---व्यक्ति विशेष--
अमर बलिदानी सुरेन्द्र मिश्र जी
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत I अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् II श्रीमद्भागवत अध्याय- ४ श्लोक -७
जब जब होइ धरम कै हानी I बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी II
तब तब प्रभु धरि बिबिध सरीरा I हरहिं कृपा निधि सज्जन पीरा II रामचरितमानस बालकाण्ड
अर्थात् जब पृथ्वी पर पाप व अनाचार बढ़ता है तब भगवान अवतार लेकर पृथ्वी को पाप व अनाचार से मुक्त करते हैं I
कभी भगवान बाराह रूप मे अवतार लेते तो कभी नरसिंह,परशुराम,राम व कृष्ण के रूप मे I
यदि भगवान स्वयं साक्षात अवतार नहीं लेते हैं तो अपने प्रतिनिधि स्वरूप किसी को पृथ्वी को पाप से मुक्त करने के लिए भेजते हैं I
ऐसे ही एक युग पुरुष गौ सेवक सनातन रक्षक का जन्म गोण्डा जनपद में महाबली भीम द्वारा स्थापित विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग पावन पृथ्वीनाथ बाबा की धरा खरगूपुर क्षेत्र को गोकशी जैसे जघन्य अपराध से मुक्त कराने के लिए भगवान की कृपा से खरगूपुर कस्बे से सटे ग्राम भगवानदीन पुरवा मे 01 अक्टूबर सन् 1958 ईसवी को ब्राह्मण कुल मे श्रीमती महेश देवी व पण्डित स्वश्री धर्म दत्त मिश्र जी के यहाँ हुआ I
माता पिता द्वारा उक्त तेजस्वी बालक का नाम सुरेंद्र मिश्र रखा गया। बालक सुरेन्द्र मिश्र बाल्यकाल से ही बलिष्ठ, प्रतिभाशाली, स्वाभिमानी व परम् देश भक्त ओर सनातन प्रेमी थे I सुरेंद्र मिश्र जी युवावस्था मे प्रवेश करते ही सन् 1978 मे सेना मे भरती होकर माँ भारती की सेवा मे संलग्न हो गए I देश सेवा के साथ-साथ गौसेवा व सनातन धर्म की सेवा का भाव उनके मन मे सदैव बना रहा और मौका मिलते ही मां भारती के सेवा के साथ ही साथ इनमें पूरी तल्लीनता से लग जाते I सुरेंद्र जी सन् 1992 मे भारतीय सेना से सेवानिवृत्ति के पश्चात् सनातन धर्म के रक्षा के लिए कार्यरत बजरंग दल से जुड़कर सक्रिय सदस्य के रूप में कार्य करने लगे। यही नही तत्काल श्री राम मन्दिर आन्दोलन मे अपनी पूरी ताकत झोंक दी और तन मन धन लगाते हुए जुट गए और मंदिर आंदोलन से जुड़े पदाधिकारियों के निर्देश का जमीनी स्तर से लेकर ऊपर तक सेतु की तरह कार्य करने लगे।
अब हिंदुत्व और सनातन रक्षा के क्षेत्र में सुरेंद्र मिश्र एक जाना पहचाना नाम बन गया और मिश्र जी जनपद का नेतृत्व कुशलता पूर्वक करने लगे Iश्री राम मन्दिर आन्दोलन की समाप्ति के पश्चात् श्री मिश्र पुनः गौ-रक्षा मे तन-मन-धन से समर्पित करते हुए जुट गए I
तत्समय क्षेत्र मे गोकशी व गोवंश तस्करी एक बहुत बड़ी समस्या बनी हुई थी इस कार्य मे काफी बड़े-बड़े तस्कर, गौ-भक्षक,अपराधी सांठगांठ के द्वारा गौ हत्या का विरोध करने पर किसी को भी जान से मार देने की धमकी देकर हमले किया करते थे । जिससे लोगों में काफी दहशत बनी हुई थी इससे कोई विरोध करने की हिम्मत ही नही करता था।
गौवंश रक्षक सुरेंद्र मिश्र को ये बात काफी खटक गयी और उन्होंने गौहत्या के खिलाफ झंडा बुलंद करने का दृढ़ संकल्प करते हुए यह बीणा उठालिया। गौहत्या बन्द कराने के लिए इन्होंने जमीनी कार्य करना शुरू कर दिया। और गांव गांव जाकर गौ के महत्व गौ की उपयोगिता और गौ-हत्या के खिलाफ अपने स्तर से तुरन्त सूचना देने ,यदि डर हो तो गुप्त सूचना देने की बातें आमजन में कही । जिसका बहुत बड़ा असर दिखा और गौहत्या में काफी कमी आयी।यही नही आये दिन गौ हत्यारों से मुठभेड़ करने उनको जेल भेजने के कार्य मे सुरेन्द्र जी डटे रहे । एक समय तो ऐसा आया की सुरेंद्र मिश्र के प्रयास से आजकी ही तरह अवैध बूचड़खाने बिल्कुल बन्द हो गए थे और जिनके पास लाइसेंस था भी वे प्रतिबंधित पशुओं के काटने से पूरी तरह परहेज कर लिए थे।
सुरेंद्र जी की यही सोंच थी कि गोनार्द की इस पावन तपोभूमि से गौहत्या का कार्य बिल्कुल बन्द हो कर रहेगा।
वास्तव में क्षेत्र में गो हत्या का जाल इस कदर फैला था कि कोई चाह कर भी इसका विरोध नही कर पा रहा था लेकिन सुरेंद्र मिश्र ने लोगों में गौहत्यारों के खौफ को न केवल खत्म किया बल्कि रामराज्य जैसी स्थिति बनाने में एक बड़ी भूमिका अदा की।
गोहत्या के रोक और इसके निदान के लिए उन्होंने प्राण की बाजी लगा दी थी I बाबा गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री राम चरित मानस मे लिखा भी है-
तिन्हहिं सोहाइ न अवध बधावा I
चोरहिं चंदनि राति न भावा II
उनकी सफलता व लोकप्रियता से गौहत्यारों व क्षेत्र के अपराधी प्रवृत्ति के दुष्टों मे छटपटाहट पैदा हो गई और उनको रास्ते से हटाने की काफी गहरी शाजिश रचना शुरू कर दियाI उनकी हत्या के लिए लगातार प्रयास किये जाने लगे इसी क्रम में उन पर तीन बार प्राणघातक हमले कराये गये I
आखिर इस सनातन रक्षक गौभक्त को रास्ते से हटाने में अपराधी सफल हो ही गए ।
हुआ ये कि 20 मई सन् 2003 ईसवी को सुरेंद्र जी अपने कृषि कार्य के लिए खेत को गए थे। खेत के लिए जाते समय उनके ऊपर पीछे से गिरोहबंदी करके बम से हमला कर दिया गया । निहत्थे होने के कारण सुरेंद्र जी कोई प्रतिकार न कर सके और वहीं वीरगति को प्राप्त हो कर सनातन और गौहित के लिए अमर बलिदानी हो गए। I
इस हृदय विदारक घटना को सुनकर क्षेत्र की हिन्दू जनता मे एक गहरे शोक की लहर दौड़ गई I सहसा किसी को विश्वास नहीं हुआ कि हमने सनातन के गौरव, माँ भारती व गौमाता के रक्षक को खो दिया है I
अमर बलिदानी सनातन हित रक्षक, पूर्व सैनिक मां भारती के सच्चे लाल के बलिदान दिवस को प्रतिवर्ष 20 मई के दिन कई हिन्दू संघटनों के पदाधिकारियों व आम हिन्दू जनता द्वारा उनके समाधि स्थल पर पहुँच कर श्रद्धा सुमन अर्पित करने का कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है और उनके पद-चिह्नों पर चलने का संकल्प लिया जाता है I
विदित हो कि स्व० श्री मिश्र के सुपुत्र श्री प्रशान्त मिश्र 'बिक्कू भैया' एवं उनके भाई पूर्व जिला पंचायत सदस्य धर्मेंद्र मिश्र "गुदगुद भैया" भी अपने अग्रज के पद-चिह्नों पर चलते हुए सनातन धर्म व गौमाता की रक्षा के लिए कृत संकल्पित हैं I कई सनातनी संगठन से जुड़े होकर ये द्वय सुरेन्द्र जी के पद चिन्हों पर चलने का प्रयास कर रहे हैं।
कल 20 मई को उनके निवास भगवानदीनपुरवा खरगुपुर गोण्डा में अमर बलिदानी स्व सुरेन्द्र मिश्र जी का बलिदान दिवस मनाया जाएगा। गुदगुद मिश्र व बिक्कू मिश्र ने सबको आमंत्रित करते हुए कहा है कि कल दिन में 9 बजे आम जनमानस व सनातन प्रेमी मेरे निज निवास भगवानदीनपुरवा, खरगूपुर में उपस्थित होकर हिन्दू पुरोधा स्व सुरेन्द्र मिश्र जी को श्रद्धांजि दें एवं वर्तमान योगी जी की सरकार और अमर बलिदानी सुरेन्द्र मिश्र के सपनो को पूरा करने में अपना विचार रखें। जो कार्य आज योगी बाबा कर रहे हैं यही कार्य सुरेन्द्र मिश्र ने करने का संकल्प लिया था।
इस कार्यक्रम में जिला मण्डल एवं प्रदेश स्तर के कई बड़े नेता, विचारक ,संघ से जुड़े लोग, गणमान्य नागरिक और सैकड़ो सनातन प्रेमी एकत्र होंगे।
उमेश चन्द्र तिवारी
9129813351
हिन्दीसंवाद न्यूज़
उत्तर प्रदेश
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know