वाराणसी, मुख्य संवाददाता। ज्ञानवापी प्रकरण में शृंगार गौरी के दर्शन-पूजन और विग्रहों को मुक्त करने को लेकर सिविल जज सीनियर डिविजन में चल रहे मुकदमे की वादी दिल्ली की राखी सिंह की ओर से रविवार को अपना नाम वापस लेने का एलान किया है। पॉवर अटार्नी के तौर पर राखी सिंह के चाचा व विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने यह जानकारी दी है। जितेंद्र सिंह बिसेन मुकदमे में पैरोकार भी हैं। मुकदमे में चार अन्य वादी महिलाएं भी हैं। जिन्होंने मुकदमा जारी रखने की बात कही है। वहीं वादी के अधिवक्ता व सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि राखी सिंह के हटने से मुकदमे पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मुकदमे की कार्यवाही जारी रहेगी।
दिल्ली की राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास, सीता साहू, रेखा पाठक ने 18 अगस्त 2021 को संयुक्त रूप से सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में याचिका दायर काशी विश्वनाथ धाम-ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी और विग्रहों को 1991 के पूर्व स्थिति की तरह नियमित दर्शन-पूजन के लिए सौंपा जाए। इस प्रकरण में कोर्ट ने विग्रहों की स्थिति जानने के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की है। छह मई को कोर्ट कमिश्नर ने सभी पक्षों के साथ सर्वे भी किया। दूसरे दिन सात मई को मस्जिद के अंदर मुस्लिमों के प्रवेश नहीं देने पर कोर्ट कमिश्नर ने कार्यवाही को रोककर सर्वे 09 मई के लिए टाल दिया। उधर, सात मई को विपक्षी अधिवक्ता ने कोर्ट कमिश्नर के सर्वे की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए अदालत में उनको बदलने की मांग की। अदालत ने वादी को अपना पक्ष रखने के लिए 9 मई तक सुनवाई टाल दी
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