जैन दर्शन पर पीएचडी करने वाले विद्यार्थियों को मिलेगी आर्थिक सहायता

विद्यार्थियों के शैक्षिक आदान-प्रदान लिए श्रीलंका, वियतनाम एवं चीन आदि देशों से समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया जाए-श्री जयवीर सिंह

लखनऊ: 18 मई, 2022

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह के समक्ष आज पर्यटन निदेशालय के सभागार में उ0प्र0 जैन विद्या शोध संस्थान तथा अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ के पदाधिकारियों द्वारा आगामी 100 दिन 02 वर्ष एवं 05 वर्ष की कार्य योजना एवं लक्ष्यों का प्रस्तुतीकरण किया गया। इसके साथ ही दोनों संस्थानों द्वारा विगत 05 वर्षों के दौरान अर्जित की गयी उपलब्धियों का विवरण भी पेश किया गया।
प्रस्तुतीकरण का अवलोकन करने के पश्चात पर्यटन मंत्री ने कहा कि जैन विद्या शोध संस्थान में प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए एक सरलीकृत प्रक्रिया निर्धारित की जाये। इसके साथ ही जैन धर्म से जुडे़ ऐतिहासिक स्थलों, मंदिरों, स्थापत्य कला, शिल्प शैली एवं परम्पराओं का विधिवत अभिलेखीकरण कराया जाए। उन्होंने कहा कि जैन दर्शन में पीएचडी करने वाले छात्रों को आर्थिक सहयोग दिया जायेगा। इसके साथ ही जैन वास्तुशिल्प तीर्थकरों, जैन धर्म प्रवर्तन आदि पर शोध के लिए बढ़ावा दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में बहुत सी अच्छी बाते हैं, जिसका लोग अनुसरण करके इसके साथ जुड़ना चाहते हैं। यह धर्म सर्वधर्म सम्भाव एवं अहिंसा का पुजारी है।
श्री जयवीर सिंह ने कहा कि जैन विद्या शोध संस्थान समाज में व्याप्त वैचारिक विषमता को दूर करके सामाजिक सहिष्णुता स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि संस्थाओं की सूची बनाकर उनमें छात्र-छात्राओं के नैतिक उत्थान के लिए प्रवचन कराया जाए। इसके साथ ही समय-समय पर अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का भी आयोजन कराया जाए। उन्होंने कहा कि जैन धर्म से जुड़े स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं को विकसित करने के लिए व्यक्तियों अथवा संस्थाओं से आर्थिक सहयोग लिया जा सकता है। इसमें 50 प्रतिशत धनराशि पर्यटन विभाग द्वारा भी उपलब्ध करायी जायेगी एवं दानदाताओं के नाम की पट्टिका भी लगाई जायेगी।
अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान द्वारा प्रस्तुत भविष्य की योजनाओं का अवलोकन करने के पश्चात पर्यटन मंत्री ने कहा कि बौद्ध धर्म की जडे़ बहुत गहरी हैं। इसलिए इसके प्रचार-प्रसार के लिए चीन, श्रीलंका, वियतनाम आदि देशों के विश्वविद्यालयों से यम0ओ0यू0 हस्ताक्षरित कर वहॉ के 05 विद्यार्थियों को यहां तथा यहां से 05 विद्यार्थियों को वहां भेजने की व्यवस्था की जाए। बौद्ध धर्म आज के परिस्थितियों में अत्यधिक प्रासांगिक है और विश्व शांति के लिए बौद्ध दर्शन एवं उपदेशों को अपनाना जरूरी है।
श्री जयवीर सिंह ने कहा कि बुद्ध पूर्णिमा पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भगवान बुद्ध के जन्म स्थली लुम्बनी जाकर उनकी पूजा अर्चना की और वहां से पूरे विश्व को सत्य, अहिंसा, करूणा एवं मानवता का संदेश दिया। लुम्बनी में बौद्ध सेन्टर स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म को पुनः स्थापित करने के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान जरूरी है। इसलिए 05 भिक्षुओं को बोधि वृक्ष लेकर विभिन्न देशों में जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मा0 प्रधानमंत्री जी बौद्ध धर्म को विश्व पटल पर स्थापित करने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि बौद्ध संस्थान एवं जैन विद्या शोध संस्थान द्वारा बनायी गयी कार्ययोजना पर तेजी से कार्य करते हुए उसे निर्धारित समय में धरातल पर उतारा जाए।
इसके पश्चात पर्यटन निदेशालय के अधिकारियों द्वारा राजस्थान, महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश के शैक्षिक भ्रमण की रिपोर्ट का अवलोकन करने के पश्चात पर्यटन मंत्री ने कहा कि दूसरे राज्यों में पर्यटन गतिविधियों, संग्रहालयों, धार्मिक स्थलों के बारे में तुलनात्मक चार्ट तैयार किया जाए। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों की अच्छी व्यवस्था एवं अच्छाईयों को अपनाने पर भी विचार किया जाए।
महानिदेशक एवं प्रमुख सचिव पर्यटन श्री मुकेश कुमार मेश्राम ने निदेश दिये कि प्रदेश के बौद्ध विहारों का अभिलेखीकरण कराया जाए एवं विभिन्न गतिविधियों को संस्थानों से जोड़़कर इसमें आम-जनता की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। भगवान बुद्ध के विचारों एवं दर्शन को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना जरूरी है।
इस अवसर पर विशेष सचिव संस्कृति श्री आनन्द कुमार सिंह, अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्थान के पदाधिकारी तथा जैन विद्या शोध संस्थान के पदाधिकारी एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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