उतरौला(बलरामपुर) क्षेत्र में मिनरल वाटर के नाम पर खुले आम पानी से भरे डिब्बों की बिक्री की जा रही है।पानी की गुणवत्ता क्या है इस पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है।
शहर के मोहल्लों में घर घर एंव दुकानदारों से लेकर सरकारी दफ्तरों में भी आरो वाटर की कैन रखी नजर आयेगी।लेकिन खाद्य विभाग सहित किसी भी जिम्मेदार अधिकारी की इस पर नजर नहीं पड़ रही है कि संचालित हो रहे मिनरल वाटर शुध्द या नहीं।
बताते चलें कि तहसील क्षेत्र में मिनरल वाटर के नाम से दर्जनों पानी के प्लांट संचालित हो रहे हैं।यह प्लांट संचालक मिनरल वाटर के नाम पर मोटी कमाई करके अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं।मगर इनकी शुद्धता और तय मानकों का पालन कराने के लिए किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने अब तक कोई सुध नहीं ली है।गर्मी का मौसम शुरू होते ही मुख्यालय सहित कस्बों में मिनरल वाटर का धंधा जोरो पर है।शुध्द मिनरल वाटर के नाम पर बिक रहे पानी भरे डिब्बे आम घरों से लेकर दुकानों व सरकारी कार्यालयों में भी देखे जा सकते हैं।जिसे लोग शुध्द पानी समझकर पी रहे हैं जबकि कुछ लोगों का कहना है कि शुध्द मिनरल पानी की गुणवत्ता सील बंद डिब्बे या बोतल में होती है।पानी विक्रेताओं द्वारा ऐसे पानी को बेचने से खुले डिब्बों में पानी की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं रहती है।नगर में खुलेआम बिकने वाले इस मिनरल वाटर के बारे में बताया जाता है कि इस कथित शुध्द पानी निर्माण के लिए लोग छोटे से कमरे में बोरिंग कराकर उस पानी को कथित फिल्टर मशीन से निकालकर फ्रीजर में ठंडा करते हैं इसके बाद दस बीस लीटर के डिब्बों में भरकर बिक्री के लिए तैयार कर दिया जाता है उक्त मिनरल वाटर के डिब्बों को संचालकों द्वारा बीस रूपये से तीस रूपये कीमत तक बेचा जाता है।धड़ल्ले से बिक रहे कथित मिनरल वाटर को लेकर ताज्जुब जब होता है कि इस पानी को जिम्मेदार अधिकारी तक पीते देखे जाते हैं।
इसके बाद भी कथित शुध्द पानी की जांच की ओर से जिम्मेदार आंखे बंद किए हुए हैं।अब क्षेत्रवासी शुध्द मिनरल के नाम पर क्या पी रहे हैं बताना संभव नही है।
असगर अली
उतरौला
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