*बिजली विभाग रुदौली में ₹ 50 लाख का गबन,दो निलंबित*
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अयोध्या-एक ओर बिजली महकमा बड़े वित्तीय संकट से जूझ रहा है तो दूसरी ओर बिजली विभाग के अधिकारी व कर्मचारी अपने ही विभाग को चूना लगाने में जुटे हुए हैं। ऐसा ही एक मामला विद्युत वितरण खंड रुदौली में लगभग 50 लाख का रुपये का गबन का प्रकाश में आया है। गबन सामने आने के बाद अधिशासी अभियंता ने घोटाले के आरोपी राजस्व संग्रहकर्ता (टीजी-दो) कर्मचारी को निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही रुदौली कोतवाली में उसके विरुद्ध मुकदमा भी पंजीकृत कराया है। मामला प्रकाश में आने के बाद से विभागीय अधिकारी कुछ भी बयान देने से कतराते नजर आ रहे हैं।
रुदौली कोतवाली में विद्युत वितरण खंड रुदौली के मुख्य राजस्व रोकड़िया द्वारा दी गई तहरीर में विद्युत कर्मी राजस्व संग्रहकर्ता सुरजीत पाल (टीजी-2) द्वारा राजस्व धनराशि को विभागीय खाते में न जमा किये जाने की शिकायत की गईं। शिकायत में दिनांक एक जनवरी 2021 से तीस अप्रैल 2022 के मध्य कुल जमा की गयी धनराशि तीन करोड़ इकतालीस लाख आठ हजार चार सौ चौदह रुपये के सापेक्ष दो करोड़ इक्कयानवे लाख इकतालीस हजार एक सौ बासठ रुपये मात्र को ही विभागीय खाते में जमा कराया गया। शेष राशि 49 लाख 67 हजार 250 रुपये तथा उस पर अध्योपित ब्याज को सुरजीत पाल (राजस्व संग्रहकर्ता) द्वारा अभी तक विभागीय खाते में जमा नहीं कराया गया है। यह गबन का मामला है।
*आरोपी कर्मी से होगी राजस्व की वसूली*
अधिशाषी अभियंता आरएस मौर्य ने बताया कि गबन के आरोपी कर्मचारी सुरजीत पाल को निलंबित कर उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवा दिया गया है। अन्य सभी दोषियों पर जल्द कार्रवाई की जाएगी। उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है। जांच टीम गठित हो गई है। आरोपी कर्मचारी से संपूर्ण राजस्व की वसूली की जाएगी। कोतवाल रुदौली शशिकांत यादव ने बताया कि मुकदमा पंजीकृत किया गया है। साक्ष्य एकत्र किये जा रहे हैं। साक्ष्यों के आधार पर गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाएगी।
*उपभोक्ताओं का पैसा खुद इस्तेमाल कर रहा था*
राजस्व संग्रहक सुरजीत पाल पुत्र स्व. रामसूरत पाल मुख्य रूप से ग्राम व पोस्ट दशरथपुर तहसील बीकापुर जिला अयोध्या का मूल निवासी है। इसके विरुद्ध विभागीय राजस्व हानि, सरकारी धन के गबन एवं दुरूपयोग करने संबंधित सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है। इसके साथ ही जिम्मेदार अन्य दोनों कैशियर व पर्यवेक्षक पर भी विभागीय कार्रवाई की तलवार लटक रही है। इन दोनों कर्मचारियों की जिम्मेदारी थी कि राजस्व संग्रह को बैंक में जमा करवायें। आरोपी कर्मचारी उपभोक्ताओं का पैसा जमा न कर उसे अपने उपयोग में ले रहा था। पूरे साल कर्मचारी घोटाला करता रहा और विभागीय अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। इतनी बड़ी चूक डिवीजन स्तर पर होने से एक्सईएन, खंडीय लेखाकार व कैशियर के पर्यवेक्षण पर सवाल उठ रहे हैं।
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