रामनगरी में पौराणिक कुंडो का भी होगा कायाकल्प ..
राम नगरी अयोध्या में रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के साथ अब संपूर्ण रामनगरी को भी दिव्यता दी जा रही है। इसी क्रम में रामनगरी में सभी पौराणिक महत्व के उन कुंडों का भी कायाकल्प हो रहा है, जो अपनी पहचान खोने की कगार पर थे उदाहरण के तौर पर मणि पर्वत के पार्श्व में स्थित गणेश कुंड है। गणेश कुंड का वर्णन अयोध्या का इतिहास विवेचित करने वाले ग्रंथ रुद्रयामल में मिलता है और सन् 1902 में सभा की ओर से लगाए गए शिलालेख से भी इसकी प्रामाणिकता पुष्ट होती है। यद्यपि इस शिलालेख के अलावा गणेश कुंड की पहचान दशकों से एक गड्ढे तक सिमट कर रह गई थी, सरकार ने गणेश कुंड के लिए दो करोड़ दो लाख 38 हजार की योजना स्वीकृत की है और पहली किश्त के रूप में 50 लाख की राशि अवमुक्त होने के साथ कार्य प्रगति पर है। कुंड के सुंदरीकरण योजना के तहत छतरी, घाट-प्लेटफार्म, लाइटिग, पेयजल के साथ जल शुद्धिकरण संयंत्र स्थापित किया जाएगा। सुंदरीकरण के इस क्रम में रघुनाथदास जी की छावनी मार्ग पर स्थित हनुमान कुंड को भी सज्जित किया जा रहा है। उपेक्षा के पर्याय गणेश कुंड एवं हनुमान कुंड का कायाकल्प होने से रामनगरी की सुंदरता के साथ भव्यता देखने को मिलेगा ।
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