आम की बागवानी को प्रदेश सरकार दे रही है बढ़ावा
लखनऊ: 04 मई, 2022
आम भारतवर्ष का ही नहीं, देश-विदेश की अधिकांश जनसंख्या का भी एक पसंदीदा और सबसे लोकप्रिय फल है। इसकी सुवास, उपलब्ध पोषक तत्वों, विभिन्न क्षेत्रों एवं जलवायु में उत्पादन क्षमता, आकर्षक रंग, विशिष्ट स्वाद और मिठास विभिन्न प्रकार के बनाये जाने वाले खाद्य पदार्थ आदि विशेषताओं के कारण इसे फलों का राजा (ज्ञपदह व िथ्तनपजे) की उपाधि से विभूषित किया गया है। आम लगभग 3-10 मी0 तक की ऊँचाई प्राप्त करने वाला सदाबहार वृक्ष है। भारत आम उत्पादन में विश्व के अनेक देशों में से एक अग्रणी देश है। विश्व के कुल आम उत्पादन में से 40 प्रतिशत से अधिक आम का उत्पादन भारत में होता है। भारतवर्ष में उत्तर प्रदेश, प्रमुख आम उत्पादक राज्य है। इसके अतिरिक्त यह छोटे स्तर पर लगभग सभी मैदानी क्षेत्रों में उगाया जाता है। आम उत्पादन में उचित परिपक्वता निर्धारण के साथ वैज्ञानिक ढंग से तुड़ाई, सुरक्षित रखरखाव एवं पैकेजिंग बेहतर प्रबंधन विपणन को दृष्टिगत रखते हुए उ0प्र0 सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आम उत्पादन को बढ़ावा दे रहे है।
आम (मैंजीफेरा इंडिका एल0) भारतीय उप-महाद्वीप का एक महत्वपूर्ण फल है तथा भारत में विश्व का सबसे अधिक आम उत्पादन होता है। बहुपयोगी होने के कारण ही आम का भारत की संस्कृति से गहरा संबंध रहा है। आम का उत्पादन भारत में प्राचीन काल से ही किया जा रहा है। भारत में इस फल की समाज के आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन में इसकी बहुमुखी उपयोगिता के कारण ही विशेष महत्व है। आम का फल सभी जनमानस को सरलता से उपलब्ध होता है। इस फल की पौष्टिकता व विभिन्न गुणों के कारण ही यह सभी लोगों की पसन्द है।
आम कच्चा हो या पक्का हो सभी तरह से प्रयोग किया जाता है। आम का अचार तो विश्व प्रसिद्ध है ही साथ में उसकी गुठली के अचार आदि बनते हैं। आम की खट्ठी-मीठी चटनी, आम का पना, आम का जूस/शेक, आइसक्रीम, खटाई, रायता, आम रस का सुखाकर बनाया गया अमावट, आदि विभिन्न खाद्य पदार्थ बनाये जाते हैं।
आम उ0प्र0 की मुख्य बागवानी फसल है। उ0प्र0 के 280 हजार हे0 क्षेत्रफल में आम का बगीचा है। प्रदेश में लगभग 48 लाख मी0टन से अधिक आम उत्पादित होता है, जो देश के कुल उत्पादन का लगभग 83 प्रतिशत है। आम उत्पादन की दृष्टि से उ0प्र0 के बाद आंध्र प्रदेश, बिहार एवं कर्नाटक, महाराष्ट्र आम उत्पादन करने वाले अग्रणी राज्य है। उ0प्र0 में सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद, वाराणसी, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, सुल्तानपुर जनपद आम फल पट्टी क्षेत्र घोषित है, जहां पर दशहरी, लंगड़ा, लखनऊ सफेदा, चौसा, बाम्बे ग्रीन रतौल, फजरी, रामकेला, गौरजीत, सिन्दूरी आदि किस्मों का उत्पादन किया जा रहा है। मलिहाबाद फल पट्टी क्षेत्र के 26,400 हे0 क्षेत्रफल में दशहरी, लंगड़ा, लखनऊ सफेदा, चौंसा उत्पादित किया जा रहा है।
आम उष्ण तथा उपोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु में पैदा किया जा सकता है। भारत में इसकी खेती समुद्र तल से 1500 मी0 की ऊॅचाई तक वाले हिमालय क्षेत्र में की जा सकती है। लेकिन व्यावसायिक दृष्टि से समुद्र तल से 600 मी0 तक की ही ऊचाई में अधिक सफलता से आम पैदा किया जा सकता है। आम के पौधों का जड़ विन्यास काफी गहराई तक जाता है। अतः इसके विकास के लिए कम से कम 2 मी0 तक की गहराई की अच्छी मिट्टी आवश्यक है। आम के लिए सबसे उपयुक्त भूमि गहरी, उचित निकास वाली दोमट मानी जाती है।
उत्तर प्रदेश में प्रमुख व्यावसायिक प्रजातियों के आम उत्पादित होते हैं। प्रदेश की दशहरी प्रजाति की उत्पत्ति उ0प्र0 के लखनऊ जनपद के समीप दशहरी गॉव से हुई है। उत्तर भारत की यह प्रमुख व्यावसायिक प्रजाति का फल है। फल मध्यम आकार के तथा फलों का रंग हल्का पीला होता है। फलों की गुणवत्ता एवं भण्डारण तथा विपणन के लिए प्रदेश सरकार ने मलिहाबाद में विशेष व्यवस्था की हैं प्रदेश की लॅगड़ा प्रजाति उत्तर प्रदेश के बनारस जनपद से हुई है। उत्तर भारत की यह प्रमुख व्यावसायिक प्रजाति है। फल मध्यम आकार के तथा फलों का रंग हल्का पीला होता है फलों की गुणवत्ता एवं भण्डारण अच्छा है। यह प्रजाति मध्य मौसम में पकनें वाली होती है। लखनऊ सफेदा प्रजाति के फल 15 जून के बाद पकना शुरू होते हैं। फल मध्यम आकार के, पीले रंग के तथा अच्छी मिठास वाले होते हैं। चौसा आम की उत्पत्ति उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद के सण्डीला स्थान से हुई है। इसके स्वाद व रंग के कारण उत्तर भारत में इसका व्यावसायिक उत्पादन किया जा रहा है। फलों का आकार लम्बा, रंग हल्का पीला होता है। यह देर से पकने वाली प्रजाति है।
प्रदेश में आम्रपाली प्रजाति दशहरी एवं नीलम के संकरण से प्राप्त, बौनी एवं नियमित फल देने वाली संकर प्रजाति है। यह सघन बागवानी के लिए उपयुक्त प्रजाति है। एक हेक्टेयर में 1600 पौधे रोपित किया जा सकते हैं तथा 16 टन से अधिक प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है। यह देर से पकने वाली प्रजाति है। मल्लिका प्रजाति नीलम एवं दशहरी के संकरण से प्राप्त संकर प्रजाति है फलों का आकार लम्बा एवं भण्डारण क्षमता अच्छी है। यह मध्य मौसम में पकने वाली प्रजाति है। प्रदेश में कलमी एवं देशी आम का भी अच्छा उत्पादन होता है। प्रदेश सरकार आम की फसल के उत्पादन करने वाले किसानों को भरपूर सहायता कर रही है। उ0प्र0 राज्य औद्यानिक सहकारी विपणन संघ (हापेड़) द्वारा गुणवत्तायुक्त निर्यातोन्मुखी प्रगतिशील आम उत्पादकों को आम की तुड़ाई हेतु मैंगो हार्वेस्टर एवं रख-रखाव हेतु प्लास्टिक क्रेट्स अनुदान पर दे रही है। प्रदेश सरकार आम की प्रजातियों को अन्य प्रदेशों में स्थापित करने तथा प्रदेश से घरेलू विपणन/निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश व प्रदेश के बाहर आम वायर, सेलर मीट कार्यक्रम आयोजित कर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। प्रदेश सरकार आम के विपणन, निर्यात प्रोत्साहन हेतु निरन्तर कार्य कर रही है। आम के निर्यात से प्रदेश के आम उत्पादकों को आर्थिक लाभ मिल रहा है।
लखनऊ: 04 मई, 2022
आम भारतवर्ष का ही नहीं, देश-विदेश की अधिकांश जनसंख्या का भी एक पसंदीदा और सबसे लोकप्रिय फल है। इसकी सुवास, उपलब्ध पोषक तत्वों, विभिन्न क्षेत्रों एवं जलवायु में उत्पादन क्षमता, आकर्षक रंग, विशिष्ट स्वाद और मिठास विभिन्न प्रकार के बनाये जाने वाले खाद्य पदार्थ आदि विशेषताओं के कारण इसे फलों का राजा (ज्ञपदह व िथ्तनपजे) की उपाधि से विभूषित किया गया है। आम लगभग 3-10 मी0 तक की ऊँचाई प्राप्त करने वाला सदाबहार वृक्ष है। भारत आम उत्पादन में विश्व के अनेक देशों में से एक अग्रणी देश है। विश्व के कुल आम उत्पादन में से 40 प्रतिशत से अधिक आम का उत्पादन भारत में होता है। भारतवर्ष में उत्तर प्रदेश, प्रमुख आम उत्पादक राज्य है। इसके अतिरिक्त यह छोटे स्तर पर लगभग सभी मैदानी क्षेत्रों में उगाया जाता है। आम उत्पादन में उचित परिपक्वता निर्धारण के साथ वैज्ञानिक ढंग से तुड़ाई, सुरक्षित रखरखाव एवं पैकेजिंग बेहतर प्रबंधन विपणन को दृष्टिगत रखते हुए उ0प्र0 सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आम उत्पादन को बढ़ावा दे रहे है।
आम (मैंजीफेरा इंडिका एल0) भारतीय उप-महाद्वीप का एक महत्वपूर्ण फल है तथा भारत में विश्व का सबसे अधिक आम उत्पादन होता है। बहुपयोगी होने के कारण ही आम का भारत की संस्कृति से गहरा संबंध रहा है। आम का उत्पादन भारत में प्राचीन काल से ही किया जा रहा है। भारत में इस फल की समाज के आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन में इसकी बहुमुखी उपयोगिता के कारण ही विशेष महत्व है। आम का फल सभी जनमानस को सरलता से उपलब्ध होता है। इस फल की पौष्टिकता व विभिन्न गुणों के कारण ही यह सभी लोगों की पसन्द है।
आम कच्चा हो या पक्का हो सभी तरह से प्रयोग किया जाता है। आम का अचार तो विश्व प्रसिद्ध है ही साथ में उसकी गुठली के अचार आदि बनते हैं। आम की खट्ठी-मीठी चटनी, आम का पना, आम का जूस/शेक, आइसक्रीम, खटाई, रायता, आम रस का सुखाकर बनाया गया अमावट, आदि विभिन्न खाद्य पदार्थ बनाये जाते हैं।
आम उ0प्र0 की मुख्य बागवानी फसल है। उ0प्र0 के 280 हजार हे0 क्षेत्रफल में आम का बगीचा है। प्रदेश में लगभग 48 लाख मी0टन से अधिक आम उत्पादित होता है, जो देश के कुल उत्पादन का लगभग 83 प्रतिशत है। आम उत्पादन की दृष्टि से उ0प्र0 के बाद आंध्र प्रदेश, बिहार एवं कर्नाटक, महाराष्ट्र आम उत्पादन करने वाले अग्रणी राज्य है। उ0प्र0 में सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद, वाराणसी, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, सुल्तानपुर जनपद आम फल पट्टी क्षेत्र घोषित है, जहां पर दशहरी, लंगड़ा, लखनऊ सफेदा, चौसा, बाम्बे ग्रीन रतौल, फजरी, रामकेला, गौरजीत, सिन्दूरी आदि किस्मों का उत्पादन किया जा रहा है। मलिहाबाद फल पट्टी क्षेत्र के 26,400 हे0 क्षेत्रफल में दशहरी, लंगड़ा, लखनऊ सफेदा, चौंसा उत्पादित किया जा रहा है।
आम उष्ण तथा उपोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु में पैदा किया जा सकता है। भारत में इसकी खेती समुद्र तल से 1500 मी0 की ऊॅचाई तक वाले हिमालय क्षेत्र में की जा सकती है। लेकिन व्यावसायिक दृष्टि से समुद्र तल से 600 मी0 तक की ही ऊचाई में अधिक सफलता से आम पैदा किया जा सकता है। आम के पौधों का जड़ विन्यास काफी गहराई तक जाता है। अतः इसके विकास के लिए कम से कम 2 मी0 तक की गहराई की अच्छी मिट्टी आवश्यक है। आम के लिए सबसे उपयुक्त भूमि गहरी, उचित निकास वाली दोमट मानी जाती है।
उत्तर प्रदेश में प्रमुख व्यावसायिक प्रजातियों के आम उत्पादित होते हैं। प्रदेश की दशहरी प्रजाति की उत्पत्ति उ0प्र0 के लखनऊ जनपद के समीप दशहरी गॉव से हुई है। उत्तर भारत की यह प्रमुख व्यावसायिक प्रजाति का फल है। फल मध्यम आकार के तथा फलों का रंग हल्का पीला होता है। फलों की गुणवत्ता एवं भण्डारण तथा विपणन के लिए प्रदेश सरकार ने मलिहाबाद में विशेष व्यवस्था की हैं प्रदेश की लॅगड़ा प्रजाति उत्तर प्रदेश के बनारस जनपद से हुई है। उत्तर भारत की यह प्रमुख व्यावसायिक प्रजाति है। फल मध्यम आकार के तथा फलों का रंग हल्का पीला होता है फलों की गुणवत्ता एवं भण्डारण अच्छा है। यह प्रजाति मध्य मौसम में पकनें वाली होती है। लखनऊ सफेदा प्रजाति के फल 15 जून के बाद पकना शुरू होते हैं। फल मध्यम आकार के, पीले रंग के तथा अच्छी मिठास वाले होते हैं। चौसा आम की उत्पत्ति उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद के सण्डीला स्थान से हुई है। इसके स्वाद व रंग के कारण उत्तर भारत में इसका व्यावसायिक उत्पादन किया जा रहा है। फलों का आकार लम्बा, रंग हल्का पीला होता है। यह देर से पकने वाली प्रजाति है।
प्रदेश में आम्रपाली प्रजाति दशहरी एवं नीलम के संकरण से प्राप्त, बौनी एवं नियमित फल देने वाली संकर प्रजाति है। यह सघन बागवानी के लिए उपयुक्त प्रजाति है। एक हेक्टेयर में 1600 पौधे रोपित किया जा सकते हैं तथा 16 टन से अधिक प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है। यह देर से पकने वाली प्रजाति है। मल्लिका प्रजाति नीलम एवं दशहरी के संकरण से प्राप्त संकर प्रजाति है फलों का आकार लम्बा एवं भण्डारण क्षमता अच्छी है। यह मध्य मौसम में पकने वाली प्रजाति है। प्रदेश में कलमी एवं देशी आम का भी अच्छा उत्पादन होता है। प्रदेश सरकार आम की फसल के उत्पादन करने वाले किसानों को भरपूर सहायता कर रही है। उ0प्र0 राज्य औद्यानिक सहकारी विपणन संघ (हापेड़) द्वारा गुणवत्तायुक्त निर्यातोन्मुखी प्रगतिशील आम उत्पादकों को आम की तुड़ाई हेतु मैंगो हार्वेस्टर एवं रख-रखाव हेतु प्लास्टिक क्रेट्स अनुदान पर दे रही है। प्रदेश सरकार आम की प्रजातियों को अन्य प्रदेशों में स्थापित करने तथा प्रदेश से घरेलू विपणन/निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश व प्रदेश के बाहर आम वायर, सेलर मीट कार्यक्रम आयोजित कर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। प्रदेश सरकार आम के विपणन, निर्यात प्रोत्साहन हेतु निरन्तर कार्य कर रही है। आम के निर्यात से प्रदेश के आम उत्पादकों को आर्थिक लाभ मिल रहा है।
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