ज्ञानवापी मस्जिद में तीन दिन तक चले सर्वे के बाद जो रिपोर्ट में गुरुवार को वाराणसी सिविल कोर्ट में सौंपी गई है, उसमें कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह की ओर से दी गई रिपोर्ट में हिंदू आस्था से जुड़े कई निशान और साक्ष्य मिलने की बात कही गई है। उन्होंने जहां शिवलिंगनुमा पत्थर को लेकर विस्तृत जानकारी दी है तो जगह-जगह स्वास्तिक, त्रिशूल और कमल जैसी कलाकृतियां मिलने की बात कही गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक तहखाने में दीवार पर जमीन से लगभग 3 फीट ऊपर पान के पत्ते के आकार की 6 आकृतियां बनी थीं। तहखाने में 4 दरवाजे थे, उसके स्थान पर नई ईंट लगाकर उक्त दरावों को बंद कर दिया गया था। तहखाने में 4-4 खम्भे मिले, जिनकी ऊंचाई 8-8 फीट थी। नीचे से ऊपर तक घंटी, कलश, फूल के आकृति पिलर के चारों तरफ बने थे। बीच में 02-02 नए पिलर नए ईंट से बनाए गए थे। एक खम्भे पर पुरातन हिंदी भाषा में सात लाइनें खुदी हुईं, जो पढ़ने योग्य नहीं थी। लगभग 2 फीट की दफती का भगवान का फोटो दरवाजे के बाएं तरफ दीवार के पास जमीन पर पड़ा हुआ था जो मिट्टी से सना हुआ थास्वास्तिक और त्रिशूल की कलाकृतियां

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अन्य तहखाने में पश्चिमी दीवार पर हाथी के सूंड की टूटी हुई कलाकृतियां और दीवार के पत्थरों पर स्वास्तिक और त्रिशूल और पान के चिन्ह और उसकी कलाकृतियां बहुत अधिक भाग में खुदी हैं। इसके साथ ही घंटियां जैसी कलाकृतियां भी खुदी हैं। ये सब कलाकृतियां प्राचीन भारतीय मंदिर शैली के रूप में प्रतीत होती है, जो काफी पुरानी है, जिसमें कुछ कलाकृतियां टूट गई हैं।

कमल के फूल और हाथी के सूंड जैसी आकृति 
मस्जिद के दक्षिणी और तीसरे गुंबद में फूल, पत्ती और कमल के फूल की आकृति मिली है। तीनों बाहरी गुंबद के नीचे पाई गई तीन शंकुकार शिखरनुमा आकृतियों को वादी पक्ष द्वारा प्राचीन मंदिर की ऊपर के शिखर बताए गए जिसे प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता द्वारा गलत कहा गया। मुस्लिम पक्ष की सहमति से मस्जिद के अंदर मुआयना किया गया तो वहां दीवार पर स्विच बोर्ड के नीचे त्रिशूल की आकृति पत्थर पर खुदी हुई पाई गई और बगल में स्वास्तिक की आकृति आलमारी जिसे मुस्लिम पक्ष द्वारा ताखा कहा गया, में खुदी हुई पाई गई। मस्जिद के अंदर पश्चिमी दीवार में वैसी ही और हाथी के सूंडनुमा आकृति का भी चिह्न है।

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