QUAD सम्मेलन से क्या मिलेगा? - अनुज अग्रवाल
शोमैन मोदी हर विदेशी दौरे में छाये रहते हैं। आज कल वे जापान के दौरे पर हैं QUAD की शिखर वार्ता में शामिल होने के लिए। चीन के वर्चस्व को रोकने के लिए बने QUAD के चारों भागीदारों में अमेरिका के जो बाइडेन और आस्ट्रेलिया के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री अँथनी अलबनीज के चुनावों में सफलता के पीछे ही चीन ही है। जापान अब अपने नौकरशाह के हाथों में है व अमेरिका का पिट्ठू बना हुआ है। मोदी बाई बिना नाम लिए चीन को धमकी देने की रस्म निभाते आए हैं और भारत चीन के विरुद्ध सैन्य संगठन AUKUS में भी शामिल नहीं हुआ है। यद्यपि चीन की विस्तारवादी नीतियों का सबसे बड़ा और पहला शिकार भारत है।
यह माना गया था कि चार बड़े लोकतांत्रिक देश मिलकर चीन के विस्तारवाद पर लगाम लगाएंगे, हिंद-प्रशांत को चीन के सैन्य अड्डे में बदलने से रोकेंगे और इसे एक सुरक्षित क्षेत्र के रूप में स्थापित करेंगे। क्वाड के कई घोषित मकसद में से मुख्य मकसद हिंद-प्रशांत को सुरक्षित क्षेत्र बनाना है।
ये चारों देश कारोबार के लिए चीन पर निर्भर हैं। चीन के साथ भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का कारोबार कितना बड़ा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इन चार देशों के साथ चीन का ट्रेड सरप्लस सालाना करीब सात सौ अरब डॉलर का है। यानी ये चार देश मिलकर चीन को जितना निर्यात करते हैं उससे सात सौ अरब डॉलर ज्यादा का आयात करते हैं। यह चीन की असली आर्थिक ताकत है, जिसके दम पर वह हिंद-प्रशांत में भी और दूसरे क्षेत्रों में भी अपना सैन्य विस्तार कर रहा है। इसमें अकेले अमेरिका के साथ उसका ट्रेड सरप्लस चार सौ अरब डॉलर का है। चीन के कुल ट्रेड सरप्लस में करीब 60 फीसदी हिस्सा अकेले अमेरिका का है। भारत के साथ भी उसकी सालाना कारोबार अधिकता बढ़ कर 80 अरब डॉलर हो गई है।पूर्वी लद्दाख में दो साल से चल रहे सीमा विवाद और गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बावजूद चीन के साथ भारत का कारोबार बढ़ता जा रहा है। अब तक के इतिहास में पहली बार भारत ने चीन के साथ एक सौ अरब डॉलर से ज्यादा का कारोबार किया है। सोचें, एक तरफ चीन का सैनिक विस्तारवाद है और उसे रोकने के लिए क्वाड पहल है तो दूसरी ओर चीन के साथ कारोबार का विस्तार है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने तो चीन को राहत देनी ही शुरू कर दी है। चीन ने अमेरिका के साथ हुए कारोबार समझौते के पहले चरण की शर्तों को 2020 की तय समय सीमा तक पूरा नहीं किया, इसके बावजूद बाइडेन प्रशासन ने सख्ती नहीं दिखाई। उलटे चीन की बड़ी तकनीकी कंपनी हुआवे के संस्थापक की बेटी को फ्रॉड के आरोपों से मुक्त कर दिया। कोरोना की उत्पत्ति और उसके प्रसार में चीन की घोषित भूमिका होने के बावजूद अमेरिका ने उस पर दबाव नहीं बनाया। आने वाले दिनों में चीन के साथ अमेरिका के कारोबार में कमी आने की बजाय बढ़ोतरी हो तो हैरानी नहीं होगी क्योंकि अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि ने चीन से आयातित 352 वस्तुओं पर शुल्क से छूट फिर से बहाल कर दी है। पिछले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन वस्तुओं पर शुल्क लगाया था, जिसे बाइडेन प्रशासन ने खत्म कर दिया है। इसके अलावा बाइडेन प्रशासन चीन से आयातित असैन्य वस्तुओं पर शुल्क में और छूट देने की तैयारी कर रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि बाइडेन प्रशासन इस प्रयास में है कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग में चीन किसी तरह से रूस से दूरी बनाए। चीन को रूस से दूर रखने के लिए अमेरिका उसके साथ कारोबार भी बढ़ा रहा है और उसे रियायत भी दे रहा है।
ऐसे में QUAD का यह शिखर सम्मेलन कोई निर्णायक या ठोस पहल कर पाएगा , इसकी उम्मीद कम ही है।
अनुज अग्रवाल
संपादक, डायलॉग इंडिया
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