दयानंद वेदों की ओर चलें
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दयानन्द वेदों की ओर चले लिए विस्वास।
दर्शन चार कर्म,पुनर्जन्म,ब्रह्मचर्य सन्यास।।
आर्य समाज के जननायक लिए ज्ञान की गंगा।
मानवता का पाठ सिखाए रहें सभी तन चंगा।
नैतिक मूल्य हो जनजन में ,हो सद्भभाव भरा।
समतामूलक हो समाज इसको सोचो जरा।
सत्यार्थ प्रकाश के मार्ग पर परस्पर चलते रहना।
जड़ जंगम स्थावर है गंगा जल सा बहना।
नाद वेद विज्ञान भरा है मानव के जीवन में।
प्रकाश पुंज पुलकित हो जैसे लिए सजीवन में।।
परम् सत्य ये जननी जीवन का निश्छल है।
सत्य अहिंसा परम् ध्यान विज्ञान बल है।।
प्रीत भरी प्रियंका पढ़ाती सबको पाठ है।
समरसता हो जनगण में बांध लो गांठ है।।
प्रियंका द्विवेदी
कौशांबी
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