सावरकर के चिंतन में था सम्पूर्ण राष्ट्र का विकास- प्रो अविनाश
विनायक दामोदर सावरकर की जयंती पर वेबिनार का हुआ आयोजन
जौनपुर।वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर द्वारा "आजादी के अमृत महोत्सव" कार्यक्रम के अन्तर्गत ‘विनायक दामोदर सावरकर जयंती' के उपलक्ष्य में शनिवार की शाम क्रांतिकारी आंदोलन के विकास में वीर सावरकर का योगदान विषयक वेबिनार हुआ।यह आयोजन कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य के संरक्षकत्व में महिला अध्ययन केन्द्र द्वारा आयोजित किया गया।
वेबिनार के मुख्य वक्ता प्रबंध अध्ययन संकाय के अध्यक्ष प्रो अविनाश पाथर्डीकर ने विस्तार से विनायक दामोदर सावरकर के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विनायक दामोदर सावरकर काले पानी की सजा के दौरान कोयले से जेल की दीवारों पर हजारों कविताएं लिखी और उन्हें याद किया। जिस जेल में कुछ ही महीने की सजा में कैदी आत्महत्या कर लेते हैं वहां वीर सावरकर ने 11 महीने बिताया और सृजन किया।
उन्होंने कहा कि वीर सावरकर ने संपूर्ण राष्ट्र के विकास का चिंतन किया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस को आजादी की लड़ाई के लिए प्रेरित करने में उनका बड़ा योगदान रहा।
उन्होंने कहा कि सावरकर द्वारा लिखित पुस्तक इंडियन वार ऑफ इंडिपेंडेंस 1857 को प्रकाशित होने के पहले ही अंग्रेजों द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा के दिनांक, क्रमांक,परीक्षक, क्रीडांगन जैसे शब्द सावरकर की ही देन है।
आज़ादी का अमृत महोत्सव के नोडल अधिकारी प्रो. अजय प्रताप सिंह ने स्वागत एवं
कार्यक्रम की आयोजन सचिव डॉ० जान्हवी श्रीवास्तव ने संचालन किया आभार डॉ दिग्विजय राठौर ने ज्ञापित किया ।इस अवसर पर डॉ राकेश यादव ,डॉ गिरधर मिश्र,डॉ राजेश,डॉ अन्नू,डॉ मनोज ,डॉ दिग्विजय सिंह,डॉ सुनील,डॉ नितेश,डॉ शशिकांत,डॉ रेखा ,डॉ पूजा ,डॉजया ,डॉ शिखा श्रीवास्तव,डॉ पूनम,डॉ मुक्ता राजे,उपस्थित रहे तथा तकनीकी सहायता शोधछात्र अवनीश विश्वकर्मा ने दिया
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