प्रीतम शुक्ला की रिपोर्ट
० अधिकारियों को लेना होगा सख्त एक्शन
० जब हर रोज सुनी जा रही समस्या तो आखिर क्यों नहीं हो रही खत्म
० निचले स्तर पर करना होगा कड़ाई
० सम्पूर्ण समाधान दिवस पर बढ़ रही पेंडेंसी
*सोनभद्र।* सीएम योगी लगातार अधिकारियों को निर्देशित कर रहे हैं कि वे प्रतिदिन अपने ऑफिस में बैठकर जनता की समस्या सुने और उसका निस्तारण करें ताकि जिले की समस्या उन तक न पहुंचे ।
आज हम समस्याओं के निस्तारण को लेकर लगने वाले “सम्पूर्ण समाधान दिवस” व थाना दिवस की बात करेंगे । आज हम यब जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर जब प्रतिदिन हर अधिकारी अपने कक्ष में जनता की समस्या सुन रहे हैं और महीने में दो बार ‘सम्पूर्ण समाधान दिवस’ स थाना दिवस में फरियादियों की समस्या सुन रहे हैं तो आखिर हर बार इतनी भीड़ क्यों होती है, क्यों लगती है फरियादियों की लाइनें ।
शनिवार 18 जून को सम्पूर्ण समाधान दिवस में पूरे जिले के सभी तहसीलों में सम्पूर्ण समाधान दिवस पर जनता की समस्या सुनी गई । रावर्ट्सगंज में जिलाधिकारी तो दुद्धी में मंडलायुक्त ने जनता की समस्या सुनी और उसका निस्तारण किया ।
शनिवार सम्पूर्ण समाधान दिवस में पूरे जिले में कुल 459 मामले आये, जिसमें से महज 47 मामलों का निस्तारण किया गया जबकि 412 मामले पेंडिंग हैं जिनका निस्तारण नहीं हो सका । यानी साफ हैं कि उक्त 412 मामले पेंचीदा है जिसमें वक्त लगेगा, तब जाकर निस्तारित हो सकेगा ।
अब सवाल छह उठता है कि महीने का पहला 4 जून को लगने वाले सम्पूर्ण समाधान दिवस में भी समस्या कम नहीं आयी । पहले समाधान दिवस में पूरे जनपद में 456 मामले आये जिसमें से मात्र 30 मामलों को ही निपटा सके बाकी 426 मामले पेंडिंग में डाल दिये गए कि आगामी दिवस में इसका निस्तारण हो जाना चाहिए ।
ऐसे में बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि जब अधिकारी सोमवार से शुक्रवार तक अपने चैंबर में जनता की फरियाद सुन रहे हैं तो आखिर सम्पूर्ण समाधान दिवस में इतनी समस्या कहाँ से आ रही । तो क्या प्रतिदिन सुने जाने वाले समस्या को गंभीरता से नहीं लिया जाता या फिर लोगों का भरोसा ही सम्पूर्ण समाधान दिवस व थाना दिवस पर ही रह गया है । लेकिन जिस तरह से सम्पूर्ण समाधान दिवस के दिन फरियादियों की भीड़ उमड़ रही है कि जनपद में समस्याओं का अंबार लगा है और लोग समस्या के समाधान के लिए परेशान हैं । जबकि ग्रामीण स्तर पर प्रधान से लेकर सेक्रेटरी, लेखपाल व ब्लाक स्तर पर बीडीओ सहित तमाम अधिकारी मौजूद हैं लेकिन यदि लोग अपनी समस्या लेकर इस भीषण गर्मी में भी चल कर तहसील पहुंच रहे हैं तो एक बात तो साफ है कि समस्या निचले स्तर की है और जब वहीं नहीं सुनी जा रही तो वे ऊपर आने को विवश हैं ।
हर फरियादी को सम्पूर्ण समाधान दिवस व थाना दिवस की बेसब्री से इंतजार रहता है कि शायद अबकी बार साहेब की उनपर रहमोकरम हो जाय तो मामला सुलझ जाय, मगर यहां भी आने पर उन्हें मिलती है तारीख…
जरूरत है अधिकारियों को ऐसी व्यवस्था बनाने की ताकि मामले निचले स्तर पर ही निस्तारित कर दिए जाएं, ऊपर आने की जरूरत ही न पड़े । क्योंकि समस्या ग्राउंड जीरो की होती है न कि ऊपर की ।
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