशीन, सिलाई मशीन, स्प्रे मशीन एवं बीज वितरित किए जाने हेतु धन उपलब्ध कराया गया था। प्राप्त धन राशि से विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार डॉ ए पी राव को कृषि संयंत्र सहित फसलों के बीज क्रय किए जाने के निर्देश विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा दिए गए थे। उनके द्वारा उनके गृह जनपद स्थित कृषि विज्ञान केंद्र मऊ अंतर्गत उनके पैतृक गांव शादीपुर में एक बेहद किसान मेला आयोजित करते हुए गांव के उनके चहेतों को कृषि यंत्र सहित विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अन्य संयंत्र वितरित कराए जाने की योजना बना ली गई तथा इस क्रम में उन्होंने विश्वविद्यालय के निर्देशक प्रसार डॉ ए पी राव को निर्देशित भी कर दिया था। कुलपति डॉ बिजेंद्र सिंह के निर्देश पर निदेशक प्रसार ने उनके पैतृक गांव शादीपुर में बीते 20 मई को कृषि यंत्र वितरण एवं किसान मेला आयोजित भी करा दिया। जहां कार्यक्रम विश्वविद्यालय कुलपति के पिता एवं परिवारीजनों की मौजूदगी में आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय के पैसे से संपूर्ण कार्यक्रम का प्रबंधन हुआ और बुके तथा साल एवं माला भेंट किए जाने का भी सिलसिला चला। यही नहीं कृषि यंत्र वितरण कार्यक्रम में गांव की 3 लोगों को चारा मशीन, 25 किसानों को दवा छिड़काव मशीन, 10 किसानों को सिलाई मशीन, 15 किसानों को कोठीला, 110 किसानों को 10 किलो के रेशियो में धान का निशुल्क बीज वितरित किया गया। इस प्रकार से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की ओर से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के गरीब पात्र व्यक्तियों में वितरित किए जाने हेतु प्राप्त धन का दुरुपयोग करते हुए कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ विजेंद्र सिंह ने अपने गांव के अपने चहेतों में कृषि यंत्र जैसे चारा मशीन, कोठीला, सिलाई मशीन और स्प्रे मशीन सहित सिंचाई हेतु किसानों को प्लास्टिक पाइप भी वितरित कर दिया। अपने पैतृक गांव में अपने पद की लोकप्रियता बढ़ाने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा किए गए इस कार्यक्रम की आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया है। विश्वविद्यालय स्थापना के समय मिल्कीपुर क्षेत्र के ऐसे गांव जैसे जोरियम, इसौली भारी, बवां, पिठला, शिवनाथपुर अमावा छीटन, अकमा सहित आधा दर्जन गांव के किसानों की जमीन अधिग्रहीत कर ली गई थी और उन्हें मुआवजे के नाम पर मात्र चंद पैसे ही प्राप्त हुए थे। किंतु विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन गांवों के गरीब किसानों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और उन्हें भी उपेक्षित कर दिया। जानकारी के बाद क्षेत्रवासी ग्रामीणों सहित विश्वविद्यालय के जिम्मेदार लोगों द्वारा भी कुलपति के कार्य की जमकर निंदा की जा रही है और उनके विरुद्ध जमकर आक्रोश व्याप्त हो गया है।

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