एशियन पेंट्स और स्टार्ट इंडिया फाउंडेशन ने स्टार्ट केयर पहल लॉन्च की, नोएडा में बच्चों का एक अस्पताल इससे लाभ पाने वाला पहला संस्थान है
~स्टार्ट केयर एक वार्षिक पहल होगी, जो कला को विभिन्न सार्वजनिक संस्थानों में लेकर जाएगी~
~इस पहल के अंतर्गत कला की मध्यस्थता वाला पहला संस्थान है द पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ, नोएडा~
नोएडा, 6 मई 2022: स्टार्ट इंडिया फाउंडेशन ने एशियन पेंट्स के साथ मिलकर पहली स्टार्ट केयर पहल लॉन्च की है। यह वार्षिक परियोजना कला का एक हस्तक्षेप है, जिसका लक्ष्य है सरकार द्वारा संचालित संस्थानों में कला को लाना। इस पहल के अंतर्गत लाभान्वित होने वाला पहला संस्थान है द पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ, नोएडा।
अस्पताल का भौतिक वातावरण मरीज के ठीक होने के समय को प्रभावित करता है। अध्ययनों की एक बढ़ती संख्या बताती है कि स्वास्थ्यरक्षा के समग्र अनुभव पर बच्चों की धारणा में सुंदर वातावरण का महत्वपूर्ण योगदान होता है और आनंद की भावना में संभावित योगदान होता है। जब शिशुओं का सामना नये लोगों और रिश्तों, जैसे अस्पताल के कर्मचारी से होता है तब उन्हें अलगाव और अपरिचित होने की चिंता होती है । उन्हें अक्सर अपने परिवार के बिना लंबा समय बिताना होता है और वे घर के आराम को याद करते हैं। अस्पताल में अपरिचित वातावरण बच्चों को भयभीत और चिंतित कर देता है। इसलिये अस्पताल में सुखद और स्वागत करने वाला वातावरण निर्मित करने की तुरंत आवश्यकता है।
अस्पताल की जगह मनावैज्ञानिक, आध्यात्मिक और भौतिक स्तरों को प्रभावित करने वाले आर्किटेक्चर और आंतरिक सज्जा द्वारा ठीक होने में सहायता कर सकती है। मरीज और उसके परिवार पर केन्द्रित वातावरण में समानुभूति और अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्यरक्षा सेवाएं प्रदान करना महत्वपूर्ण है। कला स्वास्थ्यरक्षा प्रदाता के साथ मरीज और उसके परिवार के संतोष और कुल मिलाकर देखभाल की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करती है। यह कार्यस्थल के भीतर कर्मचारियों का संतोष भी बढ़ाती है, क्योंकि इससे कर्मचारियों को बच्चों का ध्यान भटकाने या तीव्र और कठिन उपचार ले रहे बच्चों के साथ सकारात्मक तरीके से जुड़ने में अमूल्य सहायता मिलती है।
कला की उपचारात्मक शक्ति के बारे में सभी जानते हैं, वह नीरस वातावरण को स्वागत करने वाला और आनंद से भरा बना सकती है। स्टार्ट केयर की पहली परियोजना के पीछे खासकर नन्हे मरीजों के लिये, अस्पताल के तनावपूर्ण और डराने वाले अनुभव को ज्यादा अनुकूल बनाने का विचार है। इस परियोजना से लाभान्वित हो रहा पहला अस्पताल है द पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ (उत्तर प्रदेश सरकार के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान), जो सेक्टर 30, नोएडा में स्थित है। कला मध्यस्थताएं चरणबद्ध होंगी और कुछ वर्षों में शुरू होंगी। पहले चरण में अस्पताल के बाहरी भाग पर ध्यान दिया जाएगा।
स्टार्ट इंडिया फाउंडेशन के सह-संस्थापक अर्जुन बहल ने कहा, “हम स्टार्ट केयर के बैनर तले पहली परियोजना शुरू करते हुए उत्साहित हैं। स्टार्ट केयर का लक्ष्य है कला को ऐसी जगहों पर ले जाकर उनका कायाकल्प करना, जिनकी आमतौर पर उपेक्षा की जाती है, जैसे बच्चों के अस्पताल, ओल्ड एज होम, अनाथालय, आदि। हमारा मिशन है ऐसी जगहों में योगदान देना, जिनका वित्तपोषण सरकारें, एनजीओ और गैर-लाभान्वी करते हैं। इस योगदान के तहत उन्हें देखने योग्य वर्णन, रंग और जीवंतता मिलेगी। शोध ने दिखाया है कि आंतरिक जगहों में कला और रंगों के होने से ठीक होने की प्रक्रिया तेज हो जाती है, क्योंकि इससे मरीजों, डॉक्टरों और देखभाल करने वालों का मूड अच्छा हो जाता है और मनोबल बढ़ता है। इससे इन जगहों से जुड़ी निराशा और अनिश्चितता भी दूर हो जाती है। हम आभारी हैं कि इस विचार में हमारा भागीदार एशियन पेंट्स इस प्रकार की जीवंत परियोजनाओं में हमारा साथ दे रहा है। मैं द पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ, नोएडा के प्रबंधन और शिक्षकों का भी शुक्रिया अदा करता हूँ, जिन्होंने पहले संस्करण पर हमारे साथ काम किया है और ऐसी जगहें बनाने के हमारे विचार को साकार किया है, जहाँ कला ऐसे लोगों के लिये सुलभ हो, जिन्हें उसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।”
पोस्टग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ के निदेशक प्रोफेसर अजय सिंह ने कहा, “’एशियन पेंट्स और स्टार्ट इंडिया फाउंडेशन के साथ मिलकर अस्पताल के परिदृश्य में कला को लाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि ऐसे बच्चे जल्दी ठीक हो सकें, जो हमारे पास बाहरी या आंतरिक रोगी सेवाओं के लिये आते हैं। इस परियोजना के फेज 1 में भवन के आगे के भाग का कायाकल्प हो रहा है, जिसके लिये बच्चों के भित्ति-चित्र हैं, जो प्रसन्नता, प्रकृति और सकारात्मकता दिखाते हैं। रचनात्मक कलाओं और मरीज के ठीक होने के बीच गहरा सम्बंध होता है। कला और स्वास्थ्य दर्ज इतिहास की शुरूआत से ही एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। देखने योग्य कला, संगीत, नृत्य और अभिव्यक्ति वाली कलाओं, जैसे स्टोरीटेलिंग का बच्चों के दिमाग पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। इससे दिमाग के लिये सकारात्मक स्थिति पैदा करने में मदद मिलती है, बीमारी के भावनात्मक दुष्प्रभाव से राहत मिलती है और शरीर तथा दिमाग को ठीक करने पर ध्यान देने में मदद मिलती है। हमें आशा है कि इस तरह के आर्ट इंस्टालेशंस हमारे उन बच्चों को ठीक करने में लंबी दूरी तय करेंगे, जो हमारे अस्पताल में आएंगे। अगले चरण के तौर पर हमारे संस्थान के बाहरी और आंतरिक रोगी वार्ड्स, सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड रूम्स, ऑपरेशन थियेटर्स, आदि में एक फोटो गैलरी और आर्ट इंस्टालेशंस की योजना है। हमारा संस्थान बच्चों की सुपर स्पेशियल्टी केयर करता है और यह हमारे देश का एक अनूठा संस्थान है। विकसित देशों के कई बच्चों के अस्पतालों में इस तरह के आर्ट इंस्टालेशंस हैं।”
एशियन पेंट्स के सीईओ और एमडी अमित सिंगले ने कहा, “स्टार्ट इंडिया फाउंडेशन के साथ हमारी साझेदारी इस साझा विश्वास पर केन्द्रित है कि कला केवल गैलरीज तक सीमित नहीं होनी चाहिये, बल्कि सार्वजनिक जगहों में उसका आनंद लिया जाना चाहिये और उसकी सराहना होनी चाहिये। इस तरह हमने 8 साल से ज्यादा समय पहले स्टार्ट के साथ साझेदारी की थी, ताकि देशभर में कला की विभिन्न मध्यस्थताओं के माध्यम से कला को जन-साधारण की ज्यादा पहुँच में लाया जाए। इसके लिये हमने कई प्रतिभाशाली कलाकारों से हाथ मिलाया है और सामुदायिक पहुँच के कार्यक्रम किये हैं। अब हम अपनी नई साझेदारी स्टार्ट केयर पर काम शुरू करते हुए बहुत खुश और गर्व महसूस कर रहे हैं। स्टार्ट केयर के अंतर्गत पहली परियोजना ऐसे लोगों को जरूरी राहत और आनंद देगी, जिन्हें उसकी सबसे ज्यादा जरूरत है और वह लोग हैं द पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ के मरीज, खासकर बच्चे, और स्वास्थ्यरक्षा कर्मचारी। हमें इस रोमांचक आर्ट इंस्टालेशन के अनावरण की प्रतीक्षा है और उम्मीद है कि इसे देखने वाला हर व्यक्ति इसका आनंद लेगा।”
कलाकार स्वाति और विजय इसी महीने अस्पताल के बाहरी भाग पर काम शुरू करेंगे। इस चित्रकला का विषय है शहरीकरण की रूपरेखा के भीतर प्रकृति की व्याख्या। भित्ति-चित्र में बच्चे आज की इमारतों का संकेत देते ग्लास ब्लॉक का उठाते हुए दिखेंगे, ताकि उसके पीछे की प्रकृति दिखा सकें। दो अन्य बच्चे एक दूसरे ब्लॉक को आश्चर्य से देखते हैं, जो व्यापक शहरीकरण के पीछे की प्रकृति की सुंदरता है।
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