जाली नोटों से अब ठगी का हो गया मामला
मालीपुर पुलिस ने दिखाया अपना कारनामा
गिरजा शंकर गुप्ता पत्रकार
अंबेडकरनगर। जाली नोट के गोरखधंधे के भंडाफोड़ के बाद अब मालीपुर पुलिस लीपापोती में जुटी है। दो दिन से जाली नोट के सौदागरों के पकड़े जाने की खबर सामने आ रही थी, लेकिन अब सोमवार को पुलिस ने नई कहानी सामने लाते हुए बताया कि ये जाली नोट नहीं बल्कि ठगी का मामला है। प्रकरण को लेकर पुलिस ने दो दिन बाद मुंह भी खोला तो ऐसा तर्क सामने रखा जो सहज ढंग से स्वीकार्य नहीं हो सकता। पुलिस ये तक नहीं बता सकी कि ठगी के ही मामले में कितने लोग पकड़े गये हैं। इस बीच पुलिस के रवैये को लेकर कई तरह की प्रतिकूल प्रक्रिया सामने आई हैं।मालीपुर थाना क्षेत्र में रविवार को नकली नोटों के गोरखधंधे का भंडाफोड़ करके कुछ लोगों के पकड़े जाने की खबर तेजी से फैली। हालांकि पुलिस मामले में चुप्पी साधे रही। इससे सोशल मीडिया पर ये आशंका बढ़-चढ़कर जताई जाने लगी कि मालीपुर पुलिस मामले में लीपापोती में जुट गई है। दूसरे दिन सोमवार शाम तक नागरिकों की ये आशंका सच भी साबित होने लगी, क्योंकि पुलिस तब तक भी कुछ स्पष्ट करने की स्थिति में नहीं पहुंच पाई। इतना जरूर बताया कि मामला ठगी का है। कितने लोग पकड़े गये, ये जानकारी भी नहीं दी जा सकी।एसओ मालीपुर के अनुसार वाराणसी निवासी रोशनाल पटेल को फोन करके एक व्यक्ति ने मालीपुर में सुरहुरपुर बाजार के निकट सोमवार सुबह बुलाया था। बताया कि उनकी संस्था मूल राशि का तीन गुना धन तत्काल देती है। फोन करने वाले के बहकावे में आकर रोशनलाल 50 हजार रुपये लेकर सुरहुरपुर बाजार पहुंच गये। वहां चार लोग मिले।
उन लोगों ने रोशनलाल से रकम लेकर उसके बदले कागज में लिपटी एक मोटी गड्डी थमा दी। फिर कहां कि यहां रुकना कतई नहीं, तुरंत चले जाओ। इस पर रोशनलाल तुरंत वहां से चले गये। कुछ दूर जाकर जब उन्होंने कागज में लिपटी मोटी गड्डी खोली तो उसमें रुपये की जगह उसी आकार का थर्माकोल का टुकड़ा था। इसके बाद उन्होंने मालीपुर थाने जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई।
पुलिस के तर्कों पर उठ रहें सवाल
मालीपुर पुलिस के तर्कों पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। नागरिकों के अनुसार पुलिस अब जिस मामले को ठगी का बता रही है, यदि उसे सच भी मान लिया जाए, तो कई गंभीर सवाल का जवाब देना कठिन है। दरअसल पुलिस का कहना है कि नोट तीन गुना करने के चक्कर में रोशनलाल ने हड़बड़ी में ये नहीं देखा कि कागज में लिपटी गड्डी में नोट हैं या कुछ और। सवाल ये है कि पांच-पांच सौ रुपये की यदि 50-50 हजार की तीन गड्डी एकसाथ किसी कागज में लपेट दी जाएं, तो उसका वजन काफी ज्यादा होता है। इसके मुकाबले थर्माकोल काफी हल्का होता है। यदि असली नोट की तीन गड्डी की ऊंचाई के बराबर थर्माकोल की गड्डी बना दी जाए, तो दोनों के वजन में कई गुने का अंतर होगा। जिसे कोई भी सामान्य व्यक्ति हाथ में लेते ही समझ सकता है। सवाल ये उठता है कि रोशनलाल इसे क्यों नहीं समझ पाए। दूसरे ये कि पुलिस ने इस बिंदु पर रोशनलाल से सवाल जवाब क्यों नहीं किया।
पुलिस के रुख से नाराजगी
मालीपुर पुलिस के रुख को लेकर लोगों में खासी नाराजगी देखने को मिली है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि प्रकरण निश्चित रूप से जाली नोटों का था। इसमें बड़ी डील होने की आशंका है। अधिकारियों को प्रकरण की विस्तृत जांच करानी चाहिए। मालीपुर पुलिस ने दूसरे दिन तक जिस तरह घटना को छिपाए रखा और जितने हास्यास्पद व आधारहीन ढंग से तर्क रखे हैं, वह गले से उतर नहीं रहे। कई नागरिकों ने इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी नाराजगी जताई। कहा कि ये सब ठीक नहीं है। इसी के चलते अपराध रुकने की बजाय बढ़ते हैं।मालीपुर में ठगी के प्रकरण की शुरुआती जानकारी मिली है। नोटों के वजन आदि को लेकर जो सवाल खड़े किए गये हैं उस पर मालीपुर पुलिस से जानकारी हासिल की जाएगी। मालीपुर पुलिस से पूरा डिटेल लिया जा रहा है।
आलोक प्रियदर्शी, एसपी
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