ग्रामीणों का ऐसा जुगाड़ 32 किलोमीटर दूरी को 12 किलोमीटर में समेट दिया, लेकिन बरसात में इनके जुगाड़ पर फिर जाता पानी
गोंडा देश की आजादी के 75 वर्ष बाद भी गोंडा बलरामपुर जनपद की सीमा पर बसे ग्रामीणों की दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। इन्हें नदी पार करने के लिए आज भी अपनी जान दांव पर लगाना पड़ता है। ग्रामीणों ने बिजली के खंभे को रखकर जुगाड़ से करीब 1 फीट चौड़ा पुल बनाया है उसी के सहारे प्रतिदिन नदी पार करते हैं।
जनपद के विकास खंड इटियाथोक क्षेत्र के गांव विजय गढ़वा सहित करीब 2 दर्जन गांव गोंडा बलरामपुर की सीमा पर बसे होने के कारण इनका विकास नहीं हो सका। नदी के इस पार गोंडा जनपद उस पार बलरामपुर जनपद की सीमा पड़ती है। सीमा पर बसे एक दर्जन गांव के ग्रामीणों को रोजी रोटी के लिए प्रतिदिन बलरामपुर मुख्यालय जाना होता है। कारण यहां से बलरामपुर की दूरी महज 12 किलोमीटर होती है। तथा गोंडा की दूरी 32 किलोमीटर पड़ती है। बरसात के दिनों में इन ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कुआनो नदी के उफान आने के बाद जुगाड़ का पुल पानी में डूब जाता है। तथा आवागमन पूरी तरह से बंद हो जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि कुआनो नदी कभी सूखती नहीं है। गर्मी के दिनों में आज भी जहां जुगाड़ का पुल बनाया गया है। वहां पर नदी काफी गहरी है। जरा सी चूक होने पर जान गवाना पड़ सकता है। इसी रास्ते से ग्रामीण साइकिल मोटरसाइकिल व पैदल किसी तरह जान हथेली पर रखकर जुगाड़ के पुल से इस पार से उस पार जाते हैं। बरसात के दिनों में इन्हें इटियाथोक करीब 32 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद बलरामपुर या फिर गोंडा मुख्यालय आने के लिए विवश होना पड़ता है। ग्रामीणों का आरोप है कि चुनाव के समय नेता आते हैं। पुल बनवाने का वादा करते हैं। कई बार सांसद विधायक इस पुल के निर्माण की बात कर चुके हैं। लेकिन वोट लेने के बाद कोई लौटकर नहीं आता है।
गोंडा रिपोर्ट_ प्रशांत मिश्रा।
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