गो
आधारित प्राकृतिक खेती को विस्तार देने में जुटी गोरक्षपीठ
सहज तरीके से जीवामृत व प्राकृतिक
कीटनाशी बनाने का दिया गया प्रशिक्षण
देसी गाय प्राकृतिक खेती का आधार, एक ग्राम गोबर में तीन सौ करोड़ लाभकारी
सूक्ष्म जीवाणु
गोरखपुर, 17 जून।
'खाद्य पदार्थों के जरिये
न जहर खाएंगे, न खिलाएंगे' के मंत्र को
अंगीकार कर गोरक्षपीठ गो आधारित प्राकृतिक खेती को विस्तारित करने का निरंतर
अभियान चला रही है। मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ सदैव
प्राकृतिक खेती पर जोर देते हैं और इसकी पहल उन्होंने काफी पहले से गोरक्षपीठ से
कर रखी है। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए गोरक्षपीठ में दो दिवसीय प्रशिक्षण
कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान किसान भाइयों को बहुत ही सहज तरीके से
जीवामृत और प्राकृतिक कीटनाशी बनाना सिखाया गया।
तमाम
अनुसंधानों से यह प्रमाणित है कि देसी गाय प्राकृतिक खेती का आधार है। देसी गाय का
मूत्र जहरनाशक है तो इसके एक ग्राम गोबर में खेती के लिए लाभकारी तीन सौ करोड़ से
अधिक सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते हैं। गोरक्षपीठ में आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला में
किसानों को इन्ही बातों की जानकारी देते हुए उन्हें खुद जीवामृत व कीटनाशी बनाने
का व्यावहारिक ज्ञान दिया गया। देसी गाय के गोबर व गोमूत्र से बना जीवामृत उन
सूक्ष्म जीवाणुओं का महासागर है जो खेतों की उर्वरा शक्ति को कई गुनी रफ्तार से
बढ़ा देते हैं।
12 वर्ष से गो आधारित
प्राकृतिक खेती के अभियान में जुटे आशीष कुमार सिंह ने गोरक्षपीठ में आयोजित
कार्यशाला के दूसरे दिन शुक्रवार को किसानों को प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि
200 लीटर जीवामृत एक एकड़ खेत के लिए संजीवनी समान है।
जीवामृत बनाने के लिए देसी गाय का गोबर, गोमूत्र, पानी, गुड़, चने की दाल का बेसन
आदि मिलाया जाता है। तैयार घोल को सुबह शाम घड़ी की सूई की दिशा में मिलाया जाता है
और 48 घण्टे में जीवामृत बनकर तैयार हो जाता है। इसे सिचाईं
के जरिये खेतों में पहुंचा दिया जाता है। जीवामृत में मौजूद करोड़ों सूक्ष्म जीवाणु
केंचुओं के जरिये मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ा देते हैं और इसके प्रयोग से पैदा
हुआ खाद्यान्न, फल, सब्जियां आदि पूरी
तरह प्राकृतिक और हानिकारक रसायन से मुक्त होती हैं।
आशीष ने
किसानों को पेड़ों की पत्तियों के साथ गोमूत्र,
गोबर, हल्दी, अदरक,
लहसुन, हींग आदि के साथ मिश्रित कर कीटनाशी
बनाने व फसल अवशेष को खाद के रूप में परिवर्तित करने का भी प्रशिक्षण दिया। इस
अवसर पर कई प्राकृतिक खेती विशेषज्ञों के साथ श्याम बिहारी गुप्ता (सदस्य कृषक
समृद्धि आयोग), प्रशिक्षण कार्यक्रम के संयोजक डॉ. एसपी सिंह
(पूर्व प्राचार्य दिग्विजयनाथ पीजी कॉलेज), डॉ. विवेक प्रताप
सिंह, डॉ. संदीप प्रकाश उपाध्याय, अवनीश
कुमार सिंह, बसंत नारायण सिंह आदि उपस्थित रहे।
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