*दिनांक* 20/06/2022
जलालपुर अंबेडकर नगर।
*अरई* पुल से *सुधार नगर* तक पहुंचने के लिए यह मार्ग एक बेहतरीन *शॉर्टकट* है...
अरई के अलावा *करौदी* और *लाभापार* के लोग भी इस शॉर्टकट का बहुत प्रयोग करते हैं....
काफी दिनों से *ट्राली ट्रैक्टर* वालों ने इस पर *दौड़ा दौड़ा* कर रास्ते को एकदम खराब कर दिया था,
जहां लोगों को अपने दैनिक जीवन की वस्तुएं लेने के लिए पंथीपुर घूम कर जाना पड़ता था, वही इस रास्ते के खुल जाने से लोगों को *रोजमर्रा* की वस्तुएं लेने के लिए अब परेशानी का सामना बिल्कुल भी नहीं करना पड़ेगा...
इस रास्ते के बाधित होने से अरई की सम्मानित जनता एवं आसपास के सम्मानित गांव वालों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था... लेकिन इस रास्ते पर, आम जनमानस की समस्या पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया, वैसे अपने मुंह से कहने के लिए गांव में काफी बड़े-बड़े नेता हैं... अरई धरती, वीरों की धरती, क्रांतिकारी धरती है, थोड़ी-थोड़ी जिम्मेदारी सब को उठानी चाहिए... यह सब का नैतिक कर्तव्य भी है बजाए काम करने वाले व्यक्ति का टांग खींचने के, खैर *समाजसेवी संदीप* *यादव* जी ने इस रास्ते को खुलवा दिया है, रास्ते के खुलने से समस्त ग्रामवासी अत्यंत खुश हैं...
सुधार नगर आप काफी आसानी से जा सकते हैं... अब किसी ग्रामवासी को पंथीपुर होकर घूम कर जाने की आवश्यकता नहीं है.. गांव का विकास तभी संभव है जब विकास करने वाले और सोचने वाले का, सब बुराइयों से ऊपर उठकर, सब लोग साथ देंगे टांग खींचने वाले ना अपना विकास कर पाते हैं... और ना ही दूसरों का, वह आजीवन दूसरों की खुशियां देख कर जलते ही रहते हैं... उन्हें कभी बड़ी सफलता का सौभाग्य प्राप्त नहीं होता है... सफलता उसी को मिलती है जो इन सब बुराइयों से काफी ऊपर उठकर सोचता है.... और अपने समाज की बेहतरी के लिए पूरी निर्भीकता और निडरता से काम करता है...ग्राम सभा की पूरी जिम्मेदारी ग्राम सभा अध्यक्ष के हाथ में होता है...
इसके साथ उसके *तीन सचिव* और *15 मेंबर* मिलकर पूरी जिम्मेदारी से काम करें.... और *जनता जनार्दन* भी उनका पूरा सहयोग करें, तो अपने गांव को *आदर्श गांव* बनने से कोई भी नहीं रोक सकता है... लेकिन सब लोग सोचते हैं.... ग्राम सभा की सारी जिम्मेदारी ग्राम सभा अध्यक्ष की है.... वही अकेले सब करे, लेकिन सब भूल जाते हैं की ग्राम सभा अध्यक्ष का सहयोग करना सब की नैतिक जिम्मेदारी भी है... लोग दूसरों की जिम्मेदारी की तो बात करते हैं... लेकिन अपनी जिम्मेदारी पर कभी नहीं चिल्लाते हैं.... यही कारण है जिसकी वजह से संपूर्ण विकास नहीं हो पा रहा है.... पता है अपनी सोच बदलिए दुनिया अपने आप बदल जाएगी....
परिवर्तन संसार का नियम है...
जैव-विकास-प्रक्रिया में वह नहीं जिंदा रहता है, जो सबसे ताकतवर और बुद्धिमान है... बल्कि वह जीवित रहता है... जो अपने आप को समय के अनुकूल ढाल लेता है।
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