संतोष कुमार श्रीवास्तव, अयोध्या विधानसभा रिपोर्टर
"तुमसे जग सुंदर "
तुम इतना समझाते क्यों हो ?
थमकर चल इठलाते क्यों हो ??
अपना समझा प्यार दिया,पर।
इतना तुम इतराते क्यों हो ??
समझ रहे हैं हम भी तुमको।
थोड़े हैं , शरमाते क्यों हो ??
कोई छोटा बड़ा नहीं है।
तुम इतना घबराते क्यों हो ??
जितना है उतना दिखलाओ।
बहुत अधिक दर्शाते क्यों हो ??
अंदर से तुम पत्थर दिल हो।
इतना प्यार जताते क्यों हो ??
उसे बुलाओ जो अपना हो।
सबको पास बुलाते क्यों हो ??
दिखती है औकात तुम्हारी।
चिल्लाकर बतलाते क्यों हो ??
खुद को देखो खोया कितना।
हमको और जगाते क्यों हो ??
अंगड़ाई लेती कलियों को।
अपने पास बुलाते क्यों हो ??
ऐ भौरें तुमसे जग सुंदर।
अपने को भरमाते क्यों हो ??..."अनंग "
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