बालश्रम से मुक्त हुए बच्चों के जीवन में आयेगा नया सेवरा




बहराइच 06 जून। जनगणना वर्ष 2011 के आकड़ों के अनुसार चिन्हित 20 से अधिक कामकाजी बच्चों वाले हॉट-स्पॉट ग्रामों को बालश्रम मुक्त घोषित करने और कामकाजी बच्चों का शैक्षिक व बौद्धिक विकास करके उन्हें समाज की मुख्य धारा में जोड़ने हेतु श्रम विभाग व यूनीसेफ के संयुक्त तत्वावधान में ‘नया सवेरा’ कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। मा. मंत्री, श्रम एवं सेवायोजन, उत्तर प्रदेश द्वारा 12 जून, 2017 को अन्तर्राष्ट्रीय बालश्रम विरोध दिवस के अवसर पर “नया सवेरा” योजना का शुभ आरम्भ किया गया था। योजना के प्रथम चरण में जनपद बहराइच सहित 20 जिलों को सम्मिलित किया गया था।
‘नया सवेरा’ योजना का मुख्य उद्देश्य जनगणना वर्ष, 2011 से प्राप्त आकड़ो के आधार पर श्रम विभाग, उत्तर प्रदेश में बालश्रम उन्मूलन हेतु एक राज्य कार्य योजना तैयार की गई है। इस कार्य योजना के अंतर्गत सभी जिलों के बालश्रम से सर्वाधिक प्रभावित ग्रामों और शहरी वार्डों को चिन्हित कर कार्यवाही की जा रही है। योजना अंतर्गत जनपद में 34 ग्राम पंचायत और 15 शहरी क्षेत्र वार्ड कुल 49 हॉट-स्पॉट चयनित किये गए है। चिन्हित 34 ग्राम पंचायतों में 21 ग्राम पंचायत ब्लाक चित्तौरा तथा 13 ब्लाक महसी में स्थित है। 
‘नया सवेरा’ योजना के तहत 49 ग्राम पंचायत/वार्ड के कुल 1401 (253 बाल श्रमिक परिवार के व 1148 अन्य परिवार) के लोगों का उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार योजना के तहत पंजीयन कराया गया है। अब तक 202 बालश्रमिक परिवार और 409 अन्य परिवार कुल 611 परिवारों लाभान्वित किया जा चुका है। श्रम विभाग द्वारा संचालित ‘‘बाल श्रमिक विद्या’’ योजना के तहत (कामकाजी, ड्रॉपआउट, अनियमित और बालश्रमिक बच्चे) जिनके माता या पिता या माता और पिता दोनों की मृत्यु हो गई हो, ऐसे 100 बच्चों (56 बालक और 44 बालिका) को 01 माह की क़िश्त प्रति बालक रू. 1000/ तथा प्रति बालिका रू. 1200/- प्रतिमाह की दर से आर्थिक सहायता के रूप में प्रदान की गई। ‘नया योजना’ के अंतर्गत आच्छादित ग्राम पंचायत/वार्ड से 36 बच्चो को श्रम विभाग की ‘बाल श्रमिक विद्या’ योजना का लाभ प्राप्त हो रहा है।
कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बाल श्रम उन्मूलन की जनपद स्तरीय समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य विकास अधिकारी कविता मीना ने सहायक श्रम आयुक्त को निर्देश दिया कि बाल श्रम से मुक्त कराये गये गच्चों एवं उनके परिवारों को केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं से भी आच्छादित कराया जाय। विभाग का यह प्रयास होना चाहिए कि बालश्रम से मुक्त हुए बच्चों शासन की मंशानुरूप सामान्य बच्चों की भांति बौद्धिक एवं आर्थिक विकास हो। 
मुख्य विकास अधिकारी ने श्रम विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि बालश्रम से मुक्त हुए बच्चों एवं उनके परिवारों को दूसरी अन्य योजनाओं से लाभान्वित करने हेतु सम्बन्धित विभागों से समन्वय स्थापित कर लक्षित वर्ग को जोड़ा जाय। बालश्रम से मुक्त मुक्त कराये गये बच्चों के शैक्षिक व बौद्धिक विकास के विकास के लिए विभागों के साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों, स्वैच्छिक संस्थाओं से भी सहयोग प्राप्त किया जाय। सीडीओ ने बीएसए को निर्देश दिया कि बाल श्रम से मुक्त हुए बच्चों का उनकी आयु के अनुसार सम्बन्धित स्कूलों में शत-प्रतिशत नामांकन भी सुनिश्चित करायें।
इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी मनोज, जिला कार्यक्रम अधिकारी जी.डी. यादव, सहायक श्रम आयुक्त सिद्धार्थ मोदीयानी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अजय कुमार, जिला पंचायत राज अधिकारी उमाकान्त पाण्डेय, दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी ए.के. गौतम, जिला प्रोबेशन अधिकारी विनय कुमार सिंह सहित अन्य अधिकारी, सी.वी.सी. के सदस्य सतीश श्रीवास्तव एडवोकेट व श्रवण कुमार शुक्ला सहित अन्य सम्बन्धित मौजूद रहे। 
                     

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